Maharashtra Politics: 41 साल पहले शरद पवार ने भी की थी अजीत की तरह बगावत, जानें पूरी कहानी

शरद पवार ऐसे नेता रहे हैं जिन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत तो कांग्रेस से की थी लेकिन दो बार उसके ही खिलाफ गए।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sat, 23 Nov 2019 07:08 PM (IST) Updated:Sun, 24 Nov 2019 12:31 AM (IST)
Maharashtra Politics: 41 साल पहले शरद पवार ने भी की थी अजीत की तरह बगावत, जानें पूरी कहानी
Maharashtra Politics: 41 साल पहले शरद पवार ने भी की थी अजीत की तरह बगावत, जानें पूरी कहानी

मुंबई/नई दिल्ली, जागरण स्‍पेशल। एक ही रात में बगावत कर भाजपा के साथ हाथ मिलाने के अजित पवार के फैसले ने उनके चाचा शरद पवार के विद्रोह की याद ताजा कर दी है। 41 साल पहले राकांपा सुप्रीमो ने सरकार बनाने के लिए कांग्रेस को दो खेमे में बांट दिया था। उस समय वह राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने थे।

1978 में चलाया था इंद्रधनुष गठबंधन

1978 में पवार ने इंद्रधनुष गठबंधन चलाया था। इसमें जनता पार्टी और खेतिहर मजदूर पार्टी शामिल थी। गठबंधन सरकार दो साल से कम समय तक कायम रही। मजेदार है कि इस बार भी वह राज्य में कांग्रेस और शिवसेना के साथ उसी तरह का गठबंधन बनाने में जुटे थे। असल में 1978 में अपनी पार्टी गठित करने और उसे चलाने के कारण ही शरद पवार राजनीतिक दायरे में 'स्ट्रांग मैन' माने गए। पवार ने अपनी किताब 'ऑन माई टर्म' में लिखा है कि आपातकाल के बाद 1977 के चुनाव में कई राज्यों और देश में इंदिरा विरोधी लहर थी। इस लहर में बारामती से कांग्रेस प्रत्याशी वीएन गाडगिल पराजित हो गए थे। बारामती को पवारों का गढ़ माना जाता है।

38 साल की उम्र में बने थे सीएम

जनवरी 1978 में राज्य में होने जा रहे चुनाव में सरदार स्वर्ण सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस-एस से मुकाबला करने के लिए इंदिरा गांधी ने कांग्रेस-इंदिरा का गठन किया था। पवार उस समय कांग्रेस-एस और अपने मार्गदर्शक यशवंतराव चव्हाण के साथ रहे। एक महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-एस को 69, कांग्रेस-आइ को 65 और जनता पार्टी को 99 सीटें मिली थीं। किसी पार्टी के पास बहुमत नहीं था।

वसंत दादा पाटिल के नेतृत्व में कांग्रेस के दोनों खेमे ने सरकार बनाने के लिए हाथ मिला लिया था। लेकिन दोनों खेमों के बीच खींचतान के कारण सरकार चलाना कठिन हो गया था। पवार ने बाहर होने का फैसला लिया था। जनता पार्टी अध्यक्ष चंद्रशेखर के साथ उनके संबंधों ने सौदा करने में उनकी मदद की थी। 38 विधायकों के साथ पवार बाहर हो गए जिसे समानांतर कांग्रेस कहा गया। उस समय 38 वर्ष की उम्र में पवार मुख्यमंत्री बने थे।

सोनिया गांधी के विदेशी मूल का विरोध किया, एनसीपी बनाई

1999 में सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने पर विदेशी मूल का मुद्दा तूल पकड़ा। इसका विरोध शरद पवार, पीए संगमा और तारिक अनवर ने किया। तीनों को पार्टी से निकाल दिया गया और तीनों ने मिलकर 25 मई 1999 को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का गठन किया। शुरू में काग्रेस और एनसीपी ने एक दूसरे का विरोध किया, फिर लगातार 15 साल तक राज्य में एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन की सरकार रही।

शरद पवार के खिलाफ जाकर डिप्टी सीएम बने अजीत

भाजपा द्ववारा सरकार बनाने से मना करने के बाद तीनों पार्टियों (शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा) के बीच बैठक के बाद शुक्रवार शाम को शरद पवार ने उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने के संकेत दिए। लेकिन, शनिवार सुबह बड़ा उलटफेर देखने का मिला। सुबह 5:47 बजे राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाया गया और 7:30 बजे भाजपा के देवेंद्र फडनवीस ने मुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजीत पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली।  

महाराष्‍ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम की टाइम लाइन  

22 नवंबर 

11.45PM - महाराष्‍ट्र में सरकार बनाने के लिए अजीत पवार और भाजपा के बीच डील फाइनल हुई।

11.55PM - देवेंद्र फडणवीस ने पार्टी से एनसीपी-शिवसेना और कांग्रेस के जानने से पहले   शपथ ग्रहण का दावा किया और दावा पेश किया। 

23 नवंबर 

12:30AM- राज्‍यपाल ने दिल्‍ली की यात्रा रद की। 

2:30AM-राज्‍यपाल के सचिव को 5.47 बजे राष्‍ट्रपति शासन हटाने से संबंधित आदेश भेजने को कहा और 6:30 बजे शपथ ग्रहण की व्‍यवस्‍था शुरू हुई।

2:30AM-सचिव ने सूचित किया कि वह दो घंटे घंटे में फाइन को भेज देंगे और 7:30 बजे शपथ ग्रहण की सलाह दी। 

5:30AM -फडणवीस और अजीत राजभवन पहुंचे। 

5:47AM -राष्‍ट्रपति शासन हटाया गया और इसकी  9 बजे घोषणा की गई। 

7:50AM -राज्‍यपाल भगत सिंह कोश्‍यारी ने शपथ ग्रहण शुरू किया। 

8:01AM -फडणवीस के मुख्‍यमंत्री और अजीत के उप मुख्‍यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की खबर सामने आई। 

8:16AM -पीएम मोदी ने न्‍यू सीएम और डिप्‍टी सीएम को बधाई दी।  

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