Pulwama Terror Attack : सुरक्षा एजेंसियों के हाथ लगी अहम जानकारी, आतंकी एेसे करते हैं IED विस्फोट
Pulwama Terror Attack आम आदमी अपनी मोटरसाइकिल और कार को चोरों से बचाने के लिए जिस रिमोट चाबी का इस्तेमाल करता है, उसी का इस्तेमाल कर आतंकी आइईडी में धमाके करा रहे हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। जम्मू-कश्मीर में आइईडी विस्फोट के मामलों में सुरक्षा एजेंसियों को एक बड़ी और अहम जानकारी हाथ लगी है। आम आदमी अपनी मोटरसाइकिल और कार को चोरों से बचाने के लिए जिस रिमोट चाबी का इस्तेमाल करता है, उसी का इस्तेमाल कर आतंकी आइईडी में धमाके करा रहे हैं। पुलवामा में आतंकी हमले में भी इसी के इस्तेमाल से धमाका करने की आशंका जताई जा रही है।
जम्मू-कश्मीर में आतंकवादरोधी अभियान के लिए काम करने वाली सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। रिपोर्ट के मुताबिक आतंकवादियों ने पिछले साल से आइईडी विस्फोट कराने के अपने तरीके बदल दिए हैं। पहले आतंकी रिमोट कंट्रोल उपकरण के जरिए आइईडी विस्फोट कराते थे, लेकिन अब वो मोबाइल फोन, वाकी-टाकी सेट और रिमोट चाबी यानी सेंट्रल लॉकिंग सिस्टम का इस्तेमाल करने लगे हैं।
भारतीय फौज के जांबाज जवानों के साथ सीधे मुकाबले में आतंकियों की रूह कांप जाती है। इसलिए वो इस तरीके का इस्तेमाल करते हैं ताकि जवानों के साथ उनकी मुठभेड़ नहीं हो। इसके अलावा इस तरह के इलेक्टि्रानिक उपकरण आसानी से बाजार उपलब्ध भी हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में आतंकी आने वाले दिनों में आइईडी विस्फोट में रिमोट चाबी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसा कि दूसरे राज्यों में नक्सलियों द्वारा किया जाता है। पुलवामा हमले की जांच कर रही एजेंसियों को आशंका है कि जैश के एक ही आत्मघाती आतंकी ने आरडीएक्स मिले विस्फोटक से इसे अंजाम दिया होगा।
रिपोर्ट में बताया गया है कि कुछ समय पहले सोपियां जिले में सेना के 44 राष्ट्रीय राइफल्स के जवानों पर आइईडी हमले की जांच में भी इसकी पुष्टि हुई थी। जांच पता चला था कि आतंकियों ने बाइक को लॉक-अनलॉक करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रिमोट चाबी की मदद से ही आइईडी में विस्फोट कराया था। रेड कॉरिडोर में नक्सली इस तरह आइईडी में विस्फोट कराते हैं।
अब राज्य में आतंकी इसका इस्तेमाल करने लगे है। इससे हो सकता है कि नक्सलियों और राज्य में सक्रिय आतंकी गुटों के बीच सांठगांठ बन गई हो। हालांकि, सीनियर अधिकारियों का यह भी कहना है कि इस संबंध में अभी कोई ठोस सुबूत नहीं मिले हैं।