Amritsar News: अस्पताल कर्मी ने घायल व्यक्ति के संबंधी से कहा, पैसे दो, धारा-326 लगवा देंगे
अमृतसर के गुरु नानक देव अस्पताल में दर्जा चार कर्मचारी धारा-326 का केस दर्ज करवाने का काम करते थे। मामला तब सामने आया जब अपने जख्मी रिश्तेदार का इलाज कराने आए एक पुलिसकर्मी से ही उन्होंने पैसों की मांग की। पुलिस कर्मचारी ने उसे कालर से पकड़ा और वहीं पीटा।
नितिन धीमान ,अमृतसर: गुरु नानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) में तीन दो दर्जा चार कर्मचारियों को बेनकाब किया गया है। ये लोग मेडिको लीगल रिपोर्ट (एमएलआर) में धारा-326 का केस दर्ज करवाने का काम करते थे। इस बार दोनों कर्मचारियों ने पुलिस कर्मचारी से ही मेडिको लीगल रिपोर्ट में बदलाव करने के नाम पर पैसों की मांग कर डाली और उनका भेद खुल गया।
इन कर्मचारियों का नाम राजेश और सिकंदर है। ये दोनों नियमित कर्मचारी हैं। मामले की जांच के बाद अस्पताल प्रशासन ने इन्हें इमरजेंसी वार्ड से हटा दिया है। इसके साथ ही आर्थो विभाग के पीजी डाक्टरों पर भी शक की सुई घूम रही हैं।
पुलिस कर्मी से ही की पैसों की मांग
अस्पताल प्रशासन इस एंगल पर भी काम कर रहा है कि डाक्टरों की मिलीभगत के बिना फर्जी रिपोर्ट नहीं दी जा सकती। दरअसल, पुलिस कर्मचारियों का रिश्तेदार जख्मी हुआ था। उसे जीएनडीएच में लाया गया था। दर्जा चार कर्मचारी सिकंदर व राजेश पुलिस कर्मचारी के पास आए और कहा कि वह धारा 326 की रिपोर्ट तैयार करवा सकते हैं। इसके लिए उन्होंने 20 हजार रुपये की मांग की।
पुलिस कर्मचारी ने उसे कालर से पकड़ा और वहीं पीटा। इसके बाद थाना मजीठा रोड पुलिस को सूचित किया गया। पुलिस अस्पताल पहुंची और दोनों को पकड़कर थाने ले आई। हालांकि शिकायतकर्ता न होने से इन्हें छोड़ने को मजबूर हुई।
पहले भी मिल चुकी है शिकायतें
इस की जानकारी जब अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा. कर्मजीत सिंह को मिली तो उन्होंने दोनों कर्मचारियों को तलब किया। इनको इमरजेंसी ड्यूटी से हटाकर प्रिंसिपल कार्यालय में भेज दिया।
फिलहाल ये दोनों वहीं ड्यूटी कर रहे हैं, पर अस्पताल प्रशासन का कहना है कि वह इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए विभाग को लिखा जाएगा। डा. कर्मजीत सिंह ने स्पष्ट किया कि इन कर्मचारियों की पूर्व में कई शिकायतें मिली थीं।
कब लगती है धारा-326
भारतीय दंड संहिता की धारा-326 उस स्थिति में आरोपित पर लगाई जाती है जब उसने किसी व्यक्ति को बुरी तरह पीटा हो जिससे कि व्यक्ति के गहरा कट लगा हो, हड्डी या फिर दांत टूटे हो। ऐसे मामलों में आरोपित को सात वर्ष की सजा का प्रविधान है। यह धारा गैर-जमानती है।
घायल व्यक्ति का सरकारी अस्पताल से मेडिकल लीगल टेस्ट करवाया जाता है। सिर से पैर तक आई चोटों का आकलन किया जाता है। वर्ष 2022 में सिविल में भी फर्जी 26 की रिपोर्ट्स का मामला उजागर हुआ था।