एयरसेल मैक्सिस डील में पी. चिदंबरम को राहत, एक फरवरी तक नहीं होगी गिरफ्तारी

3500 करोड़ रुपये के एयरसेल-मैक्सिस घोटाले में आरोपित पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को लेकर दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई।

By JP YadavEdited By: Publish:Tue, 18 Dec 2018 10:23 AM (IST) Updated:Fri, 11 Jan 2019 02:52 PM (IST)
एयरसेल मैक्सिस डील में पी. चिदंबरम को राहत, एक फरवरी तक नहीं होगी गिरफ्तारी
एयरसेल मैक्सिस डील में पी. चिदंबरम को राहत, एक फरवरी तक नहीं होगी गिरफ्तारी

नई दिल्ली, जेएनएन। 3500 करोड़ रुपये के एयरसेल-मैक्सिस घोटाले में आरोपित पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को लेकर दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए एक फरवरी की तारीख तय की है। इसी के साथ कोर्ट ने पी चिदंबरम और कार्ति चिदंरम की अंतरिम जमानत भी सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय केस दोनों में एक फरवरी तक बढ़ा दी है। दोनों को इस तारीख तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकेगा।

बता दें इससे पहले 27 नवंबर को हुई सुनवाई में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम पर मुकदमा चलाने का रास्ता साफ हो गया है। घोटाले के समय चिदंबरम केंद्रीय वित्त मंत्री थे, इसलिए उन पर मुकदमा चलाने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) को केंद्र सरकार की अनुमति की जरूरत थी, जो अब मिल गई है। 27 नवंबर को हुई सुनवाई में पटियाला हाउस कोर्ट स्थित विशेष अदालत में सीबीआइ ने यह जानकारी दी थी। 

अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता सुनवाई के लिए सीबीआइ की ओर से पटियाला हाउस कोर्ट में पेश हुए थे। उन्होंने अदालत को बताया था कि एयरसेल-मैक्सिस घोटाले में कुल 18 आरोपित हैं, जिनमें पी. चिदंबरम समेत 11 के खिलाफ मुकदमा चलाने की केंद्र सरकार से मंजूरी मिल गई है।

इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआइ ने पी. चिदंबरम पर आरोप लगाया था कि वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। चिदंबरम और कार्ति ने कोर्ट में जवाब दाखिल कर इस आरोप को नकारा था। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआइपीबी) ने निवेश को मंजूरी देने में कोई अपराध नहीं किया था और न ही इस मामले में कोई षड्यंत्र किया गया।

 चिदंबरम समेत ये हैं आरोपित

25 अक्टूबर को सीबीआइ द्वारा दाखिल पूरक आरोप पत्र में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को आरोपित नंबर-1 बताया गया है। वहीं, कार्ति, सीए एस. भास्करन, एयरसेल के पूर्व सीईओ वी. श्रीनिवासन, मैक्सिस से ऑगस्टस रॉल्फ मार्शल, एस्ट्रो ऑल एशिया नेटवर्क, एयरसेल टेलिवेंचर, मैक्सिस मोबाइल सर्विस, बुमि अरमदा व बुमि अरमदा नेविगेशन आरोपित हैं।

अधिकार से ज्यादा निवेश को मंजूरी देने का है आरोप

आरोप पत्र में कहा गया है कि पी. चिदंबरम ने वित्त मंत्री रहते हुए गलत तरीके से विदेशी निवेश को मंजूरी दी। उन्हें 600 करोड़ रुपये तक के निवेश की मंजूरी देने का अधिकार था, लेकिन यह सौदा करीब 3500 करोड़ रुपये निवेश का था। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपने अलग आरोप पत्र में कहा है कि कार्ति चिदंबरम के पास से मिले उपकरणों में से कई ई-मेल मिली हैं, जिनमें इस सौदे का जिक्र है।

क्या थी एयरसेल-मैक्सिस डील

मैक्सिस मलेशिया की एक कंपनी है, जिसका मालिकाना हक एक बिजनेस टॉयकून टी आनंद कृण्णन के पास है जिन्हें टैक नाम से भी जाना जाता है। टैक श्रीलंका की तमिल पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले एक मलेशियाई नागरिक हैं। एयरसेल को सबसे पहले एक एनआरआइ टॉयकून सी सिवसंकरन (सिवा) ने प्रमोट किया था, जो कि तमिलनाडु के मूल निवासी थे। साल 2006 में मैक्सिस ने एयरसेल की 74 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली थी। बाकी की 26 फीसदी हिस्सेदारी अब एक भारतीय कंपनी, जो कि अपोलो हॉस्पिटल ग्रुप से संबंधित है के पास है। इन 26 फीसदी शेयर का मालिकाना हक सुनीता रेड्डी के पास है जो कि अपोलो के ग्रुप फाउंडर डॉ सी प्रताप रेड्डी की बेटियों में से एक हैं। ये डील उस वक्त विवादों के घेरे में आ गई जब 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला उजागर हुआ। तब देश के सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ को आदेश दिया था कि वो इस मामले में ए राजा के पूर्ववर्ती मंत्रियों की जांच करे।

मामले से जुड़ी अहम बातें सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ को आदेश दिया कि वो ए राजा से पहले दूरसंचार मंत्री रहे दयानिधि मारन के खिलाफ जांच करे। इस मामले के चलते मारन को अप्रैल साल 2011 में इस्तीफा देना पड़ा था। एयरसेल-मैक्सिस डील उस वक्त जांच के घेरे में आ गई जब एयरसेल के मालिक सी सिवसंकरन ने शिकायत दर्ज करते हुए सीबीआइ को यह बताया था कि उन पर मैक्सिस को अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए दबाव बनाया गया था। दो सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की इस मामले में अलग अलग राय को देखते हुए मैक्सिस कम्युनिकेशंस Berhad ने 25 जुलाई 2014 को तात्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली से यह आग्रह किया था कि इस मामले की निष्पक्ष तरीके से जांच करवाई जाए। सीबीआइ ने 29 अगस्त 2014 को पूर्व टेलीकॉम मिनिस्टर दयानिधि मारन, उनके भाई कलानिधि मारन, मलेशियाई कंपनी मैक्सिस के ओनर टी आनंद कृष्णन, मैक्सिस ग्रुप के वरिष्ठ कार्यकारी राल्फ मार्शल और सन डायरेक्ट समेत चार अन्य कंपनियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। एयरसेल मैक्सिस मामले में समन भेजे जाने के 2जी स्पेशल कोर्ट के फैसले के खिलाफ मारन ने 5 फरवरी 2015 को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 8 जनवरी, 2016 को ईडी ने अपनी ताजा चार्जशीट में मारन बंधु, कलानिधि मारन की पत्नी कावेरी मारन, तीन अन्य लोग और दो कंपनियों को शामिल किया।

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