पीएम के 'संयोग नहीं प्रयोग' वाले बयान का संघ ने किया समर्थन, सीएए विरोधी प्रदर्शनों में बताया PFI का हाथ

संघ के एक पदाधिकारी ने कहा है कि हमारा मानना है कि सीएए विरोधी हिंसा के पीछे पीएफआइ (PFI) और आइसा (All India Students Association AISA) का हाथ है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sat, 07 Mar 2020 07:55 PM (IST) Updated:Sat, 07 Mar 2020 08:42 PM (IST)
पीएम के 'संयोग नहीं प्रयोग' वाले बयान का संघ ने किया समर्थन, सीएए विरोधी प्रदर्शनों में बताया PFI का हाथ
पीएम के 'संयोग नहीं प्रयोग' वाले बयान का संघ ने किया समर्थन, सीएए विरोधी प्रदर्शनों में बताया PFI का हाथ

नई दिल्ली, एएनआइ। नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act 2019, CAA) के खिलाफ प्रदर्शनों को संयोग नहीं, बल्कि देश के सौहार्द को बिगाड़ने का प्रयोग बताने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh, RSS) ने समर्थन किया है। संघ का मानना है कि ये प्रदर्शन सहज नहीं हैं, बल्कि सोची समझी साजिश का हिस्सा हैं। भाजपा के वैचारिक संगठन संघ के एक शीर्ष पदाधिकारी ने एएनआइ के साथ बातचीत में कहा कि सीएए विरोधी प्रदर्शनों और हिंसा की साजिश पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) और आल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने रची थी।

शाहीन बाग जैसे प्रदर्शनों के बारे में पूछे जाने पर संघ पदाधिकारी ने कहा, 'हमारा मानना है कि सीएए विरोधी प्रदर्शन और हिंसा के पीछे पीएफआइ (Popular Front of India, PFI) और आइसा (All India Students Association, AISA) का हाथ है। वोट बैंक की राजनीति के चलते कांग्रेस ने इन संगठनों के आगे समर्पण कर दिया है, जो अपने मुखौटा संगठनों के जरिए देश को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं।' उन्होंने कहा कि कांग्रेस के सामाजिक समूहों के साथ जुड़ने के इन्कार के चलते ही पीएफआइ और आइसा सीएए विरोधी प्रदर्शनों को अपने नियंत्रण में लेने में सफल रहे।

संघ पदाधिकारी (RSS leader) ने कहा कि संघ इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए देश भर में अभियान शुरू करेगा। संघ ने इस तरह का एक कार्यक्रम चलाकर मुस्लिमों के अंदर बैठे भ्रम को दूर भी किया था। संघ ने मुस्लिम समुदाय के वरिष्ठ सदस्यों को भी अपने लोगों के बीच यह बताने के लिए कहा है कि सीएए से देश के किसी व्यक्ति की नागरिकता नहीं जाएगी। उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि मामले में कोर्ट के फैसले के बाद संघ ने मुस्लिम नेताओं के साथ इसी तरह का एक कार्यक्रम चलाया था।

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