अफगानिस्तान में 1992 के बाद अल्पसंख्यों की हालत काफी खराब हुई : हामिद करजाई

अमृतसर अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने कहा कि अफगानिस्तान में सिखों, हिन्दुओं समेत अल्पसंख्यकों की हालत वर्ष 1992 के बाद बेहद नाजुक हुई है। जब बाबरी मसजिद भारत में गिराई गई उस के बाद वहां अल्पसंख्यकों को काफी नुकसान उठाना पडा।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 20 Sep 2018 10:14 PM (IST) Updated:Thu, 20 Sep 2018 10:14 PM (IST)
अफगानिस्तान में 1992 के बाद अल्पसंख्यों की हालत काफी खराब हुई : हामिद करजाई
अफगानिस्तान में 1992 के बाद अल्पसंख्यों की हालत काफी खराब हुई : हामिद करजाई

जागरण संवाददाता, अमृतसर

अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने कहा कि अफगानिस्तान में सिखों, हिन्दुओं समेत अल्पसंख्यकों की हालत वर्ष 1992 के बाद बेहद नाजुक हुई है। जब बाबरी मसजिद भारत में गिराई गई उस के बाद वहां अल्पसंख्यकों को काफी नुकसान उठाना पडा। आज साउथ एशिया में स्थाई शांति के लिए भारत, अफगानिस्तान और पाकिस्तान को संयुक्त कोशिशें करनी होंगी। हामिद करजई अपने भारत दौरे के तहत वीरवार की देर रात श्री हरिमंदिर साहिब में माथा टेकने के लिए पहुंचे थे। इस दौरान करजई ने एक बेशकीमती गलीचा और वास श्री हरिमंदिर साहिब के लिए भेंट की। एसजीपीसी के मुख्य सचिव डॉ. रूप ¨सह ने श्री हरिमंदिर साहिब का सुनहरा मॉडल, पुस्तकें , सिरोपा और लोई देकर करजई को सम्मानित किया।

करजई ने कहा कि उनके मन की इच्छा थी कि वह भारत जाएंगे और पंजाब में श्री हरिमंदिर साहिब में सजदा करेंगे। यहां आ कर उनको आत्मिक शांति हासिल हुई है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में बहुत बड़े व्यापार और अन्य कारोबारों पर सिखों और हिन्दुओं का एकाधिकार था। व्यापार यही दो समुदाय सब से अधिक करते थे। जब वह राष्ट्रपति थे उस वक्त सरकार में भी सिखों को प्रतिनिधित्व दिया गया था। आज अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों की हालत ठीक नहीं है।

करजई ने कहा कि साउथ एशिया में शांति बनाए बिना इस क्षेत्र का आर्थिक विकास संभव नहीं है। इस लिए भारत और अफगानिस्तान को पहल करनी होगी। उन्होंने कहा कि भारत के साथ अफगानस्थान कृषि, बागबानी और ड्राई फ्रूट के व्यापार व टेक्नालॉजी को बढावा दे कर आर्थिक मजबूती के रास्ते में आगे बढ सकते है इस के लिए साउथ एशिया में शांतिमय महौल होना जरूरी है। यह सब कुछ बड़ी राजनीतिक पहलकदमी से ही हो सकता है। उन्होंने कहा कि वह श्री हरिमंदिर साहिब में शांति की प्रार्थना करने के लिए आए है। दोनों देशों के संबंध बढि़या हो इस के लिए उन्होंने अरदास की है।

करजई ने कहा कि पंजाब और अफगानिस्तान का सभ्याचार, संस्कृति और पर्यावरण में काफी सांझ है। इस लिए पंजाब के माध्यम से दोनों देशों में संबंधों में और अधिक मजबूती पैदा की जा सकती है। उन्होंने कहा कि वह हमेशा ही अफगानिस्तान में रहने वाले सिख व हिन्दू अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए पहल कदमी करते रहे है।

अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास के अधिकारी की ओर से दिए गए त्याग पत्र के संबंध में उन्होंने कहा कि वह गुरु घर में माथा टेकने के लिए आए है यहां पर वह किसी भी तरह के राजनीति मुद्दों पर बात नहीं करेंगे। इस दौरान एसजपीसी के मुख्य सचिव डा. रूप ¨सह ने अफगानिस्तान में रह रहे सिखों की हालत के संबंध में भी जानकारी हासिल की।

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