पांच दशकों तक कांग्रेस का झंडा ढोया, 6 घंटे रांची में रहे, लेकिन दूर रहे कांग्रेसी

छह महीने पूर्व (जून 2018) आरएसएस के कार्यक्रम में क्या गए, कांग्रेसी इनसे दूरी बरतने लगे हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sat, 15 Dec 2018 09:10 PM (IST) Updated:Sun, 16 Dec 2018 12:14 AM (IST)
पांच दशकों तक कांग्रेस का झंडा ढोया, 6 घंटे रांची में रहे, लेकिन दूर रहे कांग्रेसी
पांच दशकों तक कांग्रेस का झंडा ढोया, 6 घंटे रांची में रहे, लेकिन दूर रहे कांग्रेसी

रांची, आशीष झा। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने 83 वर्ष के जीवन में पांच दशकों से अधिक समय कांग्रेस को दिया। पार्टी का प्रतिनिधित्व उन्होंने राज्यसभा, लोकसभा, विभिन्न मंत्रालयों से लेकर राष्ट्रपति बनने तक किया। उनके कार्यकाल में पार्टी जब भी संकट में फंसी वो संकटमोचक बनकर सामने आए। उन्हें पार्टी का थिंक टैंक तक कहा जाता था। जब तक सक्रिय राजनीति में रहे हर फोरम पर कार्यकर्ताओं ने सिर आंखों पर बैठाया। लेकिन छह महीने पूर्व (जून 2018) आरएसएस के कार्यक्रम में क्या गए, कांग्रेसी उनसे दूरी बरतने लगे।

हद तो तब हो गई जब शनिवार को छह घंटे रांची में रहने के बावजूद उनके स्वागत से लेकर विदाई तक में कांग्रेसी नजर नहीं आए। कांग्रेस के पदाधिकारी इस मसले पर कुछ बोल तो नहीं रहे लेकिन पीठ पीछे बता रहे कि कार्यक्रम की जानकारी प्रदेश कांग्रेस कमेटी को नहीं थी।

पूरा जीवन काग्रेस को समर्पित किया
1935 में जन्मे और विभिन्न मंचों पर कांग्रेस का प्रतिनिधित्व कर चुके प्रणब मुखर्जी अपने पूरे जीवन कांग्रेस के प्रति समर्पित रहे। कांग्रेस से उन्हें सम्मान भी कम नहीं मिला। राज्यसभा, लोकसभा और मंत्रालयों में उन्होंने कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया। बीच के राजनीतिक जीवन में लगभग तीन वर्षों के लिए अपनी पार्टी बनाई तो उसका नाम (राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस) भी कांग्रेस से जुड़ा रहा।

दादा सभी दलों में हैं लोकप्रिय
वर्ष 1989 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से समझौता होने के बाद प्रणब जब वापस कांग्रेस में आए तो उन्हें अहम जिम्मेदारियां मिलीं और सोनिया गांधी के कई निर्णय लेने में इनकी भूमिका अहम मानी जाती रही। राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने दलगत भावनाओं से ऊपर उठकर अपनी भूमिका निभाई और सभी दलों में इनकी लोकप्रियता बढ़ी।

..इसके बाद कांग्रेस ने बना ली दूरी
इसी का नतीजा था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक केबी हेडगेवार के जन्मस्थल पर उनका भरपूर स्वागत 8 जून 2018 को एक कार्यक्रम में किया गया। यहां उन्होंने हेडगेवार को भारत का महान सपूत बताया।

इस कार्यक्रम में उनके शरीक होने के बाद कांग्रेसियों ने खुलकर आलोचना तो नहीं की लेकिन पूर्व राष्ट्रपति से दूरी बनाकर रहने लगे। यही कारण था कि शनिवार को रांची में सवा दो बजे की फ्लाइट से पहुंचने और रात सवा आठ बजे की फ्लाइट से रवानगी के पूर्व प्रणब दो कार्यक्रमों का अहम हिस्सा बने लेकिन कांग्रेसी दूर रहे।

कार्यक्रम में शरीक होने थे पहुंचे पूर्व राष्ट्रपति 
रांची में एक स्कूल के आयोजन और और भारतीय प्रबंधन संस्थान (आइआइएम), रांची के स्थापना दिवस कार्यक्रम में शरीक होने पहुंचे पूर्व राष्ट्रपति इसके पहले जब भी यहां आए तो उनके स्वागत में कांग्रेसी जरूर जुटते लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। लौटने के क्रम में कुछ लोग एयरपोर्ट पर व्यक्तिगत रिश्तों के कारण पहुंचे थे लेकिन पार्टी ने दूरी बनाए रखी। गुलदस्ता तो दूर, एक फूल तक लेकर कांग्रेसी नहीं पहुंचे। 

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