MP Political Crisis: अपनों की नाराजगी से हिल रही मध्य प्रदेश कांग्रेसी किले की बुनियाद

ज्योतिरादित्य की उपेक्षा को मुद्दा बनाकर सरकार के मंत्रियों की बयानबाजी ने भी कांग्रेसी किले की बुनियाद हिला दी है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Fri, 06 Mar 2020 08:21 PM (IST) Updated:Fri, 06 Mar 2020 08:21 PM (IST)
MP Political Crisis: अपनों की नाराजगी से हिल रही मध्य प्रदेश कांग्रेसी किले की बुनियाद
MP Political Crisis: अपनों की नाराजगी से हिल रही मध्य प्रदेश कांग्रेसी किले की बुनियाद

आनन्द राय, भोपाल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार पर गहराए संकट को दूर करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह शुक्रवार सुबह भोपाल पंहुचे और दावा किया कि वह मुख्यमंत्री कमलनाथ के बुलावे पर आए हैं। पर, उनके ही छोटे भाई और कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह मथुरा में कमलनाथ की सद्बुद्धि के लिए गोवर्धन की परिक्रमा कर रहे थे। इस विरोधाभासी कदम से पार्टी में हलचल मचनी स्वाभाविक है।

इसके पहले वाली रात को कांग्रेस के ही विधायक हरदीप सिंह डंग ने कमलनाथ से नाराजगी दिखाते हुए इस्तीफा दे दिया। इनके अलावा भी पार्टी के कई और विधायक पूरी व्यवस्था से नाराज हैं। ऊपर से ज्योतिरादित्य की उपेक्षा को मुद्दा बनाकर सरकार के मंत्रियों की बयानबाजी ने भी कांग्रेसी किले की बुनियाद हिला दी है।

मंत्री महेंद्र सिंह से हलचल तेज

मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया ने यह जरूर कहा कि सरकार पर कोई संकट नहीं है लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि सरकार पर असली संकट तब आएगा, जब हमारे नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की उपेक्षा या अनादर होगा। उस दिन जो काला बादल आएगा, वह क्या कर जाएगा मैं बता भी नहीं सकता। सिंधिया की उपेक्षा के बहाने सिसौदिया ने सरकार को यह चेतावनी ही दी है। कांग्रेस के विधायक बिसाहू लाल सिंह, रघुराज सिंह कंसाना और सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय सुरेंद्र सिंह शेरा के बेंगलुर में होने से सरकार पर संकट वैसे ही गहराया है।

कांग्रेस विधायक बिसाहू लाल की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज 

बिसाहू लाल के बेटे ने उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट तो दर्ज करा दी है पर इसे सियासी गलियारे में पेशबंदी से ज्यादा कुछ नहीं समझा जा रहा है। इस बीच संकेत मिल रहे हैं कि कांग्रेस के एक-दो और विधायक अचानक इस्तीफा देकर सरकार का संकट बढ़ा सकते हैं। कई बार मंत्री रहे वरिष्ठ विधायक केपी सिंह और ऐंदल सिंह कंसाना की नाराजगी समय-समय पर उजागर हो चुकी है। केपी सिंह की इन दिनों खामोशी भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। यह तूफान आने के पहले की खामोशी समझी जा रही है।

निर्दलीय विधायक ने भी पैदा की थी हलचल

सरकार के मंत्री और निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल सरकार के पक्ष में बोल रहे हैं लेकिन उन्होंने एक दिन पूर्व भाजपा की सरकार बनने पर समर्थन देने की बात कहकर सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों में हलचल पैदा कर दी। मंत्री पद के दावेदारों के तेवर बदल गए और सरकार पर दबाव बढ़ने लगा। उधर, कांग्रेस ने भाजपा खेमे में सेंधमारी की जो भी रणनीति बनाई सब पर कुहासा छा गया। पूर्व मंत्री और विधायक संजय पाठक ने मुख्यमंत्री आवास जाने की बात को सिरे से खारिज कर दिया। नारायण त्रिपाठी के भी सुर बदल गए। हरदीप डंग के इस्तीफे को कांग्रेसी सूरमा नकार रहे हैं लेकिन, डंग अभी तक वापस नहीं लौटे।

भाजपा विधायक संजय पाठक और पीएल तंतुवाय को लेकर दिनभर महौल गर्म रहा

हटा के भाजपा विधायक पीएल तंतुवाय के अचानक लापता होने से कुछ देर तक माहौल बना रहा कि कांग्रेस ने भी एक भाजपा विधायक को तोड़ लिया लेकिन तंतुवाय ने मोबाइल डिस्चार्ज होने की बात कहकर इस अनुमान को भी नकार दिया। संजय पाठक तो दावा ही कर रहे हैं कि मैं भाजपा में था, भाजपा में हूं और भाजपा में ही रहूंगा। बल्कि उन्होंने अपनी जान को खतरा बताकर सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है।

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