मप्र: कांग्रेस-भाजपा के लिए मुंगेली और कोलारस उप-चुनाव में जीत के क्या है मायने

मध्यप्रदेश के मुंगेली और कोलारस विधानसभा सीट पर होने वाले उप-चुनाव पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।

By Nancy BajpaiEdited By: Publish:Sun, 14 Jan 2018 01:48 PM (IST) Updated:Sun, 14 Jan 2018 03:40 PM (IST)
मप्र: कांग्रेस-भाजपा के लिए मुंगेली और कोलारस उप-चुनाव में जीत के क्या है मायने
मप्र: कांग्रेस-भाजपा के लिए मुंगेली और कोलारस उप-चुनाव में जीत के क्या है मायने

भोपाल (प्रेट्र)। मध्यप्रदेश के मुंगेली और कोलारस विधानसभा सीट पर होने वाले उप-चुनाव पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। इन चुनावों के परिणाम को भाजपा शासित राज्य में होने वाली आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। इन दोनों सीटों पर भाजपा और कांग्रेस को अपनी सीट का भरोसा है। वर्तमान में मुंगेली और कोलारस में कांग्रेस का बोल-बाला है। ये दोनों सीटे गुना लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं। जहां से कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया सांसद हैं।

कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई 

कांग्रेस विधायक महेंद्र सिंह कलुखेड़ा (मुंगेली) और राम सिंह यादव (कोलारस) की मौत हो जाने के कारण यहां उपचुनाव हो रहा है। हालांकि उप-चुनाव की तारीख का ऐलान अबतक नहीं हुआ है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए गढ़ की दोनों सीटों को जीतना प्रतिष्ठा की लड़ाई है, क्योंकि वह खुद को कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश कर रहे हैं।


भाजपा को चुनौती देने के लिए कांग्रेस ने अभी से कमर कस ली है। कांग्रेस अबतक दो बार इन सीटों का दौरा कर चुकी है। वहीं दूसरी ओर भाजपा ने चुनाव प्रचार के लिए कैबिनेट मंत्रियों को लगा रखा है, जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने क्षेत्र में मतदाताओं को लुभाने तमाम हथकड़े अपना रहे हैं। गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन और चित्रकूट सीट पर हुई जीत ने पार्टी के भरोसे को मजबूत किया है। कांग्रेस इसी जीत के भरोसे के साथ आगामी उप-चुनाव में भाजपा को टक्कर देने मैदान में उतरेंगी।

सिंधिया के निशाने पर शिवराज 

सिंधिया ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर लोगों से खोखले वादें करने का आरोप लगाया है। सिंधिया ने कहा, 'साल 2007 में शिवपुरी उप-चुनाव बीपोल के चौहान ने 146 घोषणाएं की थी। लेकिन पिछले 10-11 वर्षों में उनमें से केवल दो ही घोषणाओं को कार्यान्वित किया। इसी तरह अटेर उपचुनाव (2017) के दौरान भी मुख्यमंत्री ने लगभग 300 घोषणाएं की थी, जबकि मुंगेली और कोलारस में उन्होंने 425 वादें किए हैं, लेकिन जमीन पर कुछ भी नहीं दिख रहा है।'

कांग्रेस-भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज 

कांग्रेस की दो सीटों को छीनने के लिए चौहान ने हाल ही में इस क्षेत्र के लोगों के लिए कई सारी घोषणाएं की हैं, जिसमें सहारिया आदिवासियों के बीच कुपोषण से निपटने के लिए 1000 रुपये मासिक सहायता शामिल है, जो कोलारस और मुंगेली के क्षेत्र का अहम हिस्सा हैं। इस बीच कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। मध्यप्रदेश के सहकारिता राज्य मंत्री विश्वास सारंग ने कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए कहा कि पिछले कई सालों से कांग्रेस के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने विकास के नाम पर दोनों विधानसभा क्षेत्रों में कुछ काम नहीं किया है। उन्होंने कहा, 'राज्य सरकार विधानसभा क्षेत्रों के लोगों के लिए काम कर रही है और ट्यूबवेल की खुदाई, तालाबों का निर्माण और गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराने जैसे उपायों के साथ उन्हें मदद कर रही है। हालांकि, कांग्रेस हमारे खिलाफ चुनाव आयोग से शिकायत कर रही है, हालांकि इस तथ्य के बावजूद कि उपचुनाव का कार्यक्रम अभी तक घोषित नहीं किया गया है।' भाजपा की संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर सारंग ने कहा, ' हमें दोनों सीटों पर 100 फीसद जीत का भरोसा है, क्योंकि मुख्यमंत्री विकास के प्रति प्रतिबद्ध हैं।'

हालांकि, मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने आरोप लगाया कि चौहान केवल उपचुनाव के समय लोगों को याद कर रहे हैं। मिश्रा ने कहा, 'यदि मुख्यमंत्री ने पिछले 14 सालों में लोगों की देखभाल की होती, तो उन्हें उपचुनावों के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने केवल अपनी घोषणाओं से लोगों को बेवकूफ बनाया है, जो आजतक लागू नहीं हुईं। उन्होंने कहा कि उप-चुनाव में जीत हासिल करने के लिेए मुख्यमंत्री लोकलुभावन वादे कर रहे हैं, लेकिन इस बार जनता उनके जाल में फंसने वाली नहीं हैं। उन्हें सबक सिखाना होगा जैसे लोगों ने चित्रकूट में सीखाया। वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि भाजपा मतदाताओं का वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए विभिन्न रणनीतियों का इस्तेमाल कर रही है, लेकिन वह इसमें सफल नहीं होगी। उन्होंने कहा, 'मतदाता सत्ताधारी पार्टी पर भरोसा नहीं कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने राज्य के विकास के लिए कुछ भी नहीं किया है।'

भाजपा के लिए जीत के क्या मायने 

बता दें कि पिछले साल चित्रकूट में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने 14,000 से ज्यादा मतों के प्रभावशाली अंतर से जीत हासिल की थी। इस जीत का श्रेय विपक्ष के नेता अजय सिंह को दिया गया, जिसका चित्रकूट गढ़ रहा है। मध्यप्रदेश में प्रमुख कांग्रेस नेता अजय सिंह को मुख्यमंत्री के पद के दावेदारों में से एक माना जाता है। इन दोनों सीटों को कांग्रेस से भाजपा को हथिया काफी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि आने वाले विधानसभा चुनाव में उपचुनाव का परिणाम सत्ताधारी पार्टी को लेकर लोगों की धारणा को प्रतिकूल कर सकता है। इसके अलावा उपचुनाव में हार से पार्टी के भीतर चौहान के खिलाफ विरोधी सुर उठ सकते हैं और आने वाले चुनाव में मुख्यमंत्री के चेहरे को बदलने की मांग भी उठ सकती है। इसी तरह उप-चुनावों में हार को सिंधिया के लिए एक झटका माना जाएगा और आने वाले चुनाव में कांग्रेस अपनी पैठ को मजबूत करने का मौका गंवा देगी।

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