हमारी यही कोशिश, बच्चे रहें सुरक्षित पढ़ाई का भी न हो नुकसान

कोरोना के लगातार बढ़ रहे प्रकोप के चलते प्रदेश के सभी सरकारी व निजी स्कूल इस सेशन में भी बंद पड़े हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 05 May 2021 05:49 AM (IST) Updated:Wed, 05 May 2021 05:49 AM (IST)
हमारी यही कोशिश, बच्चे रहें सुरक्षित पढ़ाई का भी न हो नुकसान
हमारी यही कोशिश, बच्चे रहें सुरक्षित पढ़ाई का भी न हो नुकसान

ज्योति बबेरवाल, बठिडा

कोरोना के लगातार बढ़ रहे प्रकोप के चलते प्रदेश के सभी सरकारी व निजी स्कूल इस सेशन में भी बंद पड़े हैं। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई पर प्रभाव पड़ना लाजिमी है। हालांकि उनकी पढ़ाई को जारी रखा जा रहा आनलाइन के माध्यम से। निजी स्कूलों के लिए पहले-पहले यह काफी कठिन था, लेकिन अब निजी स्कूलों की तरह ही सरकारी स्कूलों के अध्यापक आनलाइन कक्षाएं लगाकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं। उपजिला शिक्षा अधिकारी इकबाल सिंह बुंट्टर का कहना है कि शिक्षा विभाग की ओर सरकारी स्कूलों में पूरी इंफ्रास्ट्रक्चर दिया जा रहा है। अध्यापक भी काफी मेहनत कर रहे हैं ताकि बच्चों की पढ़ाई का नुकसान न हो। उनकी यह कोशिश है कि बच्चों का कोरोना से भी बचाव रहे और उनकी पढ़ाई भी प्रभावित न हो। पेश है उनसे बातचीत के अंश। आनलाइन पढ़ाई की क्वालिटी कैसे सुधार रहे हैं?

- अभिभावक परेशान हैं। उन्हें लगता है कि आनलाइन पढ़ाई ठीक से नहीं हो रही। बच्चों को कुछ समझ नहीं आ रहा। मैं बताना चाहता हूं कि अब ऐसा नहीं है। शुरू-शुरू में आनलाइन कक्षा लगाने में काफी दिक्कतें थीं। सिर्फ बच्चों को समझने में ही मुश्किल नहीं आ रही थी, बल्कि अध्यापक भी परेशान थे। ऐसे में शिक्षा विभाग की ओर से अध्यापकों के लिए कई प्रोग्राम चलाए गए। उन्होंने काफी मेहनत की। बच्चों से वार्तालाप की। इसी का नतीजा है कि अब बच्चे आनलाइन कक्षा में बड़े उत्साह से हिस्सा लेते हैं। उन्हें हर बात समझ आ रही है। हालांकि यह दिक्कत जरूर है कि मोबाइल अभिभावकों के पास होता है। कई बार काम की व्यस्तता में वे बच्चों की क्लास नहीं लगवा पाते। हालांकि शिक्षा विभाग की ओर से 12वीं के बच्चों को मोबाइल दिए गए हैं। जिले में स्मार्ट स्कूलों की क्या स्थिति है? - जिले में 276 सीनियर सेकेंडरी स्कूल हैं, जिसमें से 155 स्मार्ट स्कूल बना दिए गए हैं। बाकी स्कूल भी जल्द अपग्रेड कर दिए जाएंगे। इतना ही नहीं 50 प्रतिशत स्कूलों में सोलर प्लांट भी लगाए जा चुके हैं। कोशिश की जा रही है कि जल्द से जल्द सभी स्कूलों में सोलर प्लांट लगा दिए जाएं ताकि स्कूलों में बिजली की किल्लत न रहे।

स्कूल बंद होने के बावजूद अध्यापक स्कूल क्यों आते हैं?

- स्कूलों में बच्चों के दाखिले चल रहे हैं। अध्यापक जूम एप पर कक्षाएं लगाते हैं। बच्चों के आनलाइन ही दाखिले किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं बच्चों के आनलाइन पोस्टर मेकिग, कविता गायन आदि मुकाबले करवाए जाते हैं, जिन्हें अध्यापक स्कूल से ही आयोजित करते हैं। इसके अलावा स्कूलों के प्रोसपेक्टस भी आनलाइन डाले जाते हैं। स्कूलों में अध्यापकों को कोरोना से बचाने के क्या उपाय हैं?

सरकारी स्कूलों के कई अध्यापक कोरोना पाजिटिव हो चुके हैं। जहां-जहां पाजिटिव केस आए, उन स्कूलों को हमने पहले ही सैनिटाइज करवा दिया है। साथ ही स्कूलों में सैनिटाइजर का इंतजाम किया गया है। अध्यापकों को हर समय मास्क लगाने और शारीरिक दूरी बनाकर रखने के आदेश दिए गए हैं। अब शिक्षा विभाग के पूरे स्टाफ का 15 दिन बाद कोरोना टेस्ट करवाया जाएगा ताकि कोरोना की बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सके।

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