घाटी में बुलंद होने लगी आतंक के खिलाफ आवाज, अलगाववाद के खिलाफ सड़कों पर उतरे लोग

चार दशकों से पाकिस्तान प्रायोजित हिंसा की आग से झुलस रहे कश्मीर घाटी के लोगों के सब्र का बांध टूटने लगा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sun, 05 Aug 2018 08:51 PM (IST) Updated:Mon, 06 Aug 2018 12:13 AM (IST)
घाटी में बुलंद होने लगी आतंक के खिलाफ आवाज, अलगाववाद के खिलाफ सड़कों पर उतरे लोग
घाटी में बुलंद होने लगी आतंक के खिलाफ आवाज, अलगाववाद के खिलाफ सड़कों पर उतरे लोग

नीलू रंजन, नई दिल्ली। चार दशकों से पाकिस्तान प्रायोजित हिंसा की आग से झुलस रहे कश्मीर घाटी के लोगों के सब्र का बांध टूटने लगा है। घाटी के अमन पसंद लोग हिंसक आतंकियों और अलगावादियों के खिलाफ सड़कों पर उतरने लगे हैं। विरोधी आवाज भी बुलंद होने लगी है। पिछले 15 दिनों में दूसरी बार घाटी के हजारों लोगों ने घर से बाहर निकलकर आतंकवाद और हिंसा के खिलाफ मार्च निकाला और जमकर नारेबाजी की। शनिवार को पुलवामा में आतंक के खिलाफ मार्च निकालने वाले अवामी फोरम के प्रवक्ता जीएन परवाना ने कहा कि आने वाले दिनों में पूरे कश्मीर में ऐसी और भी मार्च निकाले जाएंगे।

अवामी फोरम ने घाटी में इस मुहिम को और आगे बढ़ाने का किया ऐलान

दरअसल पिछले हफ्ते पुलवामा के दो आतंकी पुलिस मुठभेड़ में मारे गए थे। आतंकियों के पक्ष में अलगाववादी हुर्रियत ने दो दिन के पुलवामा बंद का आह्वान किया था। लेकिन अलगाववादियों के बंद के ऐलान के धता बताते हुए हजारों लोगों ने शनिवार को पुलवामा में मार्च निकालकर आतंकवाद, हिंसा और अलगाववाद के खिलाफ जमकर नारे लगाए।

रैली में हिंसा लेने वाले इरफान अहमद ने कहा कि जब तक घाटी के युवा हिंसा का रास्ता नहीं छोड़ देते, वे चुप नहीं बैठेंगे। इरफान अहमद के पिता और भाई की आतंकियों ने हत्या कर दी थी। इरफान अवामी फोरम के पुलवामा चैप्टर के प्रमुख हैं। यह मार्च के पुलवामा के कई गावों से होकर गुजरा और बड़ी संख्या में लोग इसमें शामिल होते गए। आतंकियों के गढ़ माने जाने वाले पुलवामा में पहली बार आतंक के खिलाफ आवाज उठी है।

इसके पहले 22 जुलाई को अवामी फोरम बडगाम में आतंकवाद के खिलाफ मार्च निकाल चुका है। बडगाम वाले मार्च में भी हजारों की संख्या में स्थानीय लोगों ने भाग लिया था और आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ नारेबाजी की थी। बडगाम के कई गांवों से होता हुआ यह मार्च चरार-ए-शरीफ में खत्म हुआ था। उस मार्च में भी लोगों ने कश्मीर से हिंसा को पूरी खत्म करने और अलगाववाद और आतंकवाद को जड़ से मिटाने का संकल्प दोहराया था।

कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ शुरू हुए इस तरह के मार्च को पैगाम-ए-मोहब्बत का नाम दिया है। इसका आयोजन फारूख अब्दुल गनी के नेतृत्व वाला अवामी फोरम कर रहा है, जो जम्मू-कश्मीर कोआर्डिनेशन कमेटी (जेकेसीसी) का हिस्सा है। जेकेसीसी में कई सारे स्थानीय एनजीओ और सामाजिक संगठन शामिल हैं, जो घाटी में आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ हैं।

ध्यान देने की बात है कि इसी जेकेसीसी ने इस साल मार्च में आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक श्री श्रीरविशंकर को कश्मीर में आमंत्रित किया था। जाहिर है कि धीरे-धीरे आम जनता जेकेसीसी के मुहिम से जुड़ने लगी है। इसने पिछले दो हफ्ते में आतंकवाद से ग्रसित दो इलाकों में मार्च निकालकर इसे साबित कर दिया है। 

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