MVA Crisis: सुप्रीम कोर्ट पहुंची शिवसेना की लड़ाई; शिंदे ने अयोग्यता नोटिस को दी चुनौती, सुनवाई आज, सड़क पर भी संग्राम

महाराष्‍ट्र में जारी सियासी संकट अब नया मोड़ ले चुका है। बागी शिवसेना विधायक एकनाथ शिंदे ने डिप्टी स्पीकर द्वारा महाराष्ट्र के बागी विधायकों के खिलाफ जारी अयोग्यता नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है ....

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sun, 26 Jun 2022 08:03 PM (IST) Updated:Mon, 27 Jun 2022 08:46 AM (IST)
MVA Crisis: सुप्रीम कोर्ट पहुंची शिवसेना की लड़ाई; शिंदे ने अयोग्यता नोटिस को दी चुनौती, सुनवाई आज, सड़क पर भी संग्राम
महाराष्‍ट्र में जारी सियासी संकट अब नया मोड़ ले चुका है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। महाराष्ट्र में शिवसेना में विद्रोह का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। शिवसेना के विद्रोही विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर की ओर से भेजे गए अयोग्यता नोटिस और अजय चौधरी को शिवसेना विधायक दल का नेता चुने जाने को चुनौती दी है। याचिका में शिंदे ने स्वयं की, समर्थक विधायकों तथा सभी के परिवारों को सुरक्षा दिए जाने की भी मांग की है। शिंदे के अलावा भरत गोगावले ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।

सोमवार को होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट इन दोनों याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई करेगा। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पार्डीवाला की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष दोनों याचिकाएं सुनवाई के लिए लगी हैं। बताया जा रहा है कि इन दो याचिकाओं के अलावा शिवसेना के कुछ बागी विधायकों ने अलग से भी याचिकाएं दाखिल की हैं।

अयोग्यता नोटिस असंवैधानिक

अपने 40 से अधिक समर्थक विधायकों के साथ कुछ दिनों से गुवाहाटी में डेरा डाले शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट से अयोग्यता नोटिस रद करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि उन लोगों को अयोग्य ठहराने की शिकायत पर संज्ञान लेकर डिप्टी स्पीकर द्वारा उन्हें 25 जून को भेजा गया अयोग्यता नोटिस असंवैधानिक है इसलिए कोर्ट उसे रद करें। डिप्टी स्पीकर द्वारा शिवसेना के अल्पगुट की याचिका पर उन्हें अयोग्यता नोटिस भेजा जाना सुप्रीम कोर्ट के नबम राबिया फैसले में दी गई व्यवस्था का उल्लंघन है।

शिंदे ने कहा, अब वह शिवसेना विधायक दल के नेता

शिंदे ने यह भी कहा है कि बीते 21 जून को शिवसेना के ज्यादातर विधायकों ने प्रस्ताव पारित कर उन्हें विधायक दल का नेता चुना था और भरत गोगावले को शिवसेना विधायक दल का चीफ व्हि्प नियुक्त किया था। संविधान की दसवीं अनुसूची के मुताबिक व्हिप सदन में वोट के लिए जारी किया जा सकता है। सदन के बाहर बुलाई गई बैठक के लिए व्हिप जारी नहीं किया जा सकता।

जल्दबाजी में अयोग्य ठहराना चाहती है सरकार

उन्हें जारी अयोग्यता नोटिस इस बात का उदाहरण है कि डिप्टी स्पीकर सरकार के साथ मिलकर उन्हें और उनके समर्थकों को जल्दबाजी में अयोग्य ठहराना चाहते हैं। अयोग्यता नोटिस भेजने में महाराष्ट्र विधानसभा के अयोग्यता नियमों का उल्लंघन किया गया है। नोटिस का जवाब देने के लिए याचिकाकर्ता को मात्र 48 घंटे का समय दिया गया जबकि नियमों के मुताबिक कम से कम सात दिन का समय मिलना चाहिए था।

अल्पमत में महाराष्ट्र सरकार

शिंदे ने याचिका में कहा है कि महाराष्ट्र की महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार अपना बहुमत खो चुकी है। शिवसेना के 38 विधायकों ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। इसके बावजूद एमवीए गठबंधन डिप्टी स्पीकर के आफिस का दुरुपयोग करके किसी भी तरह से सत्ता में बने रहना चाहता है।

सुरक्षा मुहैया कराने की भी मांग की

याचिका में शिंदे ने स्वयं और समर्थकों तथा उनके परिवारों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है और सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की है। कहा है कि उनकी सुरक्षा वापस ले ली गई है महाविकास आघाड़ी गठबंधन के नेता अपने दलों के समर्थकों को उनके खिलाफ भड़काने वाले बयान दे रहे हैं। उनकी धमकियां मीडिया में आ रही हैं।

बागी विधायकों ने भी डाली याचिका

इसका परिणाम यह है कि उनके दो समर्थक विधायकों के दफ्तरों पर हमला किया गया है। भरत गोगावले की याचिका में कहा गया है कि सदस्य महसूस करते हैं कि एमवीए गठबंधन के लिए शिवसेना के सिद्धांतों से समझौता हुआ है। माना जा रहा है कि शिवसेना के 15 अन्य बागी विधायकों ने भी सुप्रीम कोर्ट में अलग से याचिका दाखिल की है।

धमकी देने पर उतरे शिवसेना के शीर्ष नेता

शिवसेना के शीर्ष नेता विद्रोही विधायकों को अब सीधे धमकी देने लगे हैं। केंद्र पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाने वाले शिवसेना के नेता विद्रोही विधायकों को मुंबई लौटने की चुनौती दे रहे हैं। इसका असर यह हो रहा है कि विद्रोही विधायकों के घरों और दफ्तरों में शिवसैनिकों की तोड़फोड़ बढ़ती जा रही है।

शिवसेना में बचे मात्र 16 विधायक और तीन मंत्री

विद्रोह के बाद शिवसेना में अब मात्र 16 विधायक और तीन मंत्री ही बचे हैं। इन तीन मंत्रियों में भी दो उद्धव ठाकरे एवं अनिल परब विधान परिषद के सदस्य हैं। मंत्री के रूप में सिर्फ उद्धव के पुत्र आदित्य ठाकरे ही विधानसभा सदस्य हैं। रविवार को राज्य के उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री उदय सामंत भी शिंदे गुट में शामिल हो गए और गुवाहाटी पहुंच गए। इस दुर्गति के बावजूद शिवसेना अपनी 'शैली' छोड़ने को तैयार नहीं है।

आदित्य ठाकरे की खुली धमकी

युवा शिवसैनिकों की सभा में आदित्य ठाकरे ने कहा कि निकट भविष्य में दो फ्लोर टेस्ट होंगे। एक विधानसभा के अंदर होगा और एक बाहर। फ्लोर टेस्ट के दिन विद्रोहियों को पहले हवाईअड्डे से विधान भवन पहुंचना होगा, जिसका रास्ता बांद्रा, वर्ली, परेल, भायखला होते हुए ही जाता है। ये सभी क्षेत्र शिवसेना के प्रभाव वाले हैं। वर्ली से तो खुद आदित्य ठाकरे चुनकर आए हैं और इस क्षेत्र में अच्छी पकड़ रखनेवाले सचिन अहीर को शिवसेना ने विधान परिषद भेजा है।

शिंदे को 20 मई को ही सीएम पद की पेशकश की गई थी : आदित्य

आदित्य ने यह भी कहा कि उद्धव ठाकरे ने 20 मई को ही एकनाथ शिंदे को सीएम पद की पेशकश की थी, लेकिन तब उन्होंने कोई सीधा जवाब नहीं दिया था। ठीक एक महीने बाद शिंदे ने विद्रोह कर दिया।

शुरू से ही विद्रोहियों को धमका रहे संजय राउत

शिवसेना सांसद संजय राउत की भाषा तो पहले दिन से ही धमकी वाली है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है, 'कब तक रहोगे गुवाहाटी में, कभी तो आओगे चौपाटी में।' रविवार को दहिसर में शिवसेना की रैली में राउत ने विद्रोही विधायकों को जिंदा लाश बताते हुए कहा कि उनकी आत्म मर गई है। जब वे मुंबई आएंगे तो पोस्टमार्टम के लिए उनके (विद्रोहियों) के शवों को विधानसभा भेज दिया जाएगा। राउत ने विद्रोही विधायकों से एक बार फिर कहा कि वे इस्तीफा दें और फिर अपने दम पर चुनाव लड़ें।

शिवसैनिकों का प्रदर्शन जारी

मुंबई और पुणे समेत महाराष्ट्र के कई शहरों में विद्रोही विधायकों के खिलाफ शिवसैनिकों का प्रदर्शन और तोड़फोड़ जारी है। पुणे में उद्धव ठाकरे समर्थकों ने बाइक रैली निकाली। पुणे में पुलिस ने एक दिन पहले एकनाथ शिंदे के बेटे के दफ्तर पर हमला करने के मामले में छह लोगों को गिरफ्तार किया है।

विद्रोहियों के समर्थक भी देने लगे मुहंतोड़ जवाब

अब विद्रोही विधायकों के समर्थक भी शिवसेना को मुंहतोड़ जवाब देने लगे हैं। रविवार को कोल्हापुर और शिल्लोड में स्थानीय विधायकों क्रमश: प्रकाश आरबेडकर एवं अब्दुल सत्तार के पक्ष में उनके समर्थकों ने रैली निकाली। शिंदे समर्थकों ने ठाणे में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पोस्टर पर कालिख पोत दी। एक दिन पहले शिंदे के सांसद पुत्र श्रीकांत शिंदे के नेतृत्व में विद्रोहियों के समर्थन में ठाणे में रैली निकाली गई थी। शिंदे गुट के विधायक दीपक केसरकर ने रविवार को राउत को मुंहतोड़ जवाब देते हुए कहा कि उनके जैसा प्रवक्ता जिस दल को मिले वह कभी आगे नहीं जा सकता।

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