सीमा के गांवों में लोग हर हालात के लिए तैयार, ग्रामीण बोले- बदला जरूरी था, जंग की भी फिक्र नहीं

पंजाब के सीमा क्षेत्र के गांवों के लिए वायुसेना की पाकिस्‍तान में कार्रवाई से बेहद खुश हैं। उन्‍हा‍ेंने कहा कि वे हर स्थिति में अपने देश के साथ हैं और जंग के लिए भी तैयार हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Wed, 27 Feb 2019 09:21 AM (IST) Updated:Wed, 27 Feb 2019 10:11 AM (IST)
सीमा के गांवों में लोग हर हालात के लिए तैयार, ग्रामीण बोले- बदला जरूरी था, जंग की भी फिक्र नहीं
सीमा के गांवों में लोग हर हालात के लिए तैयार, ग्रामीण बोले- बदला जरूरी था, जंग की भी फिक्र नहीं

अटारी (अमृतसर), जेएनएन। वैसे तो युद्ध का नाम सुनते ही शरीर कांपने लगता है, लेकिन इस बार सीमावर्ती गांवों के लोग इसके लिए पूरी तरह तैयार हैं। भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तान के बालाकोट में की गई एयर सर्जिकल स्ट्राइक से सीमा क्षेत्र के गांवों के लिए बहुत खुश हैं। उनका कहना है कि वे हर स्थिति में भारत के साथ हैं। स्‍ट्राइक के बाद पाकिस्तान गीदड़भभकी दे रहा है अौर यह झेंप मिटाने की उसकी बचकाना हरकत है।

भारत-पाक सीमा जीरो लाइन से मात्र 500 मीटर की दूरी पर स्थित अमृतसर के सीमावर्ती गांव रोड़ांवाला खुर्द के लोगों ने 1971 की जंग भी देखी। यह गांव सीमा के निकट देश का पहला गांव है। यहां लोगों ने वायुसेना की इस कार्रवाई की तारीफ की। एक हजार आबादी वाले इस गांव के लोगों ने कहा कि पाकिस्तान को आतंकवाद का साथ देने के लिए सबक सिखाना जरूरी है।

रोड़ांवाला खुर्द के किसान जगरूप सिंह ने बताया कि वे लोग कई बार उजड़े और बसे। आज एक बार फिर उन्हें यही डर सताने लगा है। पता नहीं सरकार कब उन्हें अपना जरूरी सामान उठा कर गांव छोड़ऩे के आदेश दे दे। लेकिन, हम हर हाल में देश के साथ हैैं और सेना के कंधे से कंधा मिलाकर सेना का साथ देंगे।

अंतरराष्ट्रीय सीमा से करीब एक किलोमीटर दूर गांव धनोआ खुर्द निवासी बलविंदर सिंह ने बताया कि पीओके में एयर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद गांव के लोगों में सहम का माहौल है लेकिन खुशी इस बात की है कि हमने पाकिस्तान से बदला ले लिया। सीमांत गांवों के लोगों ने 1965, 1971 और 1999 में युद्ध देखा है। हर युद्ध ने उन्हें बर्बादी दी है, लेकिन पाकिस्तान के दुस्साहस को जवाब देने के लिए हम देश के साथ हैैं।

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धनोआ खुर्द गांव के बचित्र सिंह ने कहा कि सीमा पर माहौल को देखते हुए गांव में बैठक कर हर घर से एक सदस्य को रात को समय जागते रहने के लिए कहा गया है। ताकि, किसी भी परिस्थिति में उनके परिवार सुरक्षित रह सकें। वहीं, कंटीली तारों के पास बीओपी पर तैनात बीएसएफ जवानों से भी बात की तो उन्होंने सब ठीक होने की बात कही।

रोड़ांवाला खुर्द के पूर्व सरपंच दिलजिंदर सिंह ने बताया कि युद्ध का सबसे ज्यादा प्रभाव सीमांत गांवों के लोगों पर होता है। परंतु पाकिस्तानी आतंकवाद को कुचलने के लिए गांव के लोग हर कीमत अदा करने के लिए तैयार हैैं।

नहीं खोले गए गेट

बीएसएफ ने भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर फैंसिंग के पार किसानों के खेतों में जाने की इजाजत नहीं दी। रोडांवाला गांव के दिलजिंदर सिंह ने बताया कि सुरक्षा कारणों से ऐसा किया गया। उन्हें फसलों को लेकर इश बात का भय है कि फसल पाकिस्तान के सूअर बर्बाद कर देंगे।

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