अफगानिस्तान को नहीं बनने देंगे आतंकवाद की पनाहगाह, दिल्ली डायलाग में देशों ने एकजुटता का लिया संकल्प

राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की नई दिल्‍ली में हुई बैठक में भारत रूस ईरान के अलावा मध्य एशिया के पांच देशों ने अफगानिस्तान से आतंकवाद कट्टरता और मादक दवाओं के दूसरे देशों में प्रसार की बढ़ती आशंका पर लगाम लगाने की जरूरत व्यक्त की।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Wed, 10 Nov 2021 09:10 PM (IST) Updated:Thu, 11 Nov 2021 09:59 AM (IST)
अफगानिस्तान को नहीं बनने देंगे आतंकवाद की पनाहगाह, दिल्ली डायलाग में देशों ने एकजुटता का लिया संकल्प
राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में देशों ने अफगानिस्तान से आतंकवाद पर लगाम लगाने की जरूरत व्यक्त की।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। भारत, रूस, ईरान के अलावा मध्य एशिया के पांच देशों ने एक साथ बुधवार को अफगानिस्तान के मौजूदा राजनीतिक हालात पर न सिर्फ गंभीर चिंता जताई बल्कि वहां से आतंकवाद, कट्टरता और मादक दवाओं के दूसरे देशों में प्रसार की बढ़ती आशंका पर लगाम लगाने की जरूरत व्यक्त की। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए साथ मिलकर काम करने का संकल्प लिया कि अफगानिस्तान वैश्विक आतंकवाद की सुरक्षित पनाहगाह न बनने पाए। आठों देशों ने काबुल में खुली और सही मायनों में समावेशी सरकार के गठन का भी आह्वान किया।

सुरक्षा मामलों के प्रमुखों की बैठक

अफगानिस्तान की स्थिति पर बुधवार को आठ देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एनएसए) या सुरक्षा मामलों के प्रमुखों की बैठक (दिल्ली डायलाग) का आयोजन किया गया। भारत के एनएसए अजीत डोभाल ने बैठक की अध्यक्षता की। इसमें रूस, ईरान, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, किर्गिस्तान, कजाखस्तान और ताजिकिस्तान के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

आतंकवाद के लिए नहीं हो अफगानिस्‍तान का इस्‍तेमाल

बैठक के बाद जारी घोषणा पत्र में सबसे अहम बात यह है कि इसमें भारत के इस मत को जगह दी गई है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी भी तरह की आतंकी गतिविधियों के लिए नहीं होना चाहिए और आतंकियों को प्रश्रय देने या उन्हें प्रशिक्षण देने या उनके वित्त पोषण आदि का काम वहां नहीं होना चाहिए।

आतंकी वारदातों की निंदा

घोषणा पत्र में हाल ही में अफगानिस्तान के कई हिस्सों में हुई आतंकी वारदातों की कड़े शब्दों में निंदा की गई है। इन देशों ने कहा कि वे हर तरह की आतंकी वारदातों की निंदा करते हैं और आतंकवाद के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता जताते हैं। उन्होंने ऐसा हर कदम उठाने की अपील की जिससे अफगानिस्तान वैश्विक आतंकवाद की सुरक्षित पनाहगाह न बनने पाए। सनद रहे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में ऐसी ही अपील की थी।

पाकिस्तान को अप्रत्यक्ष संदेश

अहम बात यह है कि घोषणा पत्र में पाकिस्तान को अप्रत्यक्ष संदेश देते हुए अफगानिस्तान की संप्रभुता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने और उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने की जरूरत पर भी बल दिया गया है। साथ ही इसमें काबुल में ऐसी सरकार बनाने का आग्रह किया गया है जिसमें वहां के सभी समुदायों को प्रतिनिधित्व मिले और जो जनभावना के अनुरूप हो। साथ ही वहां अल्पसंख्यकों, बच्चों और महिलाओं के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने की मांग की गई।

मानवीय मदद पहुंचाने की वकालत

बैठक में एनएसए डोभाल ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि अफगानिस्तान में जो कुछ हो रहा है, उसका सिर्फ वहां के निवासियों पर ही असर नहीं होगा बल्कि पड़ोसी देशों और पूरे क्षेत्र पर असर पड़ेगा। अभी इस बात की बेहद जरूरत है कि क्षेत्र के सभी देशों के बीच बेहतर समन्वय हो और गहरा विमर्श हो। उन्होंने अफगानी नागरिकों को मानवीय मदद पहुंचाने की वकालत की।

बिगड़ती स्थिति पर चिंता जताई

इस बात को दिल्ली घोषणा पत्र में भी जगह दी गई है। आठों देशों ने वहां सामाजिक, आर्थिक और मानवीय स्थिति की दिनों दिन बिगड़ती स्थिति पर चिंता जताई और कहा है कि अफगानी नागरिकों तक मानवीय मदद जल्द से जल्द पहुंचाने की जरूरत है। यह मदद अफगानिस्तान के हर हिस्से में बिना किसी भेदभाव के सीधे तौर पर पहुंचाई जानी चाहिए।

साझा रणनीति बनाने पर विमर्श

बैठक के बाद आठों देशों के प्रतिनिधियों ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की और अफगानिस्तान पर हुई चर्चा को लेकर विमर्श किया। प्रधानमंत्री के साथ बैठक में भी यह मुद्दा छाया रहा कि किस तरह आठों देशों के बीच अफगानिस्तान से उपजी चिंताओं को लेकर एक साझा रणनीति बने।

संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर जोर

घोषणा पत्र में अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र के प्रासंगिक प्रस्तावों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि वहां संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका है और वहां उसकी उपस्थिति बरकरार रहनी चाहिए। सभी प्रतिभागी देशों ने इस बैठक का आयोजन करने के लिए भारत को धन्यवाद दिया। इससे पहले ईरान ने 2018 और 2019 में इस बैठक का आयोजन किया था।

कोरोना के खिलाफ लड़ाई में मदद देने का आश्वासन

घोषणा पत्र में कोरोना महामारी का प्रसार रोकने के लिए अफगानिस्तान को मदद उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता को दोहराया गया है। साथ ही भविष्य में एक दूसरे का साथ बातचीत कायम रखने पर सहमति व्यक्त की गई।

ईरान ने भी आतंकवाद पर जताई चिंता

बैठक में ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव रियर एडमिरल अली शमखानी ने अफगानिस्तान में आतंकवाद, गरीबी और मानवता के संकट की चुनौतियों की जिक्र करते हुए वहां समावेशी सरकार की वकालत की। रूस की सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पात्रुशेव ने कहा कि कार्यो में दोहराव नहीं होना चाहिए बल्कि वे एक दूसरे के पूरक होने चाहिए। कजाखस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के प्रमुख करीम मासीमोव ने कहा कि अफगानिस्तान के अंदरूनी हालात जटिल बने हुए हैं।

आज इस्लामाबाद में बैठक

दिल्ली डायलाग में चीन और पाकिस्तान ने अपने एनएसए को भाग लेने के लिए नहीं भेजा। हालांकि एक दिन बाद 11 नवंबर, 2021 को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में अफगानिस्तान को लेकर एक दूसरी महत्वपूर्ण बैठक होनी है जिसमें चीन, अमेरिका और रूस के अधिकारी भाग लेंगे। माना जा रहा है भारत ने जिस तरह अफगानिस्तान के मुद्दे पर आगे बढ़कर रूस, ईरान और सभी मध्य एशियाई देशों की बैठक की है, उसको देखते हुए ही पाकिस्तान ने अपने यहां एक अलग बैठक आयोजित की है। 

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