मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के सहारे विपक्षी खेमेबंदी की सियासत

कांग्रेस की नजर में कुछ पार्टियां सीधे सरकार के खिलाफ नजर आने की बजाय वाकआउट कर अपनी सियासत खुला रखने का दांव चल सकती हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Wed, 18 Jul 2018 09:44 PM (IST) Updated:Thu, 19 Jul 2018 12:26 AM (IST)
मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के सहारे विपक्षी खेमेबंदी की सियासत
मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के सहारे विपक्षी खेमेबंदी की सियासत

संजय मिश्र, नई दिल्ली। कांग्रेस का मानना है कि एनडीए के पास लोकसभा में संख्या बल को देखते हुए अविश्वास प्रस्ताव से मोदी सरकार की सेहत पर भले फर्क नहीं पड़ेगा मगर इससे पक्ष और विपक्ष की सियासी खेमेबंदी की तस्वीर जरूर स्पष्ट हो जाएगी। एनडीए के खिलाफ व्यापक विपक्षी गठबंधन की सियासत के लिहाज से खेमेबंदी की तस्वीर साफ होने में कांग्रेस अपना राजनीतिक फायदा देख रही है।

इसीलिए विपक्षी खेमा नंबर नहीं होने के बावजूद सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के मंजूर होने को लेकर उत्साहित दिखा। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शायद इसी उत्साह में विपक्ष के पास संख्या नहीं होने के सवाल पर जवाबी सवाल दागते हुए कहा कि किसने कहा है कि हमारे पास नंबर नहीं है? हालांकि इस जवाबी सवाल से इतर कांग्रेस ही नहीं विपक्षी खेमे के सभी दलों को लोकसभा के आंकड़ों के गणित को लेकर कोई संदेह नहीं है।

दिलचस्पी तो इस बात में है कि अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष की पार्टियों में कौन कहां खड़ा होगा। कांग्रेस को उम्मीद है कि सपा, टीएमसी, द्रमुक, राजद, एनसीपी, वामदलों, झामुमो आदि जैसे दल तो अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेंगे ही। बीजू जनता दल, अन्नाद्रमुक, तेलंगाना राष्ट्र समिति जैसी पार्टियां अविश्वास प्रस्ताव पर कैसी रणनीति अपनाती हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।

कांग्रेस की नजर में इनमें से कुछ पार्टियां सीधे सरकार के खिलाफ नजर आने की बजाय वाकआउट कर अपनी सियासत खुला रखने का दांव चल सकती हैं। अगर बीजेडी ने ऐसा किया तो फिर कांग्रेस को ओडि़सा की राजनीति में भाजपा व बीजेडी के बीच अंदरुनी सांठगांठ को प्रचारित करने का मौका मिलेगा। चार महीने पहले तक एनडीए का हिस्सा रहा टीडीपी अविश्वास प्रस्ताव लाकर पहले ही विपक्षी खेमे में नजर आ रहा है। इसी तरह टीआरएस ने विपक्षी खेमे का अगर साथ नहीं दिया तो फिर फेडरल फ्रंट के सहारे गैर कांग्रेस विपक्ष की सियासत के चंद्रशेखर राव के दांव को भी विपक्ष पंक्चर करने में कसर नहीं छोड़ेगा।

कांग्रेस इस मौके को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शख्सियत पर ही नहीं उनकी सरकार के खिलाफ जबरदस्त प्रहार करने के लिए इस्तेमाल करेगी। अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्षी खेमे के दलों के साथ समन्वय में जुटे कांग्रेस के एक वरिष्ठ रणनीतिकार ने कहा भी कि इन वजहों से ही सरकार को कठघरे में खड़ा करने वाले मसलों की गंभीरता जनता में ठीक से नहीं पहुंच पायी है। ऐसे में अविश्वास प्रस्ताव वह मौका होगा जब रॉफेल डील में कथित भ्रष्टाचार, रोजगार के वादों पर नाकामी, कालेधन, भीड़ द्वारा हत्याओं की घटनाओं, संवैधानिक संस्थाओं की अनदेखी से लेकर कथित राजनीतिक खरीद फरोख्त के सहारे राज्यों में सरकार बनाने जैसे मुद्दों के सहारे सीधे पीएम मोदी पर हमला बोला जाएगा।

कांग्रेस इस बात से भी पूरी तरह अवगत है कि पीएम मोदी अपनी शैली में विपक्षी दलों पर जवाबी वार करेंगे। मगर इसके बाद भी अविश्वास प्रस्ताव को विपक्ष इस लिहाज से अपने हक में देख रहा कि उसकी बातें भी जनता तक पहुंचेगी और अगले चुनाव से पहले सियासी विमर्श की एकतरफा दिशा काफी हद तक बदली जा सकेगी। 

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