करतारपुर कॉरिडोर खुल जाने का मतलब ये नहीं कि पाक से बातचीत शुरू हो जाएगीः सुषमा स्वराज

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि करतारपुर कॉरिडोर खुल जाने का मतलब ये नहीं है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वार्ता शुरू हो जाएगी।

By Vikas JangraEdited By: Publish:Wed, 28 Nov 2018 12:31 PM (IST) Updated:Thu, 29 Nov 2018 07:20 AM (IST)
करतारपुर कॉरिडोर खुल जाने का मतलब ये नहीं कि पाक से बातचीत शुरू हो जाएगीः सुषमा स्वराज
करतारपुर कॉरिडोर खुल जाने का मतलब ये नहीं कि पाक से बातचीत शुरू हो जाएगीः सुषमा स्वराज

नई दिल्ली, नीलू रंजन। करतारपुर कॉरिडोर के सहारे बातचीत के लिए दबाव बनाने की पाकिस्तान की कोशिशों को धत्ता बताते हुए भारत ने साफ कर दिया है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकती है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के अनुसार करतारपुर कॉरिडोर को दोनों देश के बीच बातचीत से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।

यही नहीं, कॉरिडोर के शिलान्यास के अवसर पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के कश्मीर मुद्दे के उल्लेख पर भारत ने कड़ा एतराज जताया है। पाकिस्तान की ओर कॉरिडोर के शिलान्यास को दोनों देशों के बीच रिश्ते में गुणात्मक सुधार के रूप में पेश करने की भरपूर कोशिश की गई।

यही नहीं, इसकी आड़ में पाकिस्तान ने भारत पर बातचीत के लिए राजी करने का दबाव बनाने का भी प्रयास किया। पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने सार्क सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्यौता भेजे जाने का भी ऐलान कर दिया। पाकिस्तान की पूरी कोशिश रही कि आतंकवाद को केंद्रीय मुद्दा रखे बिना भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत का सिलसिला फिर शुरू हो जाए।

करतारपुर साहिब के प्रति सिख समुदाय की धार्मिक संवेदनाओं को देखते हुए पाकिस्तान को उम्मीद थी कि इसके दबाव में भारत को बातचीत के लिए मजबूर किया जा सकता है। लेकिन करतारपुर कॉरिडोर पर पाकिस्तान की नई कूटनीतिक चाल को खारिज करते हुए भारत आतंकवाद को खत्म करने की अपनी पुरानी शर्त पर अटल रहने का फैसला किया है।

सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान को दो-टूक कह दिया कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकती है। करतारपुर कॉरिडोर को पुराना मुद्दा बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत लंबे से इसकी मांग कर रहा था।

प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने भाषण में भारत की आशंका की पुष्टि कर दी। इमरान खान ने दोनों देशों के बीच शांति और भाईचारे का भरपूर जिक्र किया, लेकिन पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकियों द्वारा भारत में हो रहे आतंकी हमलों का कोई जिक्र नहीं किया। पिछले हफ्ते अमृतसर में हुए हमले में पाकिस्तानी सेना के ग्रेनेड के इस्तेमाल पर भी इमरान चुप ही रहे।

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खुद आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने का दावा किया था। लेकिन करतारपुर कोरिडोर को भारत-पाकिस्तान के बीच सौहार्दपूर्ण रिश्ते की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताने और इसके लिए इमरान खान की भूरी-भूरी प्रसंशा करने वाले पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने अमृतसर हमले का जिक्र तक नहीं किया।

भारत-पाकिस्तान के बीच अच्छे रिश्ते की दुहाई के बीच भी इमरान खान कश्मीर का मुद्दा उठाने से नहीं चूके। कश्मीर विवाद का हल बातचीत से करने का आह्वान किया, जो पाकिस्तान सरकार का पुराना रूख रहा है। भारत की ओर से विदेश मंत्रालय ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कश्मीर भारत का अविभाज्य हिस्सा है और इस पर कोई बातचीत नहीं हो सकती है। इसकी जगह पाकिस्तान को पहले कश्मीर पर जबरन कब्जा किये हुए हिस्से को खाली करना चाहिए।

माना जा रहा है कि आर्थिक तंगहाली में फंसा पाकिस्तान भारत से दोस्ती के दिखावे के सहारे अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आर्थिक सहायता हासिल करना चाहता है। इमरान खान की नई सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद कट्टरपंथ और आतंकवाद की जकड़ में फंसे पाकिस्तान में निवेश करने को कोई तैयार नहीं है।

यहां तक कि आइएमएफ से कर्जा हासिल करने की उसकी कोशिश भी कामयाब नहीं हो रही है। ले-देकर उसके पास निवेश के लिए सिर्फ चीन की बच गया, लेकिन पाकिस्तान में चीन के कर्ज की शर्तो और उसके शिकंजे को लेकर आशंका गहराती जा रही है।

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