जीएनडीयू अब एडहॉक पोस्टों पर नहीं कर पाएगी लेक्चरर भर्ती , अदालत ने लगाई रोक

जागरण संवाददाता, अमृतसर गुरु नानक देव विश्वविद्यालय की ओर से एडहॉक पर भर्ती किए जाने वाले

By JagranEdited By: Publish:Sat, 26 May 2018 08:56 PM (IST) Updated:Sat, 26 May 2018 08:56 PM (IST)
जीएनडीयू अब एडहॉक पोस्टों पर नहीं कर पाएगी लेक्चरर भर्ती , अदालत ने लगाई रोक
जीएनडीयू अब एडहॉक पोस्टों पर नहीं कर पाएगी लेक्चरर भर्ती , अदालत ने लगाई रोक

जागरण संवाददाता, अमृतसर

गुरु नानक देव विश्वविद्यालय की ओर से एडहॉक पर भर्ती किए जाने वाले अध्यापकों को भर्ती करने पर पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। यह रोक जीएनडीयू के रीजनल कैंपसों व कंस्टीच्यूट कॉलेजों में तैनात एडहॉक अध्यापकों की रिट पटीशन पर सुनवाई करते हुए लगाई है। अब विश्वविद्यालय इन पोस्टों पर ठेका प्रणाली के साथ-साथ रेगुलर पोस्टों को भी अगले आदेशों तक नहीं भर सकती।

गुरु नानक देव विश्वविद्यालय एसोशिएशन आफ एडहॉक टीचर्स के अध्यक्ष डॉ. गुरप्रीत ¨सह और उपाध्यक्ष प्रो विशाल शर्मा ने बताया कि जीएनडीयू के अधीन आते अलग अलग कंस्टीच्यूट कॉलेजों में काम करते सहायक प्रोफेसरों को विश्वविद्यालय 9 या 7 माह का ही वेतन देती है। इसके तहत विश्वविद्यालय 18000 रुपये व 22000 रुपये प्रतिमाह अध्यापकों को भुगतान करती रही है। जबकि इन अध्यापकों से गैर शिक्षण काम 12 माह तक लिए जाते हैं। परंतु वेतन 7 माह या 9 माह तक ही दिया जाता है। विश्वविद्यालय के इस तानाशाही वाले फैसले के खिलाफ सहायक अध्यापकों ने अपने अकादमिक कार्यकाल को जारी रखने के लिए मार्च 2017 में हाईकोर्ट में रिट पटीशन दायर की थी। जिसमें इन अध्यापकों ने 12 माह बेसिक वेतन 21600 रुपये दिए जाने की मांग की थी। परंतु विश्वविद्यालय अधिकारी शुरू से ही गुमराह करते रहे हैं कि अध्यापक अपने आप को पक्का करवाने के लिए कोर्ट में गए हैं। परंतु विश्वविद्यालय इन अधापकों को बेसिक वेतन देने की जगह समय- समय पर हुए अलग-अलग अदालतों के आदेशों का उल्लंघन करते हुए इन अध्यापकों से अन्य ड्यूटी लेते रहे। अब विश्वविद्यालय ने दोबारा ठेके पर अध्यापक रखने के लिए विज्ञापन जारी कर दिया है। इस के लिए अध्यापकों ने अदालत में प्रार्थना पत्र दायर किया था। जिस को मुख्य रख अदालत ने अब विश्वविद्यालय अधिकारियों को नई भर्ती करने पर रोक दिया है। क्यों कि पहले ही उन पोस्टों पर कर्मचारी काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अधिकारी मेरिट बनाने में नियमों को ताक पर रख रहे हैं।

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