भागवत कथा के श्रवण से मनुष्य को मिलता है परम आनंद
बीबीवाला रोड गली नंबर तीन में साप्ताहिक श्रीमद्भागवत महापुराण कथा का आयोजन किया गया।
संवाद सहयोगी, बठिडा: बीबीवाला रोड गली नंबर तीन में साप्ताहिक श्रीमद्भागवत महापुराण कथा का आयोजन किया गया। कथा के पहले दिन व्यास पीठ पर आसन होने के पश्चात गोयल परिवार के सदस्यों मुकंद लाल, जनक राज, भागीरथ लाल, वृष भान, वरुण गोयल, अरुण गोयल मोना, यश पाल मितल, अशोक कुमार द्वारा माल्यार्पण कर और शाल भेंटकर स्वागत किया गया। इस दौरान भजराम शास्त्री ने कथा के पहले दिन की शुरुआत इस महापुराण के महत्व बताने के साथ की। उन्होंने बताया कि श्रीमद्भागवत महापुराण सभी ग्रंथों का सार है। भागवत पुराण को मुक्ति ग्रंथ कहा गया है। इसकी कथा सुनना और सुनाना दोनों ही मुक्तिदायिनी हैं और आत्मा को मुक्ति का मार्ग दिखाती है। उन्होंने बताया कि यदि कोई व्यक्ति किसी तीसरे व्यक्ति को कथा सुनने के लिए प्रेरित करता है तो पहले व्यक्ति को इस बात का भी पूरा फल मिलता है। उन्होंने कहा कि गुरु वशिष्ट व महर्षि विश्वामित्र के प्रसंग के माध्यम से श्रोताओं को बताया कि कथा सुनने का फल सभी पुण्यों, तपस्या व सभी तीर्थों की यात्रा के फल से भी कहीं बढ़कर है। भागवत कथा का आयोजन करने तथा सुनने के अनेक लाभ हैं। इसे आयोजित कराने तथा सुनने वाले व्यक्तियों-परिवारों के पितरों को शांति और मुक्ति मिलती है। इसे सुनने के क्रम में आत्मिक ज्ञान की प्राप्ति करते हुए आप सांसारिक दुखों से निकल पाते हैं। मनोकामना पूर्ति होती है। श्रीमद्भागवत कथा के महत्व को समझाते हुए उन्होंने कहा कि भागवत कथा में जीवन का सार तत्व मौजूद है आवश्यकता है निर्मल मन ओर स्थिर चित्त के साथ कथा श्रवण करने की। भागवत श्रवण से मनुष्य को परमानंद की प्राप्ति होती है। श्रीहरि के कृपापात्रों को संसार में कोई भयभीत नहीं कर सकता। इसलिए हर किसी को कथा का आयोजन कराना चाहिए। कथा में गोयल परिवार के सदस्यों, मित्रों, रिश्तेदारों अलावा नगर के बहुत से प्रभुप्रेमियों ने कथा का श्रवण किया। श्रीमद्भागवत महापुराण की आरती के साथ ही पहले दिन की कथा का समापन हुआ। कथा के बाद भक्तों को प्रशाद बांटा गया। इस मौके पर गोयल परिवार की ओर से सभी भक्तों के लिए अल्पाहार की भी व्यवस्था की गई।