छत्तीसगढ़: सरकारी दफ्तरों में नजर आएगी इंदिरा और राजीव गांधी की तस्वीर, जारी हुआ निर्देश

पूर्व पीएम इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की तस्वीरों के साथ ही निर्देश जारी किया गया कि सरकारी दफ्तरों में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी राष्ट्रपति और पीएम मोदी की तस्वीर लगाई जाए।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Thu, 15 Aug 2019 06:27 PM (IST) Updated:Thu, 15 Aug 2019 06:33 PM (IST)
छत्तीसगढ़: सरकारी दफ्तरों में नजर आएगी इंदिरा और राजीव गांधी की तस्वीर, जारी हुआ निर्देश
छत्तीसगढ़: सरकारी दफ्तरों में नजर आएगी इंदिरा और राजीव गांधी की तस्वीर, जारी हुआ निर्देश

रायपुर, जेएनएन। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद अब सरकारी दफ्तरों का नजारा बदल रहा है। सरकार ने सरकारी दफ्तरों में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की तस्वीर लगाने का फैसला किया है।

प्रदेश में 15 साल से भाजपा की सरकार होने के कारण इन नेताओं की तस्वीरें सरकारी दफ्तरों में नजर नहीं आ रही थीं। सरकारी दफ्तरों में इन नेताओं की जगह श्याम प्रसाद मुखर्जी और दीनदयान उपाध्याय की तस्वीरों ने स्थान ले लिया था। अब भूपेश सरकार ने स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले यह फैसला करके सरकारी दफ्तरों में कांग्रेस से जुड़े महापुरुषों की तस्वीर को जगह देने को कहा है।

सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी दफ्तरों के लिए निर्देश जारी कर दिया है। इसमें स्पष्ट लिखा गया है कि सरकारी दफ्तरों में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की तस्वीर को अनिवार्य रूप से लगाया जाए। सभी नगरीय निकाय, पंचायत कार्यालयों, सर्किट हाउस और रेस्ट हाउस में ये तीन तस्वीर लगाना अनिवार्य हैं।

इसके साथ ही सरदार बल्लभभाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद और डॉ. भीमराव आंबेडकर की तस्वीर को लगाने का भी निर्देश दिया गया है। राष्ट्रीय नेताओं के साथ-साथ सरकारी दफ्तरों में प्रदेश के मुख्यमंत्री और राज्यपाल की तस्वीर लगाने का भी निर्देश दिया गया है।

सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राज्यपाल अनुसुईया उइके की अनुमोदित तस्वीर ही लगाना है। इससे प्रदेशभर में एकरुपता नजर आएगी।

सरकारी योजनाओं से हटाया था भाजपा नेताओं का नाम
राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सरकारी योजनाओं से भाजपा नेताओं का नाम हटाया गया था। नगरीय निकाय की एक दर्जन योजनाओं का नाम इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के नाम पर किया गया था। इसका भाजपा ने विरोध भी किया था। उस समय सरकार ने तर्क दिया था कि योजनाओं का नाम बदलने का काम भाजपा सरकार ने शुरू किया था। अब उनकी सरकार है, इसलिए कांग्रेस से जुड़े महारुपुषों का नाम किया जा रहा है।

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