दिग्विजय सिंह की हिंदू विरोधी मानसिकता को नकार चुके हैं मतदाता, नर्मदा परिक्रमा के बाद भी लोकसभा चुनाव में मिली हार
लोकसभा चुनाव से पहले दिग्विजय ने नर्मदा परिक्रमा कर खुद को हिंदू धर्म के अनुयायी के तौर पर पेश किया था लेकिन जनता ने उनके इस दावे को नकार दिया। इससे पहले साध्वी उमा भारती के हाथों करारी शिकस्त खाकर दिग्विजय ने प्रदेश की सत्ता गंवाई थी।
भोपाल, राज्य ब्यूरो। राज्यसभा सदस्य और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की हिंदू विरोधी मानसिकता का समाज में भी तगड़ा विरोध है। इसका प्रमाण दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा के बाद भी लोकसभा चुनाव में उनकी हार है। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर से उन्हें हार मिली थी। लोकसभा चुनाव में जब दिग्विजय सिंह के सामने प्रज्ञा ठाकुर को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया था तो शुरुआती आकलन यह था कि दिग्विजय सिंह की जीत का रास्ता लगभग साफ कर दिया गया। जैसे-जैसे प्रचार आगे बढ़ा, दिग्विजय के हिंदू विरोधी पुराने बयान बाहर आते गए और लोग साध्वी के रूप में हिंदूवादी नेता प्रज्ञा के पक्ष में आ गए। नतीजा दिग्विजय की हार के रूप में सामने आया।
जनता ने दिग्विजय सिंह के दावे को नकारा
लोकसभा चुनाव से पहले दिग्विजय ने नर्मदा परिक्रमा कर खुद को हिंदू धर्म के अनुयायी के तौर पर पेश किया था, लेकिन जनता ने उनके इस दावे को नकार दिया। इससे पहले साध्वी उमा भारती के हाथों करारी शिकस्त खाकर दिग्विजय ने प्रदेश की सत्ता गंवाई थी। भाजपा भी दिग्विजय को लेकर यह समझ गई है कि मुस्लिम परस्त बयानबाजी का मुकाबला बहुसंख्यक हितैषी चेहरों से किया जाएगा। अब कांग्रेसी भी यह मानने लगे हैं कि उनके बयानों ने पहले प्रदेश और देशभर में कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया है।
कांग्रेस के लिए मुश्किल हो रहा है दिग्विजय के बयान का बचाव करना
कांग्रेस की सरकार बनने पर जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 को बहाल करने पर विचार करने संबंधी दिग्विजय सिंह के बयान से कांग्रेसी भी खफा हैं। उनका मानना है कि भारतीय जनमानस को ध्यान में रखते हुए ऐसे बयानों से बचना चाहिए, जिनसे विवाद हो। ऐसे बयान बहुसंख्यकों के विरोध के तौर पर दर्ज किए जाते हैं और पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। पार्टी नेताओं का यह भी मानना है कि दिग्विजय का बयान यदि पार्टी लाइन से हटकर है तो उन पर कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि इस तरह की प्रवृत्ति पर रोक लगे।
इधर, दिग्विजय सिंह के छोटे भाई और कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह ने ट्वीट किया है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 लगाना अब संभव नहीं हैं। हालांकि उन्होंने एनडीए सरकार में शामिल रहे फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को लेकर भी सवाल उठाए हैं। उधर, इस मामले में कांग्रेस के नेता दिग्विजय के पक्ष में उस तरह खुलकर सामने नहीं आए हैं, जैसे आमतौर पर राजनीतिक बयानों पर दलगत तौर पर नेताओं के समर्थक सामूहिक हमलावर होते हैं।