India China Standoff: हमेशा के लिए बदल जाएगा भारत-चीन रिश्ता

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी एक-दूसरे के समीकरणों पर पड़ेगा असर। अगले सोमवार को चीन रूस और भारत के विदेश मंत्रियों की त्रिपक्षीय बैठक के आसार कम।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Wed, 17 Jun 2020 12:38 AM (IST) Updated:Wed, 17 Jun 2020 07:27 AM (IST)
India China Standoff: हमेशा के लिए बदल जाएगा भारत-चीन रिश्ता
India China Standoff: हमेशा के लिए बदल जाएगा भारत-चीन रिश्ता

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। लद्दाख के गलवन क्षेत्र में सोमवार की देर रात भारत व चीन की सेनाओं के बीच जो हुआ है वह दोनों देशों के रिश्तों को हमेशा के लिए बदल सकता है। यह दोनो देशों की सरकारों के प्रमुखों के बीच अनौपचारिक वार्ता के दौर पर विराम लगा सकता है तो साथ ही अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक दूसरे के मौजूदा समीकरण को भी पूरी तरह से बदल सकता है। संकेत इस बात का है कि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्ते बनने के 70 वर्ष होने पर इस वर्ष जो तमाम समारोह होने वाले हैं, उन पर भी पर्दा गिर सकता है। अगले सोमवार को चीन, रूस और भारत के विदेश मंत्रियों की होने वाली त्रिपक्षीय बैठक पर इस घटना का असर होगा।

पूर्वी लद्दाख के गलवन में हुए खूनी सैन्य झड़पों का अंदेशा भारतीय कूटनीतिकारों को कतई नहीं थी। सूत्रों का कहना है कि चीनी सेना का मई, 2020 के पहले हफ्ते से जमावड़ा उम्मीद से बड़ा था लेकिन इस बात के आसार बिल्कुल नहीं थे कि दोनों सेनाओं के बीच लड़ाई की नौबत आ सकती है। बहरहाल, अब हालात वैसी ही हो गई है जैसे कारगिल युद्ध के दौरान भारत व पाकिस्तान के बीच हो गई थी। कारगिल युद्ध के बाद भारत व पाकिस्तान के बीच रिश्ते सुधारने की कोशिशें हुई हैं लेकिन रिश्ते दिनों दिन खराब ही होते गए। अगर भारत व चीन के बीच ऐसा ही कुछ हो तो आश्चर्य नहीं होनी चाहिए।

शांति बहाली का कोशिशों पर चीन ने फेरा पानी

देश के प्रमुख रणनीतिकार नितिन ए गोखले के मुताबिक, सोमवार के घटनाक्रम ने पिछले 40 वर्षो से भारत व चीन के बीच शांति बहाली की जो कोशिशें हो रही थी उस पर पानी फेर दिया है। दोनों देशों के रिश्ते अब जिस तेजी से बदलेंगे उसकी कल्पना किसी ने भी छह महीने पहले नहीं की थी। साफ है कि अब चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

चीन के उत्पादों के लिए भी नई मुसीबत

यह घटनाक्रम भारत में चीनी कंपनियों और चीन के उत्पादों के लिए भी नई मुसीबत खड़ी करने वाला साबित हो सकता है। पहले से ही देश में चीन के उत्पादों के खिलाफ माहौल बन रहा है, अब सैनिकों की मौत के बाद यह और तेज हो सकता है। भारत ने चीन की कंपनियों के निवेश को लेकर पहले ही नियम सख्त कर दिए हैं, अब और ज्यादा सख्ती दिखाए जाने के आसार हैं। ऐसे में अगले सोमवार को रूस, भारत व चीन के विदेश मंत्रियों के बीच होने वाली बैठक पर सभी की नजर होगी।

चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता

सनद रहे कि पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल में चीन के साथ रिश्ते को सुधारने पर सबसे ज्यादा जोर दिया है। वर्ष 2017 में डोकलाम में तनाव होने के बाद उन्होंने राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ अनौपचारिक वार्ता का दौर शुरू किया था। इससे रिश्तों में नई गर्माहट आई थी लेकिन अब साफ हो गया है कि चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

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