तीर्थ के रूप में विकसित होगा राम का ननिहाल, छत्‍तीसगढ़ के मुख्‍यमंत्री ने किया एलान

सरकार भगवान राम के वनगमन मार्ग को पर्यटन परिपथ के रूप में विकसित कर रही है ताकि इन स्थलों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिल सके।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Thu, 30 Jul 2020 06:15 AM (IST) Updated:Thu, 30 Jul 2020 06:15 AM (IST)
तीर्थ के रूप में विकसित होगा राम का ननिहाल, छत्‍तीसगढ़ के मुख्‍यमंत्री ने किया एलान
तीर्थ के रूप में विकसित होगा राम का ननिहाल, छत्‍तीसगढ़ के मुख्‍यमंत्री ने किया एलान

रायपुर, राज्य ब्यूरो। छत्तीसगढ़ में राजधानी रायपुर के निकट माता कौशल्या की जन्मभूमि चंदखुरी में शीघ्र ही भव्य मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को धर्मपत्नी मुक्तेश्वरी बघेल और परिवार के सदस्यों के साथ मंदिर में पूजा-अर्चना की। उन्होंने मंदिर के सौंदर्यीकरण और परिसर के विकास की समीक्षा करते हुए कहा कि भगवान राम के ननिहाल में सौन्दर्यीकरण के दौरान मंदिर के मूलस्वरूप को यथावत रखा जाएगा। यहां आने वाले श्रद्घालुओं की सुविधाओं का विशेष रूप से ध्यान रखा जाएगा। अगस्त के तीसरे सप्‍ताह से निर्माण कार्य शुरू करने के लिए 15 करोड़ रुपये उपलब्ध करा दिए गए हैं।

भगवान राम का वनगमन मार्ग पर्यटन परिपथ के रूप में होगा विकसित

सीएम ने कहा कि छत्तीसगढ़ भगवान राम का ननिहाल है। यहां कण-कण में भगवान राम बसे हुए हैं। भगवान राम ने वनवास का काफी समय यहां व्यतीत किया। सरकार भगवान राम के वनगमन मार्ग को पर्यटन परिपथ के रूप में विकसित कर रही है, ताकि इन स्थलों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिल सके। बघेल ने कहा कि चंदखुरी में 15 करोड़ की लागत से सौंदर्यीकरण का कार्य कराया जाएगा।

उन्होंने तालाब के बीच से होकर गुजरने वाले पुल की मजबूती के साथ ही यहां परिक्रमा पथ, सर्वसुविधायुक्त धर्मशाला और शौचालय बनाने का निर्देश दिया। बघेल ने मंदिर परिसर में बेल और उनकी धर्मपत्नी ने महुआ का पौधा रोपा। इसके साथ ही परिसर में आवंला, पीपल, अमरूद और करंज के पौधे भी लगाए गए। मुख्यमंत्री ने पौधों पर सेरीखेड़ी महिला समूह द्वारा बांस से बनाए जा रहे ट्री-गार्डों को लगवाया।

137 करोड़ में तैयार होगा राम वन गमन पथ

छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पर्यटन परिपथ को विकसित करने के उद्देश्य से प्रथम चरण में नौ स्थलों का चयन किया गया है। इसमें सीतामढ़ी—हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (अंबिकापुर), शिवरीनारायण (जांजगीर—चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), चंदखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा—साऋषि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर), रामाराम (सुकमा) शामिल हैं। इसकी लागत 137.45 करोड़ रुपये है।

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