संसद में गूंजा चमकी बुखार से बच्चों की मौतों का मामला, रूड़ी बोले- लीची का ठप हुआ कारोबार
लोकसभा और राज्यसभा में बिहार में चमकी बुखार से बच्चों की मौतों का मामला उठा। राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा कि लीची को लेकर भय के कारण इसका कारोबार प्रभावित हुआ है।
नई दिल्ली, एजेंसी। बिहार में चमकी बुखार (Chamki Fever), एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome, AES) से हो रही बच्चों की मौतों का मामला शुक्रवार को संसद के दोनों सदनों में गूंजा। लोकसभा में कांग्रेस सासंद अधीर रंजन चौधरी ने बच्चों की मौत का मुद्दा उठाया। वहीं राज्यसभा में राजद सांसद मनोज झा ने इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की। राज्यसभा में सदस्यों ने केंद्र सरकार से तत्काल पीड़ित परिवारों को पर्याप्त मुआवजा देने की मांग की।
लोकसभा में इस मुद्दे पर जवाब देते हुए स्मृति इरानी ने कहा कि मैं एक मां भी हूं इसलिए जानती हूं कि बच्चों की मौत कितनी दुखद होती है। वहीं कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि अध्यक्ष जी मैं आपके माध्यम से पूछना चाहता हूं कि चमकी बुखार से बच्चों की लगातार हो रही मौतों के मामले में सरकार क्या कदम उठा रही है। क्या बच्चों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ मिला है। इस बीमारी से बिहार में हो रही मौतों पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री चुप क्यों हैं।
राज्यसभा में सदस्यों ने उच्च सदन में शून्यकाल में यह मुद्दा उठाया। सभापति एम. वेंकैया नायडू ने शोक जताते हुए कहा कि सदन इस बीमारी से जान गंवाने वाले मासूमों को श्रद्धांजलि देता है। इसके बाद सदस्यों ने अपने स्थानों पर कुछ क्षणों का मौन रखकर जान गंवाने वाले बच्चों को श्रद्धांजलि अर्पित की। वहीं भाकपा के विनय विश्वम ने कहा कि सरकार इसे दुर्घटना बता रही है जबकि इसे गरीब बच्चों की हत्या कहा जाना चाहिए।
विनय विश्वम ने कहा कि आधिकारिक तौर पर बिहार में इस बीमारी से 130 बच्चों की मौत हो चुकी है और अस्पतालों में न तो कोई दवा है और न ही इस रोग के इलाज के लिए जरूरी सुविधाएं हैं। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह स्थिति में सुधार के लिए तत्काल कदम उठाए और प्रभावित परिवारों को पर्याप्त मुआवजा दे। कांग्रेस सहित विपक्ष के कई सदस्य इस विषय पर चर्चा की मांग कर रहे थे लेकिन आसन ने इसकी अनुमति नहीं दी।
लोकसभा में भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि इस घटना के लिए केवल लीची को दोष देना ठीक नहीं है। हमें इस बारे में अध्ययन कराना चाहिए। लीची को लेकर चल रही खबरों के कारण लोगों में डर बैठ गया है। लोग लीची नहीं खा रहे हैं और ना इसका जूस पी रहे हैं। इसका बुरा असर निर्यात पर भी पड़ा है। हजारों टन लीची बंदरगाहों पर पड़ी है। इससे बिहार के लीची उत्पादकों को भारी नुकसान भी हो रहा है।
लोकसभा में इस मुद्दे पर जवाब देते हुए स्मृति इरानी ने कहा कि मैं एक मां भी हूं इसलिए जानती हूं कि बच्चों की मौत कितनी दुखद होती है। वहीं कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि अध्यक्ष जी मैं आपके माध्यम से पूछना चाहता हूं कि चमकी बुखार से बच्चों की लगातार हो रही मौतों के मामले में सरकार क्या कदम उठा रही है। क्या बच्चों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ मिला है। इस बीमारी से बिहार में हो रही मौतों पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री चुप क्यों हैं।
राज्यसभा में सदस्यों ने उच्च सदन में शून्यकाल में यह मुद्दा उठाया। सभापति एम. वेंकैया नायडू ने शोक जताते हुए कहा कि सदन इस बीमारी से जान गंवाने वाले मासूमों को श्रद्धांजलि देता है। इसके बाद सदस्यों ने अपने स्थानों पर कुछ क्षणों का मौन रखकर जान गंवाने वाले बच्चों को श्रद्धांजलि अर्पित की। वहीं भाकपा के विनय विश्वम ने कहा कि सरकार इसे दुर्घटना बता रही है जबकि इसे गरीब बच्चों की हत्या कहा जाना चाहिए।
विनय विश्वम ने कहा कि आधिकारिक तौर पर बिहार में इस बीमारी से 130 बच्चों की मौत हो चुकी है और अस्पतालों में न तो कोई दवा है और न ही इस रोग के इलाज के लिए जरूरी सुविधाएं हैं। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह स्थिति में सुधार के लिए तत्काल कदम उठाए और प्रभावित परिवारों को पर्याप्त मुआवजा दे। कांग्रेस सहित विपक्ष के कई सदस्य इस विषय पर चर्चा की मांग कर रहे थे लेकिन आसन ने इसकी अनुमति नहीं दी।
लोकसभा में भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि इस घटना के लिए केवल लीची को दोष देना ठीक नहीं है। हमें इस बारे में अध्ययन कराना चाहिए। लीची को लेकर चल रही खबरों के कारण लोगों में डर बैठ गया है। लोग लीची नहीं खा रहे हैं और ना इसका जूस पी रहे हैं। इसका बुरा असर निर्यात पर भी पड़ा है। हजारों टन लीची बंदरगाहों पर पड़ी है। इससे बिहार के लीची उत्पादकों को भारी नुकसान भी हो रहा है।
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