भारत-पाक वार्ता में आतंकवाद रहेगा बड़ा मुद्दा, अमेरिका में होगी विदेश मंत्रियों की बैठक

स्वराज-कुरैशी वार्ता के परिणाम से ही तय होगा कि दोनो देशों के बीच समग्र वार्ता की शुरुआत अभी हो सकेगी या नहीं।nskk

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Thu, 20 Sep 2018 09:01 PM (IST) Updated:Thu, 20 Sep 2018 10:38 PM (IST)
भारत-पाक वार्ता में आतंकवाद रहेगा बड़ा मुद्दा, अमेरिका में होगी विदेश मंत्रियों की बैठक
भारत-पाक वार्ता में आतंकवाद रहेगा बड़ा मुद्दा, अमेरिका में होगी विदेश मंत्रियों की बैठक

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अगर पड़ोसी देश के रवैये में बदलाव दिखा तो अगले हफ्ते भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों की अमेरिका में होने वाली मुलाकात दोनो देशों के द्विपक्षीय रिश्तों की गाड़ी को फिर से पटरी पर ला सकती है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पाकिस्तान की नई सरकार में अपने समकक्ष शाह मेहमूद कुरैशी से द्विपक्षीय मुलाकात करेंगी। चुनावी साल में मोदी सरकार का यह कूटनीतिक दांव कितना सटीक बैठता है यह तो वक्त बताएगा, लेकिन विदेश मंत्रालय के अधिकारी मानते हैं कि इमरान खान सरकार के साथ संवाद शुरु करने में देरी नहीं की जानी चाहिए।

पीएम इमरान खान के पत्र का भारत ने दिया सकारात्मक जवाब

दैनिक जागरण ने गुरुवार के अंक में ही इस बात की खबर प्रकाशित की थी कि संयुक्त राष्ट्र की सालाना बैठक के दौरान दोनो देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक संभावित है। गुरुवार को ही विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने इस बात की पुष्टि कर दी। उन्होंने बताया कि, 'पीएम इमरान खान ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था जिसमें न्यूयार्क में स्वराज व कुरैशी के बीच बातचीत से द्विपक्षीय वार्ता की शुरुआत करने की पेशकश की थी। भारत ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। बातचीत का एजेंडा अभी तय नहीं किया गया है, लेकिन उसमें द्विपक्षीय रिश्तों से जुड़े हर मुद्दे पर बात होगी। आतंकवाद भी एक मुद्दा रहेगा।'

अगले हफ्ते अमेरिका में होगी स्वराज और पाक विदेश मंत्री कुरैशी के बीच वार्ता

स्वराज की मुलाकात पाक विदेश मंत्री से 26 सितंबर को होने के पूरे आसार है। क्योंकि यह सहमति बनी है कि इनकी मुलाकात सार्क विदेश मंत्रियों की बैठक से पहले होनी चाहिए जो 27 सितंबर को होगी। अगर सब कुछ ठीक रहा तो सार्क की शिखर बैठक को लेकर स्थिति भी इस बार साफ हो जाएगी। नवंबर, 2016 में सार्क की शीर्ष बैठक इस्लामाबाद में होनी थी लेकिन आतंकी वारदातों की वजह से सभी दूसरे देशों ने इसमें हिस्सा लेने से मना कर दिया था।

बहरहाल, इमरान खान के पत्र में भी स्वराज-कुरैशी वार्ता के एजेंडे की तरफ से इशारा किया है। इसमें खान ने लिखा है कि 'पाकिस्तान आतंकवाद पर बात करने को तैयार है। हमें कारोबार, लोगों के बीच सामान्य आवाजाही, धार्मिक पर्यटन व मानवीय मुद्दों पर भी बात होनी चाहिए।'

यह पूछे जान पर कि क्या कश्मीर पर भी बात होगी, विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि, जब आतंकवाद पर बात होगी तो कश्मीर का जिक्र होना लाजिमी है। भारत को वैसे अब कश्मीर पर बात करने से परहेज नहीं है। वाजपेयी-मुशर्रफ से लेकर मनमोहन सिंह-युसूफ अली गिलानी के बीच हुई वार्ता में भी कश्मीर पर बात हुई थी।

मोदी सरकार के कार्यकाल में दूसरी बार पाकिस्तान से रिश्ते सुधारने की कोशिश

कुछ जानकारों की माने तो इमरान खान के पत्र का सकारात्मक जवाब एनडीए ने बेहद सोच समझ कर ही दी है। जब कई तरफ से यह चर्चा हो रही थी कि चुनावी वर्ष में मोदी सरकार पाकिस्तान को लेकर कोई नरमी नहीं अख्तियार करेगी तब वार्ता के प्रस्ताव को स्वीकार करना यह बताता है कि भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों को लेकर बेहद गंभीर है।

यह कुछ वैसा ही है जैसा पीएम मोदी ने बेहद तनाव भरे माहौल के तुरंत बाद ही चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ द्विपक्षीय अनौपचारिक वार्ता करके सभी को चौंका दिया था। अगर चुनाव खत्म होने और नई सरकार के गठन का इंतजार किया जाता तो एक वर्ष गुजर जाते।

हालांकि अभी भी भारत फूंक-फूंक कर कदम उठाएगा। स्वराज-कुरैशी वार्ता के परिणाम से ही तय होगा कि दोनो देशों के बीच समग्र वार्ता की शुरुआत अभी हो सकेगी या नहीं। समग्र वार्ता यानी कारोबार, ऊर्जा, संस्कृति जैसे दूसरे मुद्दों पर सहयोग करने के लिए संयुक्त वार्ता। यह वर्ष 2012 से ही ठिठकी हुई है। वैसे दोनो देशों के विदेश मंत्रियों की अंतिम बैठक दिसंबर, 2015 में इस्लामाबाद में ही हुई थी। 

chat bot
आपका साथी