Farmers protest: ब्रिटेन ने कहा- कृषि कानून विरोधी प्रदर्शन भारत का आंतरिक मामला

ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जानसन जल्द से जल्द भारत यात्रा पर आना चाहते हैं। इस यात्रा के दौरान वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ब्रिटेन में आयोजित होने वाली समूह-7 देशों की बैठक में भी आमंत्रित करेंगे। कृषि कानून विरोधी मामला ब्रिटिश संसद मेंं उठने को लेकर भारत चिंतित है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Fri, 05 Mar 2021 08:53 PM (IST) Updated:Sat, 06 Mar 2021 06:55 AM (IST)
Farmers protest: ब्रिटेन ने कहा- कृषि कानून विरोधी प्रदर्शन भारत का आंतरिक मामला
ब्रिटेन ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगा जिससे द्विपक्षीय रिश्तों पर विपरीत असर पड़े।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दो दिन बाद ब्रिटिश संसद में भले ही भारत में चल रहे कृषि कानून विरोधी आंदोलन पर परिचर्चा के आयोजन की तैयारी हो, लेकिन ब्रिटेन सरकार का मत स्पष्ट है कि यह आंदोलन भारत का आंतरिक मामला है। परिचर्चा में जब ब्रिटिश सरकार की तरफ से जवाब दिया जाएगा तो भारत सरकार को असहज करने वाली टिप्पणियों से बचा जाएगा। इसकी एक वजह यह भी है कि ब्रिटेन अगले कई दशकों तक भारत को अपने अहम रणनीतिक साझीदार तौर पर देख रहा है और वह ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगा जिससे द्विपक्षीय रिश्तों पर कोई विपरीत असर हो।

उच्चायुक्त एलिस ने कहा- ब्रिटिश संसद में कृषि कानून विरोधी आंदोलन पर परिचर्चा 

भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त एलेक्स एलिस का कहना है कि ब्रिटिश संसद में भारत के संदर्भ में अब पहले के मुकाबले ज्यादा चर्चाएं होने लगी हैं और संभवत: आगे भी चर्चाएं होती रहेंगी। इसके पीछे दो वजहें हैं। एक तो ब्रिटेन में भारतीय मूल के लोगों की संख्या तेजी से बढ़ी है और दूसरा अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी भारत तेजी से उभरा है। भारत में जो कुछ भी होता है उसको लेकर ब्रिटेन में प्रतिक्रिया होती है। यह बात ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने भारत दौरे के दौरान भी कही थी।

ब्रिटेन ने कहा- कृषि कानून विरोधी आंदोलन भारत का आंतरिक मामला

उन्होंने स्पष्ट कहा कि कृषि कानून विरोधी आंदोलन भारत का आंतरिक मामला है और इसे भारत को ही सुलझाना है। जहां तक ब्रिटिश संसद में इस पर चर्चा का सवाल है तो यह एक प्रक्रिया के तहत होगी, ब्रिटिश सरकार उसमें हिस्सा लेगी और जवाब देगी।

ब्रिटिश संसद में सोमवार को भारत में कृषि कानून विरोधी आंदोलन पर 90 मिनट की होगी चर्चा 

बताते चलें कि ब्रिटिश संसद में सोमवार को भारत में कृषि कानून विरोधी आंदोलन पर 90 मिनट की चर्चा होगी। ब्रिटेन में किसी मुद्दे के समर्थन में एक लाख लोगों की तरफ से आवेदन आ जाएं तो वहां की संसद में उस पर चर्चा करवानी होती है।

कृषि कानून विरोधी मामला ब्रिटिश संसद मेंं उठने को लेकर भारत चिंतित

भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से वैसे यह मुद्दा ब्रिटिश सरकार के समक्ष उठाया गया है। पिछले दिनों दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच टेलीफोन वार्ता में भारत की तरफ से इस बारे में अपनी चिंताओं से अवगत कराया गया था। भारत को ब्रिटिश सरकार की मंशा पर कोई संदेह नहीं है, लेकिन वह अकारण अपने आंतरिक मामलों के विदेशी संसद में उठने को लेकर सहज नहीं है।

लंदन में भारत विरोधी रैलियों के आयोजन से भी भारत चिंतित

भारत को यह भी चिंता है कि इस चर्चा की आड़ में भारत विरोधी और खालिस्तान समर्थकों को भारतीय व्यवस्था पर सवाल उठाने का मौका मिलेगा। भारत और ब्रिटेन के बीच संबंधों के लगातार मजबूत होने के बावजूद जिस तरह लंदन में भारत विरोधी रैलियों का आयोजन किया गया है उससे भी भारत चिंतित है।

ब्रिटिश पीएम जानसन जल्द ही भारत आएंगे, समूह-7 देशों की बैठक के लिए मोदी को करेंगे आमंत्रित 

एलिस ने ब्रिटेन के रणनीतिक हित के संदर्भ में भारत की बढ़ती भूमिका को भी विस्तार से रखा। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश सरकार बहुत जल्द ब्रिटेन की राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर एक प्रपत्र जारी करने वाली है। इसमें भारत की भूमिका की भी चर्चा होगी। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जानसन जल्द से जल्द भारत यात्रा पर आना चाहते हैं। इस यात्रा के दौरान वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ब्रिटेन में आयोजित होने वाली समूह-7 देशों की बैठक में भी आमंत्रित करेंगे।

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