विदेशी इक्यूबेटर से बढ़ रहा है मोर का कुनबा

जासं, ब¨ठडा। शहर से बाहर 145 एकड़ में फैले बीड़ तालाब मिनी जू में इस बार मोर का कुनबा बढ़ने लगा है।

By Edited By: Publish:Sat, 27 Aug 2016 01:00 AM (IST) Updated:Sat, 27 Aug 2016 01:00 AM (IST)
विदेशी इक्यूबेटर से बढ़ रहा है मोर का कुनबा

जासं, ब¨ठडा।

शहर से बाहर 145 एकड़ में फैले बीड़ तालाब मिनी जू में इस बार मोर का कुनबा बढ़ने लगा है। मिनी जू में स्थापित राज्य के पहले मोर प्रजनन केंद्र मे इस सीजन में विदेशी इक्यूबेटर (अंडे सेने वाली मशीन) से मोर के 10 बच्चे निकाले जा चुके हैं और 25 बच्चे और पैदा होने की उम्मीद है। पहले वर्ष प्रजनन केंद्र का ट्रायल सफल रहने की उम्मीद जताई जा रही है।

मिनी जू परिसर में पशु अस्पताल के भवन में इक्यूबेटर लगाया गया है। इसमें अब तक 15 अंडें जंगलों से संग्रहण कर रखे गए थे। इनमें से 10 से बच्चे निकल आए और पांच अंडे खराब हो गए। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार सामान्यत: तय मॉनसून सीजन में मादा मोर सघन जंगल में जमीन पर ही घास फूस का घोंसला बनाकर अंडे देती है। एक सीजन में मादा मोर अधिकतम चार अंडे देती है।

अंडों को 28 दिन तक सेने के बाद बच्चे निकलते हैं। अमूमन अंडे सेने के दौरान ही कुत्ते या फिर अन्य जानवर अंडे खा जाते हैं। पिछले दिनों अंडे संग्रहण के लिए वन विभाग की टीम ने जंगलों को टटोला तो सात आठ जगह मादा मोर के अवशेष और दो दर्जन से ज्यादा अंडों के टूटे बाहरी खोल मिले थे।

दो महीने बाद बच्चे जंगल में छोड़े जाएंगे

मंडल वन अधिकारी डॉ संजीव कुमार तिवारी के अनुसार जब बच्चे दो महीनों के हो जाएंगे तो उन्हें खुले जंगल में छोड़ा जाएगा। मोर का बच्चा दो महीने में खुद विचरण करने लायक हो जाता है। इन्हें दो महीने पर प्रोटीन युक्त विशेष चुग्गा दिया जाएगा। बकौल डॉ तिवारी इस वर्ष बीड़ तालाब, जैव विविधता पार्क दियालपुरा और मंडी फूल बीहड़ से अंडे एकत्रित किए गए हैं। अगले साल पंजाब से लगते राजस्थान और हरियाणा के इलाकों से मादा मोर के अंडे एकत्रित किए जाएंगे।

बीड़ तालाब मोर के अनुकूल

वन विभाग अधिकारियों के अनुसार बीड़ तालाब मोर के लिए अनुकूल है। यहां पेड़ों के सघन झुंड हैं। चिड़िया घर में मोर की सार-संभाल के लिए प्रशिक्षित स्टाफ, पशु अस्पताल, डॉक्टर और दवाएं भी उपलब्ध हैं। पानी और चुग्गे की सुविधा भी है।

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