पंजाब का शहीद सरबजीत केंद्र के रिकार्ड में तस्कर

पंजाब में शहीद का दर्जा प्राप्त सरबजीत केंद्र सरकार के रिकार्ड में छोटा तस्कर है। यह खुलासा आरटीआइ में हुआ है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sun, 03 Jul 2016 11:59 AM (IST) Updated:Sun, 03 Jul 2016 12:13 PM (IST)
पंजाब का शहीद सरबजीत केंद्र के रिकार्ड में तस्कर

बठिंडा [गुरप्रेम लहरी/धर्मवीर सिंह] । पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में वर्षों पीड़ा भरी जिंदगी जीने वाले जिस सरबजीत सिंह की मौत पर पंजाब सरकार ने उन्हें शहीद का दर्जा देते हुए बाकायदा तीन दिवसीय राजकीय शोक मनाया था, वह विदेश मंत्रालय के रिकॉर्ड में तस्कर है। बेशक, यह जानकारी हैरानीजनक है, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड यही कहता है। इसका खुलासा विदेश मंत्रालय से आरटीआइ के तहत मिली जानकारी से हो रहा है।

बठिंडा निवासी आरटीआइ एक्टिविस्ट हरमिलाप ग्रेवाल ने सूचना मांगी थी कि विदेश मंत्रालय के रिकॉर्ड में सरबजीत सिंह क्या है? जबाव में मामूली तस्कर बताया गया। हालांकि, सूचना में यह कहीं भी स्पष्ट नहीं है कि वह किस तरह की तस्करी में शामिल था।

बता दें कि पंजाब के तरनतारन जिले के भिखीविंड गांव निवासी सरबजीत सिंह 1990 में गलती से सीमा पार कर पाकिस्तान की हद में पहुंच गए थे। जहां उन्हें पाकिस्तानी सेना ने गिरफ्तार कर लिया था। खुफिया एजेंसी रॉ का एजेंट बताते हुए उन्हें लाहौर, मुल्तान और फैसलाबाद बम धमाकों का आरोपी बनाया गया। बाद में अक्टूबर 1991 में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। उनकी रिहाई की कोशिशें चल ही रहीं थी कि लाहौर की कोट लखपत जेल में मारपीट के बाद उन्हें घायलावस्था में जिन्ना अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 2 मई 2013 को उनका निधन हो गया।

विदेश मंत्रालय ने अपने पत्र (जे/551/33/2016) में बताया है कि उनको पाकिस्तान की ओर से जो रिकॉर्ड मुहैया कराया गया है, उसके मुताबिक सरबजीत एक छोटा तस्कर था। वह पैसे के लिए यह काम करता था। 1990 में 29 अगस्त की रात को कसूर सीमा के पास पाकिस्तानी सेना के जवानों ने उसे गिरफ्तार किया था। विदेश मंत्रालय का एक अधिकारी 2005 में उनसे मिलने पाकिस्तान भी गया था।

आरटीआइ एक्टिविस्ट हरमिलाप ग्रेवाल के अनुसार अब तक यह कहा जाता रहा है कि सरबजीत ङ्क्षसह साधारण किसान थे, जो गलती से सीमा लांघकर पाकिस्तान पहुंचे थे। वहां उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया गया। पाकिस्तान की ओर से कहा जाता रहा कि सरबजीत भारतीय जासूस था और उसी ने वर्ष 1990 में पाकिस्तान में बम धमाके किए। इसी आरोप में सरबजीत को मौत की सजा सुनाई गई थी। हालांकि भारत ने उसके जासूस होने से हमेशा इन्कार किया है।

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किसी थाने में कोई केस दर्ज नहीं

विदेश मंत्रालय भले ही सरबजीत को तस्कर बता रहा हो, लेकिन भिखीविंड थाने के प्रभारी सुखराज सिंह के अनुसार सरबजीत सिंह के खिलाफ जिले के किसी भी थाने में तस्करी या अन्य कोई भी मामला दर्ज नहीं है।

सरबजीत को तस्कर बताना दुखद: दलबीर

सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर ने कहा है कि पाकिस्तान ने पहले बेकसूर सरबजीत को मंजीत बताकर बम धमाकों का आरोपी करार दिया और साजिश के तहत उसका कत्ल भी करवाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पाकिस्तान से इसका हिसाब मांगना चाहिए। सरबजीत ने देश के लिए कुर्बानी दी है। उसे तस्कर बताया जाना दुखद है।

तस्कर कहना गलत

नगर पंचायत भिखीविंड के अध्यक्ष अमरजीत सिंह ढिल्लों का कहना है कि जब पाकिस्तान की जेल कोट लखपत से सरबजीत की सलामती की खबर आई थी, तब गांव में दिवाली जैसा माहौल था। उन पर कोई आपराधिक मामला नहीं है। उन्हें तस्कर कहना गलत है।

सुषमा ही बता सकती हैं : परनीत

पूर्व विदेश राज्य मंत्री व विधायक परनीत कौर कहना है कि वह इस संबंध में कुछ नहीं कह सकती। सुषमा स्वराज मौजूदा विदेश मंत्री हैं। वही इसका सही जबाव दे पाएंगी।

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