जानिए, जाति की राजनीति में दूसरों दलों से क्‍यों आगे है भाजपा

राजनीतिक दल चाहे जितना प्रचार करें कि वे देश के बहुजनों के हित में काम करते हैं लेकिन वे इससे इन्कार नहीं कर सकते कि उनकी सियासत जातियों के इर्द गिर्द ही घूम रही है। समाजवाद का झंडा फहराने वाली पार्टियां भी एक जाति की प्रतिनिधि ज्यादा नजर आती हैं।

By Brij Bihari ChoubeyEdited By: Publish:Wed, 01 Jun 2022 12:05 PM (IST) Updated:Wed, 01 Jun 2022 12:14 PM (IST)
जानिए, जाति की राजनीति में दूसरों दलों से क्‍यों आगे है भाजपा
भाजपा की पैठ सभी जातियों में समान रूप से है।

ब्रजबिहारी, नई दिल्ली। जाति आधारित जनगणना (caste census demand) के जरिए अपनी सियासत चमकाने में जुटी राजनीति पार्टियां चाहें जितनी कसरत क्यों न कर लें, वे सोशल इंजीनियरिंग की भाजपा की रणनीति का मुकाबला नहीं कर सकती हैं। नीतिश कुमार के जनता दल यूनाइटेड (JDU) के नेतृत्व में आज यानी बुधवार (एक जून) को पटना में जातिगत जनगणना कराने के लिए सर्वदलीय बैठक हो रही है, लेकिन उधर भाजपा प्रत्यक्ष सशक्तीकरण के जरिए जातियों की गोलबंदी कर रही है। 2014 के बाद हुए सभी चुनाव इस बात की गवाही दे रहे हैं कि भाजपा की पैठ सभी जातियों में समान रूप से है।

आगामी 10 जुलाई को होने जा रहे राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha election) के लिए भाजपा के उम्मीदवारों की सूची इस बात की गवाही है कि पार्टी जातियों को उचित प्रतिनिधित्व देने के मामले में सिर्फ सम्मेलन नहीं करती और वक्तव्य जारी नहीं करती बल्कि उन्हें सशक्त बनाती है। रविवार को ऊपरी सदन के लिए जिन 22 उम्मीदवारों की घोषणा की गई है उनमें से आधे से ज्यादा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और दलित वर्ग से आते हैं। पिछले साल हुए मंत्रिमंडल विस्तार में भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 27 ओबीसी सांसदों को जगह देकर मिसाल कायम की थी।

उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा सीटें खाली हुई हैं और भाजपा ने उनके लिए चुने गए उम्मीदवारों के जरिए अपना राजनीतिक संदेश देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। पार्टी ने पिछड़ा वर्ग से सुरेंद्र सिंह नागर, बाबूराम निषाद और संगीता यादव को टिकट दिया है। बाबूराम निषाद अति पिछड़ी मल्लाह जाति से आते हैं और वर्तमान में पिछड़ा वर्ग वित्त विकास निगम के अध्यक्ष हैं। सपा के राज्यसभा सदस्य विशंभर निषाद इसी क्षेत्र से हैं, लेकिन पार्टी ने इस बार उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया है। बाबूराम को उतारकर भाजपा ने सोशल इंजीनियरिंग की अपनी रणनीति को धार दी है। पार्टी ने पूर्वांचल में यादव वर्ग को साधने के लिए संगीता यादव को उम्मीदवार बनाया है। वे चौरीचौरा की रहने वाली हैं और पहले विधायक रह चुकी हैं।

उत्तराखंड से राज्यसभा चुनाव के लिए कल्पना सैनी को टिकट दिया गया है जो पिछड़े वर्ग से आती हैं। इसी तरह मध्य प्रदेश में जिन दो महिलाओं को उच्च सदन के लिए टिकट दिया गया है उनमें सुमित्रा वाल्मिक दलित हैं जबकि कविता पाटीदार अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से आती हैं। कर्नाटक से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अलावा कन्नड अभिनेता जगीश को टिकट दिया गया है जो वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं जो ओबीसी में चिह्नित है। 

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