स्वामीनाथन ने कहा- दिल्ली में वायु प्रदूषण के लिए किसानों को दोष देना बंद करें

स्वामीनाथन ने कहा कि दक्षिण भारत में फसलों के अवशेषों का इस्तेमाल पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है अत वहां इसे नहीं जलाया जाता है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Tue, 05 Nov 2019 01:35 AM (IST) Updated:Tue, 05 Nov 2019 01:35 AM (IST)
स्वामीनाथन ने कहा- दिल्ली में वायु प्रदूषण के लिए किसानों को दोष देना बंद करें
स्वामीनाथन ने कहा- दिल्ली में वायु प्रदूषण के लिए किसानों को दोष देना बंद करें

नई दिल्ली, प्रेट्र। प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन ने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के लिए किसानों को दोष देना बंद होना चाहिए। इससे कोई हल नहीं निकलने वाला। इसकी जगह दिल्ली और पड़ोसी राज्यों की सरकारों को राइस बायो पार्क (धान जैविक पार्क) बनाने चाहिए, जिससे किसानों को पराली नष्ट करने के हरित तरीके अपनाने में मदद मिलेगी। इससे किसान पराली को आय और रोजगार का माध्यम बना सकेंगे।

दक्षिण भारत में फसलों का अवशेष पशुओं के चारे के रूप में होता है, जलाया नहीं जाता

स्वामीनाथन ने कहा कि दक्षिण भारत में फसलों के अवशेषों का इस्तेमाल पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है, अत: वहां इसे नहीं जलाया जाता है। उन्होंने कहा कि वह लगातार कई वर्षो से चावल के भूसे के कई आर्थिक उपयोग की ओर इशारा करते रहे हैं।

दिल्ली का वायु प्रदूषण चिंता का विषय

स्वामीनाथन ने ट्वीट किया, 'हमें ऐसे तरीके अपनाने चाहिए जो आर्थिक और पारिस्थितिक रूप से वांछनीय हों।' उन्होंने कहा कि दिल्ली का वायु प्रदूषण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य की चिंता का विषय बन गया है।

म्यांमार में फसल अवशेषों का उपयोग कागज और पशु आहार के रूप में होता है

हाल में म्यांमार के नेपीता में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन द्वारा एक राइस बायो पार्क की स्थापना की गई थी। इसे भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित किया गया था। स्वामीनाथन ने कहा कि इस बायो पार्क से पता चलता है कि कागज, कार्ड बोर्ड और पशु आहार सहित विभिन्न उत्पादों के लिए किस तरह से फसल अवशेषों का उपयोग किया जा सकता है।

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