MP Politics: कांग्रेस राजस्थान को बचाने में जुटी है तो भाजपा का मप्र में 'पार्ट टू प्लान' पर निशाना

सिंधिया और उनके समर्थकों के कांग्रेस नेतृत्व के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाए जाने को सही ठहराने के लिए भाजपा अब कांग्रेस में सेंध लगाकर उन्हें अपने पाले में कर रही है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sun, 26 Jul 2020 07:27 PM (IST) Updated:Mon, 27 Jul 2020 01:25 AM (IST)
MP Politics: कांग्रेस राजस्थान को बचाने में जुटी है तो भाजपा का मप्र में 'पार्ट टू प्लान' पर निशाना
MP Politics: कांग्रेस राजस्थान को बचाने में जुटी है तो भाजपा का मप्र में 'पार्ट टू प्लान' पर निशाना

रवींद्र कैलासिया, भोपाल। मध्य प्रदेश के बाद राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार पर आए संकट में कांग्रेस उलझी हुई है, लेकिन मध्य प्रदेश में भाजपा के पार्ट टू प्लान में कांग्रेस की कमजोर कड़ि‍यों पर काम शुरू हो चुका है। विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस की रणनीति ज्योतिरादित्य सिंधिया की गद्दार छवि प्रचारित कर मतदाताओं के बीच पहुंचने की है, जिसे भाजपा के पार्ट टू प्लान के माध्यम से झटका देने पर काम शुरू किया जा चुका है। सिंधिया और उनके समर्थकों के कांग्रेस नेतृत्व के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाए जाने को सही ठहराने के लिए भाजपा अब कांग्रेस के दूसरे खेमों में सेंध लगाकर उन्हें अपने पाले में कर रही है। कुंवर प्रद्युम्न सिंह लोधी, सुमित्रा देवी कास्डेकर और नारायण पटेल जैसे चेहरों को भाजपा ने तोड़कर कोशिशों को अंजाम दे दिया है।

भाजपा ने कांग्रेस की गुटबाजी का फायदा उठाया

प्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही भाजपा ने बयानों से दबाव बनाना शुरू किया था और कांग्रेस की गुटबाजी का फायदा उठाया। 15 महीने में दोबारा सरकार में आने के बाद अब भाजपा 27 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव से अपनी सरकार को मजबूत करने के प्रयास में है। बताया जा रहा है कि पार्टी चुनाव की तारीखों की घोषणा के पहले 27 से भी ज्यादा विधानसभा सीटों पर उपचुनाव कराने की रणनीति पर काम कर रही है जिससे कांग्रेस में बेचैनी है।

कमजोर कड़ि‍यों में हर क्षेत्र के नेता

बताया जाता है कि भाजपा ने कांग्रेस की कमजोर कडि़यों को तलाशना शुरू कर दिया है। इनमें कुछ विधायकगण पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में बताए जाते हैं। मालवा और विंध्य-महाकोशल क्षेत्र के नेताओं की आस्था बदलने की संभावना बताई जा रही है। इसी तरह कभी दूसरे राजनीतिक दलों से विधायक रहे या निर्दलीय विधायक रह चुके नेताओं पर भी भाजपा की नजर है। इनमें ग्वालियर-चंबल व मालवा के नेता शामिल हैं। यही नहीं, कुछ ऐसे विधायक भी हैं, जिन्होंने कभी न कभी दूसरे दलों से कांग्रेस में टिकट के आश्वासन के बाद आ रहे नेताओं का विरोध किया था। इसी तरह बुंदेलखंड के तीन विधायकों की आस्था को लेकर संदेह की स्थिति बताई जा रही है। इनके नाम के चर्चे मार्च में सरकार बदलने पर भी रहे हैं।

धनबल-पद के लोभ में जा रहे हैं

मप्र कांग्रेस कमेटी के उपाध्‍यक्ष और संगठन प्रभारी चंद्रप्रभाष शेखर का कहना है कि कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में जा रहे लोग धनबल और पद के लोभ में जा रहे हैं। यह नैतिकता के खिलाफ है। उन्हें जनता ने जिस चुनाव चिन्ह पर जिताया था, उसे छोड़कर वे जनता का विश्वास तोड़ रहे हैं।

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