CBI Interrogation: एफआइपीबी अधिकारियों के बयान सामने रखकर चिदंबरम से शुरू हुई पूछताछ

सीबीआइ की रिमांड पर आने के बाद शुक्रवार से पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम से सीबीआइ में गहन पूछताछ शुरू हो गई।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Fri, 23 Aug 2019 11:28 PM (IST) Updated:Sat, 24 Aug 2019 01:48 AM (IST)
CBI Interrogation: एफआइपीबी अधिकारियों के बयान सामने रखकर चिदंबरम से शुरू हुई पूछताछ
CBI Interrogation: एफआइपीबी अधिकारियों के बयान सामने रखकर चिदंबरम से शुरू हुई पूछताछ

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सीबीआइ की रिमांड पर आने के बाद शुक्रवार से पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम से सीबीआइ में गहन पूछताछ शुरू हो गई। पहले दिन चिदंबरम को उनके ही अधीनस्थ काम करने वाले एफआइपीबी के अधिकारियों के बयानों को सामने रखकर पूछताछ की गई। इन अधिकारियों ने अपने बयान में साफ तौर पर आइएनएक्स के 305 करोड़ के विदेशी निवेश को सही ठहराये जाने से अनभिज्ञता जताई है। उनका कहना है कि नियम के मुताबिक ऐसे मामले को आरबीआइ को भेजा जाना चाहिए था। वैसे पूछताछ में चिदंबरम इन सवालों का सीधा जवाब देने से बचने की लगातार कोशिश कर रहे हैं।

 आर्थिक मामलों के सचिव के बयान से पूछताछ
सीबीआइ के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार चिदंबरम से सबसे पहले उस समय आर्थिक मामलों के सचिव डी सुब्बाराव के बयान से सामना कराया गया। आर्थिक मामलों के सचिव के रूप में डी सुब्बाराव एफआइपीबी के पदेन अध्यक्ष भी थे। ध्यान देने की बात है कि 1972 बैच के आंध्र प्रदेश कैडर के आइएएस अधिकारी सुब्बाराव भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर भी रह चुके हैं।

आरबीआइ के सामने नहीं आया मामला
सुब्बाराव ने अपने बयान में साफ कर दिया था कि आइएनएक्स मीडिया द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक विदेश निवेश लाने के मामले को एफआइपीबी के सामने लाया ही नहीं गया। आइएनएक्स मीडिया को केवल 4.6 करोड़ रुपये के विदेश निवेश की अनुमति मिली थी, लेकिन उसने कुल 305 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश ले आया था। सुब्बाराव ने बताया कि निर्धारित सीमा से अधिक विदेशी निवेश के मामलों को आरबीआइ के पास भेज दिया जाता था। जैसा कि उसी दौरान टाटा-डोकोमो मामले में हुआ था। लेकिन सीबीडीटी की ओर से आपत्ति को दरकिनार करते हुए आइएनएक्स मीडिया मामले में विदेश निवेश को सही ठहरा दिया गया।

कई अधिकरियों के बयान रखे गए सामने
पी चिदंबरम के सामने सीबीआइ ने 2006 से 2010 के बीच एफआइपीबी के इंचार्ज रहे 1992 बैच के आइएएस अधिकारी दीपक कुमार सिंह का बयान भी सामने रखा गया था। दीपक कुमार सिंह ने सुब्बाराव के बयान का समर्थन करते हुए बताया था कि विदेशी निवेश के मंजूर सीमा से अधिक निवेश लाने के मामले को हमेशा रिजर्व बैंक के पास भेजा जाता रहा है। लेकिन आइएनएक्स मामले में ऐसा नहीं किया गया।

इसी तरह उस दौरान वित्त मंत्रालय में ओएसडी रहे पीके बग्गा के बयान को भी चिदंबरम के सामने रखा गया, जिन्होंने सुब्बाराव और दीपक कुमार सिंह के बयान का समर्थन किया। चिदंबरम से शनिवार और रविवार को भी पूछताछ जारी रहेगी और उन्हें सोमवार को रिमांड की अवधि समाप्त होने पर विशेष अदालत में पेश किया जाएगा।

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