मरीज के दिल के लिए गांववासियों ने खोल दिया अपना 'दिल'
अमृतसर फतेहगढ़ चूड़ियां कस्बे का गांव पंधेर कलां। 3
जागरण संवाददाता, अमृतसर
फतेहगढ़ चूड़ियां कस्बे का गांव पंधेर कलां। 38 वर्षीय निर्मल ¨सह मृत्युशैया पर पड़ा था। उसके हार्ट का वॉल्व लीक हो गया था। फेफड़ों व पेट में पानी भर गया था। निर्मल ¨सह इतना सामर्थ्यवान नहीं था कि महंगा ट्रीटमेंट करवा सके। उसकी जेब में सिर्फ 1600 रुपये थे। निर्मल को तिल-तिल देख गांव पंधेर कलां के लोग उसकी सांसों के पहरेदार बन गए। गांव के हर घर से निर्मल ¨सह के उपचार के लिए पैसे इकट्ठे किए गए। इसके बाद अमृतसर स्थित आइवीवाई अस्पताल में निर्मल ¨सह का ऑपरेशन हुआ।
यह घटना जहां ग्रामीण परिवेश में रहने वाले लोगों के बीच परस्पर प्रेम को दर्शा गई, वहीं मेडिकल साइंस को भी एक नया अनुभव मिला। असल में निर्मल ¨सह के दिल का आकार 9 सेंटीमीटर तक बढ़ गया था। सामान्यत: दिल का आकार 7.5 सेंटीमीटर होता है। निर्मल के हृदय में पं¨पग कम हो चुकी थी। पेट, छाती, फेफड़ों में पानी भर गया था और उसे पीलिया ने भी अपनी चपेट में ले लिया। कुल मिलाकर वह हार्ट फेलियर की स्थिति में पहुंच गया था।
निर्मल का ऑपरेशन करने वाले आइवीवाई अस्पताल के डायरेक्टर और चीफ हार्ट सर्जन डॉ. पंकज गोयल ने कहा कि मैंने अपने 22 वर्ष के करियर में ऐसा केस नहीं देखा। चूंकि निर्मल ¨सह के पास पैसे नहीं थे, इसलिए वह एक साल तक ऑपरेशन नहीं करवा सका। ऐसे में उसकी हालत और क्रिटिकल हो गई। डॉ. गोयल के अनुसार हार्ट सर्जरी में या तो मरीज को ¨जदगी मिलती है या फिर मौत। जरा सी गलती भारी पड़ जाती है। हमें इस बात का स्ट्रेस था कि मरीज ऑपरेशन टेबल पर दम न तोड़ जाए।
तीन से चार घंटे चली सर्जरी
डॉ. पंकज गोयल ने बताया कि ऑपरेशन के वक्त मेरे साथ एनेस्थीसिया डॉ. राजेश अरोड़ा, डॉ रजत सहित पूरी टीम थी। चूंकि निर्मल के हार्ट का आकार बढ़ गया था और देश में कहीं भी इतना बड़ा कमर्शियल वॉल्व नहीं बनता। आमतौर पर वॉल्व 21 साइज के होते हैं। ऐसी स्थिति में हमने 31 साइज का मैकेनिकल वॉल्व उल्टा करके निर्मल के हार्ट में इन्सर्ट किया। तीन से चार घंटे चली यह सर्जरी सफल रही। हमारे लिए यह एक लर्निंग पीरियड था।
गांव के लोग मेरे लिए रब्ब का रूप: निर्मल सिंह
डॉ. गोयल ने कहा कि गांववासियों की दुआएं और डॉक्टरों की कड़ी मेहनत से यह ऑपरेशन सक्सेस रहा। वहीं निर्मल ¨सह ने कहा कि अब मैं बिल्कुल ठीक हूं। गांववासी मेरे लिए रब्ब का रूप बनकर सामने आए। उन्होंने डॉक्टर से कहा कि आप इलाज कीजिए, बाकी हम देख लेंगे। गांववासियों और डॉक्टरों का धन्यवाद।