सियासत में भी दखल देते रहे हैं ये बाबा, विवादस्पद बयानों से भी बटोरी सुर्खियां

राजनीति और बाबाओं के हित एक दूसरे से जुड़ते हैं और इससे सियासी जगत में शुरू होता है बाबानीति का घालमेल।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Mon, 08 Apr 2019 01:15 PM (IST) Updated:Mon, 08 Apr 2019 01:15 PM (IST)
सियासत में भी दखल देते रहे हैं ये बाबा, विवादस्पद बयानों से भी बटोरी सुर्खियां
सियासत में भी दखल देते रहे हैं ये बाबा, विवादस्पद बयानों से भी बटोरी सुर्खियां

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। भारत हमेशा से भक्ति और श्रद्धा से ओत-प्रोत रहा है। इसकी तलाश में लोग हमेशा किसी ऐसी शख्सियत के पास पहुंचते रहे हैं जो उन्हें आध्यात्मिक और आत्मिक ज्ञान और सुकून दिला सके। जिसके जितने ज्यादा अनुयायी वह उतना बड़ा संत।

चूंकि ये अनुयायी मतदाता भी होते हैं लिहाजा राजनीतिक दल विजयश्री का मंत्र लेने इन बाबाओं की शरण में जाने को विवश होते हैं। लाभ दोतरफा होता है। दोनों एक दूसरे के हितों से जुड़ते हैं और सियासी जगत में शुरू होता है बाबानीति का घालमेल। आइये जानते हैं ऐसे ही कुछ प्रभावशाली और विवादास्पद बाबाओं और उनके प्रभाव के बारे में:

आसाराम बापू
नाबालिग के साथ दुष्कर्म के मामले में जेल की हवा खा रहे आसाराम बापू को गुजरात में एक तरह से राजगुरु की हैसियत हासिल थी। सैकड़ों आश्रम उन्होंने खड़े किए। उनके शिष्यों की संख्या करोड़ों में रही है। साथ ही इनके दरबार में भी हाजिरी लगाने वाले नेताओं की लिस्ट बहुत लंबी रही है।

बाबा रामदेव
2010 में रामदेव ने भारत स्वाभिमान नामक एक राजनीतिक पार्टी बनाने की घोषणा की थी। लेकिन घोषणा के एक साल बाद उन्होंने 2014 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री बनाने के लिए नरेंद्र मोदी का खुलकर समर्थन किया। कथित तौर पर मोदी के लिए समर्थन हासिल करने के लिए उस चुनाव अभियान के दौरान योग शिविर चलाने के उनके प्रयासों पर चुनाव आयोग ने आपत्ति भी जताई थी।

श्री श्री रविशंकर
आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर तमाम राजनीतिक दलों के साथ अच्छे संबंध रहे हैं। कांग्रेस के बुलावे पर एक समय वह महाराष्ट्र के किसानों से आत्महत्या न करने का आग्रह करने गए थे। बाद में छत्तीसगढ़ और झारखंड में नक्सली और सरकार के बीच मध्यस्थ की भूमिका में भी उतरे थे। यानी धर्म-आस्था, जीवन का रहन-सहन के अलावा राजनीतिक क्षेत्र में श्री श्री रविशंकर सक्रिय रहे हैं।

गुरमीत राम रहीम
डेरा सच्चा सौदा-सिरसा का यह बाबा एक जमाने में बेहद प्रभावशाली था। डेरे में ही रहने वाली युवतियों के साथ दुष्कर्म के मामले में गिरफ्तारी के बाद इसका तिलिस्म टूटा तो है, लेकिन पूरी तरह नहीं। कैदी बनने के बाद भी इसके हजारों शिष्य हैं जो बाबा में भगवान देखते हैं। डेरा सच्चा सौदा के इस बाबा के सियासत में दखल को देखते हुए हरियाणा के अधिकांश राजनीतिक दल व वरिष्ठ नेता समय-समय पर सिरसा व अन्य स्थानों पर गुरमीत के आगे नतमस्तक रहे हैं।

रामपाल
हरियाणा के रामपाल का मामला इस बात की नजीर है कि भारत में कथित बाबा कैसे लोगों की भावनाओं को भुनाते रहे। हरियाणा के बरवाला में इन्होंने अपना किलेनुमा आश्रम बनाया और आपराधिक मामलों में अपनी कोर्ट से आए गिरफ्तारी के आदेश से बचने के लिए अपने भक्तों को ढाल बनाकर बाकायदा पुलिस से जंग मोल ली। फिलहाल वह अभी जेल में है। रामपाल हरियाणा की राजनीति को प्रभावित करता रहा है।

धीरेंद्र ब्रह्मचारी
धीरेंद्र ब्रह्मचारी को सबसे बड़े योग गुरुओं में से एक माना जाता है। राजनीतिक गलियारों में कांग्रेस नेताओं से उनकी खास नजदीकी भी रही। हालांकि वह उतने ही विवादित भी रहे। उन पर जमीन हड़पने से लेकर अवैध हथियार रखने जैसे कई आपराधिक आरोप भी लगे थे। उन्हें देश की तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी का खास राजदार भी कहा जाता था। यही नहीं, इमरजेंसी के दौर में वह और भी पॉपुलर हो गए थे। उस समय की कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंदिरा गांधी के लगभग सभी बड़े फैसलों में उनकी बड़ी भूमिका रही।

राधे मां
राधे मां का असली नाम सुखविंदर है। मुंबई में उनकी काफी पकड़ मानी जाती है। देश की कई मशहूर हस्तियां और राजनेता राधे मां के भक्त हैं।

चंद्रास्वामी
भारत के राजनीतिक गलियारों में विवादित रहे तांत्रिक चंद्रा स्वामी एक जमाने में सरकार बनाने और बिगाड़ने के खेल में शामिल रहे। तांत्रिक के तौर पर उनकी देश-विदेश में पहचान बनी। चंद्रस्वामी सबसे पहले तब चर्चा में आए जब राजीव गांधी सरकार में मंत्री रहे नरसिंह राव के ज्योतिष सलाहकार के तौर पर उन्हें जाना जाने लगा। बाद में नरसिंह राव पीएम बन गए।

उन्हें इंदिरा गांधी ने कुतुब इंस्टीट्यूशनल एरिया में विश्व धर्मायतन संस्थान आश्रम बनाने के लिए जमीन दी थी। दुनिया की जानी मानी हस्तियों के वे सलाहकार रहे। इस लिस्ट में ब्रिटेन की पीएम मार्गेट थैचर और हॉलीवुड एक्ट्रेस एलिजाबेथ टेलर जैसी हस्तियां शामिल थीं। उनपर धोखाधड़ी का आरोप भी लगा। हथियारों के सौदागर के साथ रिश्तों और राजीव गांधी हत्याकांड में भी उनका नाम सुर्खियों में रहा।

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