Pulwama Terror Attack: अमेरिका ने कहा- आतंक के खिलाफ भारत को अपनी रक्षा करने का अधिकार है

पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान की लोकतांत्रिक सरकार के वरिष्ठ नेताओं की तरफ से कोई बयान नहीं आया है। पाक विदेश मंत्रालय का बयान बेहद खानापूर्ति करने वाला था।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sat, 16 Feb 2019 07:26 PM (IST) Updated:Sat, 16 Feb 2019 07:26 PM (IST)
Pulwama Terror Attack: अमेरिका ने कहा- आतंक के खिलाफ भारत को अपनी रक्षा करने का अधिकार है
Pulwama Terror Attack: अमेरिका ने कहा- आतंक के खिलाफ भारत को अपनी रक्षा करने का अधिकार है

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। क्या अमेरिका ने भारत को यह संकेत दे दिया है कि वह सीमा पार आतंक के खिलाफ अपनी रक्षा के लिए उचित कार्रवाई कर सकता है? क्या पाकिस्तान सरकार को भी भारत के इरादे का पता है और शायद यही वजह है कि पुलवामा हमले के दो दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक पीएम इमरान खान और विदेश मंत्री शाह कुरैशी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई है?

इमरान की चुप्पी के पीछे कहीं अमेरिका का तल्ख तेवर तो नहीं

उक्त दोनों सवालों के जवाब का पता अगले कुछ दिनों में चलेगा, लेकिन संकेत ऐसे हैं कि अमेरिका भी पाकिस्तान के आतंकी चेहरे से परेशान है और इस बात को इमरान खान की सरकार भी बखूबी समझ रही है।

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जॉन बोल्टन ने भारतीय एनएसए अजीत डोभाल के साथ वार्ता में जो बातें कही है वे बहुत मायने रखती हैं। शुक्रवार को दोनों के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत में अमेरिकी एनएसए ने यह कहा है कि सीमा पार आतंक के खिलाफ भारत को अपनी रक्षा करने का अधिकार है।

खास तौर पर बोल्टन ने जिस तेवर से पाकिस्तान को सीधे तौर पर इस हमले के लिए जिम्मेदार ठहराया है उससे भारतीय पक्ष को भी मजबूती मिलती है।

विदेश मंत्रालय के मुताबिक बोल्टन ने सीमा पार आतंक के खिलाफ कार्रवाई करने की भारत के अधिकार का समर्थन किया है। दोनो एनएसए में यह भी सहमति बनी है कि पाकिस्तान जैश जैसे आतंकी संगठनों का सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ है और वे पाकिस्तान पर मिल कर दबाव बनाएंगे कि वह भारत में आतंकी वारदातों को अंजाम देने वाले जैश व अन्य आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करे।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि जैश जैसे आतंकी समूहों को भविष्य में हमले से रोकने के लिए उठाये गये कदमों का वह समर्थन करता है।

इस बीच भारतीय पक्षकार इस हमले के बाद इमरान की चुप्पी के मायने निकालने की कोशिश कर रहा है। जनवरी, 2016 में पठानकोट हमले के कुछ घंटे बाद ही पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ ने पीएम नरेंद्र मोदी को फोन कर अपना दुख जताया था और इस घटना की जांच करवाने का भरोसा दिलाया था। इसके बाद पाकिस्तान सेना के विरोध के बावजूद शरीफ सरकार ने जांच के लिए विशेष टीम गठित की।

कई जानकार मानते है कि उसके बाद से ही पाक सेना और शरीफ के रिश्ते बिगड़ने लगे। लेकिन पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान की लोकतांत्रिक सरकार के वरिष्ठ नेताओं की तरफ से कोई बयान नहीं आया है। पाक विदेश मंत्रालय का बयान बेहद खानापूर्ति करने वाला था।

इससे साफ होता है कि इमरान खान की सरकार पूरी तरह से पाकिस्तान सेना के इशारे पर काम कर रही है। ऐसा लगता है कि पाक सेना ने पीएम खान को कश्मीर व भारत संबंधी मामले में चुप रहने का निर्देश दिया है। इसके पीछे दूसरी वजह यह भी हो सकती है कि इमरान खान सरकार को संभवत: यह मालूम है कि इस बार मामला ज्यादा गंभीर है।

बहरहाल, डोभाल व बोल्टन के बीच जैश के सरगना मौलाना मसूद अजहर को लेकर भी बातचीत हुई है। दोनो देशों की तरफ से पहले भी मसूद के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र की तरफ से प्रतिबंध लगाने के लिए सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1267 के तहत प्रतिबंध लगाने की काफी कोशिश हुई है लेकिन उसमें सफलता नहीं मिली है।

शुक्रवार को हुई वार्ता में भी यह मुद्दा उठा और अजहर पर प्रतिबंध लगाने के लिए नए सिरे से कोशिश करने की बात हुई। दोनो देशों ने एक तरह से चीन को यह संकेत दिया है कि वह मसूद अजहर पर प्रतिबंध को लेकर अड़चनें लगाना बंद करे। सनद रहे कि इस बारे में भारत, अमेरिका, फ्रांस व ब्रिटेन की तरफ से प्रस्ताव लाये गये हैं जिसे हर बार चीन ने वीटो करके गिरा दिया है।

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