संशोधित.. पराली प्रबंधन व पर्यावरण बचाने पर धान के 70 फीसद रकबे को आग लगने से बचाया

पंजाब सरकार की पर्यावरण बचाओ व पराली प्रबंधन के लिए सब्सिडी आधारित खेती यंत्र मुहैया कराने की मुहिम के अंतर्गत इस बार धान की फ़सल की कुल पैदावार के क्षेत्रफल में से 70 प्रतिशत क्षेत्रफल के अवशेष को आग की भेंट चढऩे से बचा लिया गया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 07 Feb 2019 08:42 PM (IST) Updated:Thu, 07 Feb 2019 08:42 PM (IST)
संशोधित.. पराली प्रबंधन व पर्यावरण बचाने पर धान के 70 फीसद रकबे को आग लगने से बचाया
संशोधित.. पराली प्रबंधन व पर्यावरण बचाने पर धान के 70 फीसद रकबे को आग लगने से बचाया

जागरण संवाददाता, ब¨ठडा : पंजाब सरकार की पर्यावरण बचाओ व पराली प्रबंधन के लिए सब्सिडी आधारित खेती यंत्र मुहैया कराने की मुहिम के अंतर्गत इस बार धान की फ़सल की कुल पैदावार के क्षेत्रफल में से 70 प्रतिशत क्षेत्रफल के अवशेष को आग की भेंट चढऩे से बचा लिया गया। वहीं दैनिक जागरण की तरफ से भी पराली अभियान के तहत गांवों में सेमिनार करवा कर किसानों को जागरूक किया गया था। इसके अलावा कई वर्कशाप के दौरान भी किसानों को इसके फायदे और नुक्सान बताए गये थे।

जिले के मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. गुरादित्ता ¨सह सिद्धू ने बताया कि पंजाब में धान की बिजाई 29.75 लाख हेक्टेयर में की जाती है, जिसमें इस बार जिला ब¨ठडा ने 1,60,000 हेक्टेयर क्षेत्रफल का योगदान डाला है। फसलों के अवशेष खासकर धान की पराली को आग न लगाने के लिए किसानों को जागरूक करने के लिए कृषि विभाग के यत्नों और डिप्टी कमिशनर के नेतृत्व अधीन •िाला प्रशासन की जागरूकता मुहिमों द्वारा धान के कुल 1,60,000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में से 1,12,300 हेक्टेयर क्षेत्रफल में किसानों ने आग नहीं लगाई, जो कुल क्षेत्रफल का 70 प्रतिशत बनता है।

पराली प्रबंधन के लिए सरकार के प्रयत्नों का जिक्र करते हुए मुख्य कृषि अधिकारी ने बताया कि पराली के सभ्य रख-रखाव के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले यंत्रों की खरीद करने के लिए जिले के किसानों को पंजाब सरकार द्वारा 296 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी गई जिसके साथ ढिपाली कलस्टर के अंतर्गत 15 सहकारी सोसायटियों को 100 हैप्पी सिडर, 13 चौपर और 7 बेलर रैक मुहैया करवाए गए हैं। सरकार द्वारा धान की पराली के प्रबंधन के लिए विभिन्न यंत्रों पर अब तक जिला ब¨ठडा के 1,469 किसानों और किसानों के 27 सेल्फ हेल्प ग्रुपों को 12 करोड़ 38 लाख रुपए सब्सिडी के तौर पर मुहैया करवाए गए। उन्होंने बताया कि किसानों के 25 सेल्फ हेल्प ग्रुपों को 10 लाख रुपए प्रति ग्रुप दिया गया जिसमें से 80 प्रतिशत सब्सिडी दी गई।

उन्होंने बताया कि फ़सलीय विभिन्नता प्रोग्राम के अंतर्गत जिलों में धान की फ़सल अधीन क्षेत्रफल निकाल कर नरमे का क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए नरमे के बीज पर 38.5 लाख रुपए सब्सिडी के तौर पर किसानों को दिए जाएंगे और सरकार द्वारा यह राशि जारी कर दी गई है। मुख्य कृषि अधिकारी ने बताया कि पंजाब में धान की बिजाई 29.75 लाख हेक्टेयर में की जाती है जिसमें से 220 लाख टन फ़सलीय अवशेष पैदा होता है। इस अवशेष में से 80 प्रतिशत से •ा्यादा धान की पराली जला दी जाती है जिसमें से लगभग 500 करोड़ रुपए की नाईट्रोजन और सल्फर जल जाती है।

chat bot
आपका साथी