बजट राशि खर्च करने में दर्जनभर मंत्रालय सुस्त, एक तिहाई राशि खर्च नहीं कर पाए कई मंत्रालय

सबसे सुस्त प्रदर्शन अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का है जो चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से सितंबर तक छह महीने में महज 12 प्रतिशत राशि ही खर्च कर पाया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Thu, 01 Nov 2018 10:15 PM (IST) Updated:Thu, 01 Nov 2018 10:15 PM (IST)
बजट राशि खर्च करने में दर्जनभर मंत्रालय सुस्त, एक तिहाई राशि खर्च नहीं कर पाए कई मंत्रालय
बजट राशि खर्च करने में दर्जनभर मंत्रालय सुस्त, एक तिहाई राशि खर्च नहीं कर पाए कई मंत्रालय

नई दिल्ली, हरिकिशन शर्मा। आम बजट की राशि समय पर खर्च करने में सरकार ने काफी हद तक सफलता हासिल की है लेकिन अब भी दर्जनभर मंत्रालय ऐसे हैं जिनका इस मामले में प्रदर्शन बेहद सुस्त है।

कई मंत्रालय आधा वित्त वर्ष गुजरने के बावजूद बजट की एक-तिहाई राशि भी खर्च नहीं कर पाए हैं। इस मामले में सबसे सुस्त प्रदर्शन अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का है जो चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से सितंबर तक छह महीने में महज 12 प्रतिशत राशि ही खर्च कर पाया है।

 कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट (सीजीए) के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान सरकार ने कुल 24.42 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का बजट बनाया था जिसमें से पहली छमाही में 13.04 लाख करोड़ रुपये यानी 53.4 प्रतिशत राशि खर्च की जा चुकी है जो पिछले साल समान अवधि में खर्च के अनुपात के बराबर है। इस तरह पहली छमाही में सामान्य रूप से सरकार के व्यय की रफ्तार अच्छी रही लेकिन कई मंत्रालयों का प्रदर्शन सुस्त है।

मसलन, अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में अपने बजट की मात्र 12 प्रतिशत राशि खर्च कर पाया है जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 27 प्रतिशत था। मंत्रालय का बजट 4,700 करोड़ रुपये का है जिसमें से मात्र 573 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।

इसी तरह खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय भी शुरुआती छह माह में अपने बजट की मात्र 24 प्रतिशत राशि खर्च कर पाया है जबकि पिछले साल उसने इस अवधि में 40 प्रतिशत राशि खर्च की थी। यही हाल युवा और खेल मामलों के मंत्रालय का है जो चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में उसके बजट की मात्र 27 प्रतिशत राशि खर्च कर पाया है जबकि पिछले साल समान अवधि में यह आंकड़ा 47 प्रतिशत था।

कुछ ऐसा ही हाल पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास विभाग का है जो बजट में आवंटित राशि में से सितंबर तक मात्र 32 प्रतिशत राशि खर्च कर पाया है। इसी तरह जल संसाधन नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय भी वित्त वर्ष 2018-19 में अप्रैल से सितंबर तक बजट में आवंटित राशि में से मात्र 37 प्रतिशत ही खर्च कर पाया है। हालांकि पिछले साल जल मंत्रालय ने समान अवधि में मात्र 29 प्रतिशत राशि ही खर्च की थी। इस तरह कुछ हद तक इसके प्रदर्शन में सुधार आया है।

बजट की राशि समय पर खर्च होना इसलिए जरूरी है क्योंकि वित्त मंत्रालय के नियमों के अनुसार कोई भी मंत्रालय अंतिम तिमाही में बजट की 33 प्रतिशत से अधिक राशि खर्च नहीं कर सकता। अगर किसी मंत्रालय के पास इससे अधिक राशि बचती है तो बजट के संशोधित अनुमान से समय उसमें कटौती कर दी जाती है।

पिछले वित्त वर्ष में भी संशोधित अनुमानों में पंचायती राज मंत्रालय, खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय और दूरसंचार सहित कई विभागों के बजट में कटौती की गयी थी। ऐसे में अगर चालू वित्त वर्ष में भी कुछ मंत्रालय खर्च की रफ्तार नहीं बढ़ाते तो संशोधित अनुमानों में उनके आवंटन में भी कटौती की नौबत आ जाएगी।

एनडीए सरकार ने बजट राशि समय पर खर्च हो, यह सुनिश्चित करने को कई उपाय किए हैं जिसमें आम बजट की तारीख फरवरी के अंतिम दिन से बदलकर पहली तारीख करना शामिल है। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि राशि एक अप्रैल से ही खर्च के लिए उपलब्ध हो सके।

इसका सकारात्मक असर भी हुआ है। 2014 से पहले बजट की बमुश्किल 44 से 48 प्रतिशत धनराशि खर्च हो पाती लेकिन 2017-18 में यह आंकड़ा बढ़कर 53.5 प्रतिशत तक पहुंच गया है। हालांकि चालू वित्त वर्ष में यह ठहरकर 53.4 प्रतिशत के आस-पास ही बना हुआ है।


पहली छमाही में इन मंत्रालयों के खर्च की रफ्तार रही सुस्त

मंत्रालय                  2018-19 2017-18
अल्पसंख्यक मंत्रालय     12          27
पंचायती राज                 38         51
खाद्य प्रसंस्करण           24         40
पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय 32         51
संस्कृति मंत्रालय            45         42
जल संसाधन मंत्रालय      37         29
युवा और खेल मंत्रालय     27        47

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