जलशक्ति मंत्री शेखावत बोले, पानी नहीं बचाया तो केप टाउन बन जाएंगे चेन्नई व बेंगलुरु

मंत्री शेखावत ने कहा कि इसी तरह की गिरावट जारी रही और आबादी बढ़ती रही तो चेन्नई बेंगलुर केपटाउन बन जाएंगे और देश की आबादी का बड़ा हिस्सा प्रभावित होगा।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Wed, 30 Oct 2019 10:12 PM (IST) Updated:Wed, 30 Oct 2019 10:13 PM (IST)
जलशक्ति मंत्री शेखावत बोले, पानी नहीं बचाया तो केप टाउन बन जाएंगे चेन्नई व बेंगलुरु
जलशक्ति मंत्री शेखावत बोले, पानी नहीं बचाया तो केप टाउन बन जाएंगे चेन्नई व बेंगलुरु

नई दिल्ली, प्रेट्र। देश में गहराते जल संकट पर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बुधवार को लोगों को आगाह किया। उन्होंने कहा कि अगर लोग पानी नहीं बचाने को लेकर गंभीर नहीं होंगे तो देश की बहुत बड़ी आबादी इससे बुरी तरह प्रभावित होगी और चेन्नई और बेंगलुरु केप टाउन बन जाएंगे।

बता दें कि वर्ष 2017-18 में दक्षिण अफ्रीका की राजधानी केप टाउन शहर में पानी लगभग पूरी तरह खत्म हो गया था। इसके बाद वहां 'जीरो डे' का विचार आया। 'जीरो डे' का अर्थ उस दिन से है जब शहर के सभी नलों को बंद कर दिया जाता था।

देश की आबादी का बड़ा हिस्सा होगा प्रभावित

यहां 13वें विश्व एक्वा कांग्रेस में शेखावत ने कहा कि प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता आजादी के समय 5,000 घन मीटर से घटकर 1,540 घन मीटर रह गई है। अगर इसी तरह की गिरावट जारी रही और आबादी बढ़ती रही तो चेन्नई, बेंगलुर , केपटाउन बन जाएंगे और देश की आबादी का बड़ा हिस्सा प्रभावित होगा।

शेखावत ने कहा कि तेजी से शहरीकरण, बढ़ती आबादी और खराब जल प्रबंधन के कारण बेंगलुरु में नलकूप सूखने, भूजल स्तर गिरने और झीलें जहरीली होने लगी हैं। बड़ी संख्या में लोगों के पास नल वाला पानी नहीं पहुंच रहा है और वे पानी के टैंकरों पर निर्भर हैं। देश के एक और महानगर, चेन्नई में स्थिति बेहतर नहीं है।

इजराइल में प्रति वर्ष 100 मिमी बारिश

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि औसतन भारत में प्रति वर्ष 1,068 मिमी बारिश और 4,00 करोड़ घन मीटर पानी वर्षा के माध्यम से प्राप्त होता है। फिर भी देश में जल संकट है। इजराइल में प्रति वर्ष 100 मिमी बारिश होती है। उतने में ही वह अपनी सारी जरूरतें पूरी करते हुए वह पानी का निर्यात करता है।

उन्होंने कहा कि सभी संवैधानिक प्रावधानों के बावजूद जल संरक्षण और पर्यावरण के प्रति भारत में जिम्मेदारी की भावना का अभाव है।

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