पराली की संभाल के 294 नोडल अफसर व 32 क्लस्टर अफसर रखेंगे निगरानी

धान की पराली को आग से बचाने के लिए नोडल अफसरों को तैनात कर उनकी ड्यूटियां लगा दी हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 01 Oct 2020 11:18 PM (IST) Updated:Thu, 01 Oct 2020 11:18 PM (IST)
पराली की संभाल के 294 नोडल अफसर व 32 क्लस्टर अफसर रखेंगे निगरानी
पराली की संभाल के 294 नोडल अफसर व 32 क्लस्टर अफसर रखेंगे निगरानी

जासं, बठिडा : जिला प्रशासन की ओर से धान की पराली को आग से बचाने के लिए नोडल अफसरों को तैनात कर उनकी ड्यूटियां लगा दी हैं। इसके लिए किसानों को कोविड-19 की महामारी फैलने के विशेष हालातों में धान की पराली को आग के रूझान से बचाने की अपील की है। ताकि पहले ही बीमारियों का सामना कर रहे लोगों की सेहत पर बुरा असर न पड़े।जबकि जिले में 294 नोडल अफसर व 32 क्लस्टर अफसर नियुक्त किए गए हैं। जिनके द्वारा 15 नवंबर तक गांवों में अपनी ड्यूटी निभाई जाएगी। उनके द्वारा सहिकारिता, रेवेन्यू, ग्रामीण विकास व पंचायत, खेतीबाड़ी, बागबानी व भू-रक्षा विभागों के साथ साथ पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड व गार्डिअनज आफ गवर्नेंस के साथ तालमेल कर पंजाब में पराली जलाने से रोकने के लिए अपने प्रयास करेंगे।

वहीं डीसी बी श्रीनिवासन का कहना है कि अफसरों को यह भी यकीनी बनाना होगा कि गांवों में सिर्फ सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम के साथ ही कंबाइनों को चलने दिया जाए। यह जमीन ठेके पर देने वालों की सूची तैयार करेंगे व हर जमीन मालिक को फोन पर सावधान करेंगे कि अगर उसने पराली न जलाने संबंधी कोई प्रयास नहीं किया तो उसकी माल विभाग में रेड एंट्री कर दी जाएगी। जबकि यह अफसर उन किसानों की भी शिनाख्त करेंगे, जिनके द्वारा पराली को आग लगाने की संभावना है। इसके अलावा यह अफसर पराली जलाने वाले किसानों का पता लगाएंगे व गांव के माल पटवारी को माल विभाग द्वारा अलग तौर पर जारी हिदायतों के अनुसार रिकॉर्ड में एंट्री करने की सिफारिश करेंगे। जबकि यह नोडल अधिकारी पराली के निपटारे के लिए जागरूक करने के लिए भी हर प्रयास करेंगे।

डीसी ने कहा कि सरकार ने धान की कटाई के मद्देनजर पराली के अवशेष की संभाल के लिए किसानों को मशीनें मुहैया करवाई जा रही हैं। इसके अलावा संयुक्त जगहों, कैटल पोंड व गोशालाओं में पराली इकट्ठी करने के लिए भी जिले में जगहों की पहचान की जा चुकी है। जहां किसान या कोई भी उद्यमी अपनी पराली का भंडार कर सकता है। यह भंडार की गई बासमती की पराली को उन जगहों पर लेकर जाया जा सकेता है, जहां इसको पशुओं के लिए इस्तेमाल किया जा सके। जबकि पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए किए गए प्रयासों को लेकर इस साल 23,500 अन्य खेती मशीनें किसानों को व्यक्तिगत या समूह या सहकारी सभाओं द्वारा 50 से 80 फीसद सब्सिडी पर दी जा रही हैं। इसके अलावा पिछले दो सालों में पराली को खेत में निपटाने के लिए 51 हजार मशीनें दी गई हैं।पंजाब में 27 लाख हेक्टेयर रकबे में धान लगाया जाता है, जिसमें से 7 लाख हेक्टेयर बासमती की पैदावार भी शामिल है। इसके साथ खेतों में धान की 16.50 मिलीयन टन पराली पैदा होने की संभावना है।

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