महाराष्‍ट्र में नजर आई 'कनार्टक की रिजॉर्ट पॉलिटिक्‍स', शिवसेना विधायक हुए होटल में शिफ्ट

मातोश्री में शिवसेना की एक बैठक हुई जिसके बाद विधायकों को फाइव स्टार होटल रंगशारदा में शिफ्ट कर दिया गया है। क्‍या उद्धव ठाकरे को अपने विधायकों के टूटने का डर है?

By Tilak RajEdited By: Publish:Thu, 07 Nov 2019 03:05 PM (IST) Updated:Thu, 07 Nov 2019 03:05 PM (IST)
महाराष्‍ट्र में नजर आई 'कनार्टक की रिजॉर्ट पॉलिटिक्‍स', शिवसेना विधायक हुए होटल में शिफ्ट
महाराष्‍ट्र में नजर आई 'कनार्टक की रिजॉर्ट पॉलिटिक्‍स', शिवसेना विधायक हुए होटल में शिफ्ट

मुंबई, एएनआइ। महाराष्‍ट्र की राजनीति में भाजपा और शिवसेना के बीच मुख्‍यमंत्री पद को लेकर जारी खींचतान के बीच 'कर्नाटक के नाटक' की झलक देखने को मिल रही है। मातोश्री में शिवसेना की एक बैठक हुई जिसके बाद विधायकों को फाइव स्टार होटल रंगशारदा में शिफ्ट कर दिया गया है। क्‍या उद्धव ठाकरे को अपने विधायकों के टूटने का डर है? कुछ ऐसा ही नजारा कर्नाटक में भी देखने को मिला था, तब जेडीएस ने अपने विधायकों को फ्लोर टेस्‍ट से पहले एक रिजॉर्ट में शिफ्ट कर दिया था और उनसे किसी को मिलने की भी इजाजत नहीं थी।

शिवसेना विधायक गुलाबराव पाटिल ने बताया कि वे (शिवसेना विधायक) दो दिन होटल में ही रहेंगे। हम वहीं करेंगे जो उद्धव ठाकरे कहेंगे। पाटिल के इस बयान से साफ हो गया है कि महाराष्‍ट्र में भी जोड़तोड़ की राजनीति देखने को मिल सकती है। फिर कर्नाटक के सियासी ड्रामे की यादें भी धुंधली नहीं पड़ी है, जब 17 कांग्रेस-जेडीएस विधायक अपनी पार्टी से इस्‍तीफा देकर रिजॉर्ट में शिफ्ट हो गए थे। कांग्रेस और जेडीएस के नेताओं ने इन बागी विधायकों से मिलने की काफी कोशिश की, लेकिन वे सफल नहीं हो सके। इसके बाद अल्‍पमत में आई एचडी कुमारस्‍वामी की सरकार गिर गई थी। इससे पहले जेडीएस और कांग्रेस भी अपने-अपने विधायकों को समय-समय पर रिजॉर्ट में भेज चुकी है।

महाराष्‍ट्र के विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। सबसे ज्‍यादा सीटें भाजपा के खाते में आई हैं। भाजपा और शिवसेना ने गठबंधन कर महाराष्‍ट्र विधानसभा लड़ा था। हालांकि, अब दोनों के बीच मुख्‍यमंत्री पद को लेकर खींचतान चल रही है। शिवसेना ढाई-ढाई साल(50-50 फॉर्मूला) मुख्‍यमंत्री पद को साझा करने की मांग कर रही है, लेकिन भाजपा इसके लिए तैयार नहीं है। इधर, एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी साफ कर चुके हैं कि उन्‍हें जनता ने विपक्ष में बैठने का जनादेश दिया है, वह किसी पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाने नहीं जा रहे हैं। अब ऐसे में जोड़तोड़ कर ही किसी पार्टी की सरकार बन सकती है, जिसका डर उद्धव ठाकरे को सता रहा है। इसी के परिणामस्‍वरूप शिवसेना विधायकों को फाइव स्टार होटल रंगशारदा में शिफ्ट कर दिया गया है।

रिजॉर्ट पॉलिटिक्‍स

वैसे बता दें कि कर्नाटक में रिजॉर्ट पॉलिटिक्‍स की जड़ें काफी गहरी रही हैं। 1980 के दशक से कनार्टक रिजॉर्ट पॉलिटिक्‍स का गढ़ रहा है। इस रिजॉर्ट पॉलिटिक्‍स की शुरुआत 1984 में तब हुई थी, जब आंध्र प्रदेश के मुख्‍यमंत्री एनटी रामाराव विधानसभा में विश्‍वास मत से ठीक पहले अपने विधायकों को लेकर बेंगलुरु आए थे। एनटी रामाराव अपने दोस्‍त और कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री रामकृष्‍ण हेगड़े की मदद से करीब एक महीने तक नंदी हिल्‍स में अपने विधायकों को रखे रहे। बता दें कि साल 2002 में महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री विलासराव देशमुख को भी रिजॉर्ट पॉलिटिक्‍स का सहारा लेना पड़ा था। तब अविश्‍वास प्रस्‍ताव का सामना कर रहे विलासराव देशमुख अपने सभी विधायकों को लेकर बेंगलुरु गए थे। महाराष्‍ट्र में इस बार शिवसेना ने अपने विधायकों को होटल में शिफ्ट किया है।

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