कांग्रेस और मोदी सरकार के बीच गोल्ड स्कीम पर जुबानी जंग हुई तीखी

रविशंकर को आड़े हाथों लेते हुए सुरजेवाला ने कहा कि कानून मंत्री अगर इस स्कीम को घोटाला बता रहे हैं तो फिर सरकार को तत्कालीन वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमन के खिलाफ एफआइआर दर्ज करानी चाहिए।

By Tilak RajEdited By: Publish:Thu, 08 Mar 2018 08:35 PM (IST) Updated:Thu, 08 Mar 2018 08:35 PM (IST)
कांग्रेस और मोदी सरकार के बीच गोल्ड स्कीम पर जुबानी जंग हुई तीखी
कांग्रेस और मोदी सरकार के बीच गोल्ड स्कीम पर जुबानी जंग हुई तीखी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस ने यूपीए सरकार के आखिरी दिनों में आयी 80:20 गोल्ड आयात स्कीम को लेकर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद पर सफेद झूठ बोलने का गंभीर आरोप लगाया है। पार्टी ने कहा है कि नीरव मोदी-मेहुल चौकसी के पीएनबी घोटाले पर पर्दा डालने के लिए एनडीए सरकार के मंत्री झूठे और भ्रामक दावे कर रहे हैं। हकीकत यह है कि मोदी सरकार ने संसद में इस स्कीम को जायज ठहराते हुए इसे लागू करने का श्रेय लिया। कांग्रेस ने उलटे एनडीए पर वार करते हुए कहा कि नीरव मोदी और मेहुल चौकसी जैसे लोगों से हो रहे नुकसान को देखते हुए एनडीए सरकार ने इस स्वर्ण आयात स्कीम को रद किया।

कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कानून मंत्री के पूर्व वित्तमंत्री चिदंबरम पर अंतिम दिनों में इस स्कीम को लागू करने को लेकर लगाये जा रहे आरोपों पर पलटवार करते हुए यह दावा किया। उन्होंने कहा कि 80:20 स्वर्ण आयात स्कीम देश हित में था और मेहुल चौकसी और नीरव मोदी जैसे स्वर्ण कारोबारियों की कंपनियों को इसका घाटा उठाना पड़ा था। इस स्कीम के आने के पहले नीरव चौकसी की कंपनी का कारोबार 2012-13 में 10,380 करोड़ रुपये था जो स्कीम आने के बाद अगले वर्ष 2014-15 में घटकर 7,343 करोड रुपये आ गया। जबकि नीरव मोदी का 265 करोड़ का फायदा स्कीम के अगले वित्त वर्ष में 22.65 करोड रुपये घाटे में पहुंच गया। लेकिन एनडीए सरकार ने 28 नवंबर 2014 को जब यह गोल्ड स्कीम खत्म कर सोने के आयात पर हर तरह की पाबंदी हटा दी तो एक साल में ही नीरव और चौकसी की कंपनियों का कारोबार 200 फीसद बढ़ गया। नीरव मोदी की कंपनी का घाटा ही एक साल में पूरा नहीं हुआ, बल्कि करीब 19 करोड का लाभ भी हुआ।

रविशंकर को आड़े हाथों लेते हुए सुरजेवाला ने कहा कि कानून मंत्री अगर इस स्कीम को घोटाला बता रहे हैं तो फिर सरकार को तत्कालीन वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमन और तत्कालीन वित्त सचिव के खिलाफ सबसे पहले एफआइआर दर्ज करानी चाहिए। क्योंकि निर्मला ने संसद में 13 अगस्त 2014 को एक लिखित सवाल के जवाब में 80:20 गोल्ड स्कीम को सही ठहराते हुए बुलियन कारोबार को संस्थागत रूप देने के लिए इसे सही कदम बताया था। वित्त सचिव ने भी 21 अगस्त 2014 को इस कदम को बिल्कुल सही ठहराया। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि देश के विदेशी मुद्रा भंडार को बाहर जाने से रोकने के लिए अगस्त 2013 में पहले 10 फीसद कस्टम डियूटी लगायी और चार बैंकों के साथ दो सरकारी कंपनियों को सोने के आयात की इजाजत दी गई। यूपीए सरकार ने देश के बढ़त चालू सकल घाटे 4.8 फीसद के मद्देनजर लिया जो स्कीम लागू होने के बाद 1.7 फीसद पर आ गया।

सुरजेवाला ने कहा कि रविशंकर जिस 2014 के 15 मई और 21 अगस्त के चिदंबरम के फैसले पर सवाल उठा रहे हैं उसमें कोई स्कीम में बदलाव नहीं हुआ, बल्कि केवल मान्यता वाले निजी स्वर्ण आयात कंपनियों को ही स्वर्ण कारोबारियों के संगठन की मांग पर इन्हीं शर्तों के साथ इजाजत दी गई। सुरजेवाला ने सवाल उठाया कि जब एनडीए पांच दिन बाद ही सरकार में आ गई और इसमें कोई गलती थी तो फिर उस समय फैसले को रद क्यों नहीं किया। उन्होंने कहा कि सीतारमण ने इसे जायज ठहराया है, तो रविशंकर क्या अब उनका कैबिनेट से इस्तीफा मांगेंगे।

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