सरकार नहीं देगी स्विस बैंक खाताधारकों की जानकारी, जानिए क्‍या बताया कारण

वित्त मंत्रालय ने स्विस बैंक खाताधारकों की जानकारी साझा करने से इन्कार कर दिया है। मंत्रालय का कहना है कि भारत व स्विटजरलैंड के बीच कर संधि में इस संबंध में गोपनीयता का प्रावधान है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Mon, 23 Dec 2019 08:27 PM (IST) Updated:Mon, 23 Dec 2019 08:27 PM (IST)
सरकार नहीं देगी स्विस बैंक खाताधारकों की जानकारी, जानिए क्‍या बताया कारण
सरकार नहीं देगी स्विस बैंक खाताधारकों की जानकारी, जानिए क्‍या बताया कारण

नई दिल्ली, प्रेट्र। वित्त मंत्रालय ने स्विस बैंक खाताधारकों की जानकारी साझा करने से इन्कार कर दिया है। मंत्रालय का कहना है कि भारत और स्विटजरलैंड के बीच हुई कर संधि में इस संबंध में गोपनीयता का प्रावधान है। आरटीआइ में पूछे गए एक सवाल के जवाब में मंत्रालय ने विदेश से मिले कालाधन का ब्योरा देने से भी मना कर दिया।

विदेश से मिले कालाधन का ब्योरा देने भी वित्त मंत्रालय का इन्कार

आरटीआइ के जवाब में मंत्रालय ने कहा, 'इस तरह की कर संधि के जरिये साझा होने वाली जानकारियों पर गोपनीयता का प्रावधान लागू है। इसलिए कर से जुड़ी जानकारियों एवं विदेशी सरकारों की ओर से मिली या मांगी गई सूचनाओं को आरटीआइ की धारा 8(1)(ए) और 8(1)(एफ) के तहत सार्वजनिक करने से छूट है।'

धारा 8(1)(ए) के तहत ऐसी जानकारियां देने से छूट है, जिनसे देश की सुरक्षा, रणनीतिक या आर्थिक हितों को नुकसान हो या किसी देश से संबंध पर प्रभाव पड़े। इसी तरह दूसरी धारा में विदेशी सरकार से गोपनीयता की शर्त पर मिली जानकारियां सार्वजनिक करने से भी छूट मिली हुई है।

सितंबर में मिली थी स्विस बैंक खातों से जुड़ी पहली विस्तृत जानकारी

आरटीआइ में मंत्रालय से स्विट्जरलैंड में भारतीय खाताधारकों की जानकारी मांगी गई थी। साथ ही विदेशी सरकारों से कालाधन पर मिली सूचनाओं का ब्योरा भी मांगा गया था। भारत को सितंबर में स्विस बैंक खातों से जुड़ी पहली विस्तृत जानकारी मिली थी। यह जानकारी स्विट्जरलैंड से हुए ऑटोमैटिक इन्फॉर्मेशन एक्सचेंज पैक्ट के तहत मिली है।

भारत में डाटा सुरक्षा एवं गोपनीयता को लेकर पर्याप्त कानूनी फ्रेमवर्क की समीक्षा समेत लंबी प्रक्रिया के बाद स्विट्जरलैंड ने भारत से यह समझौता किया है। भारत उन 75 देशों में शामिल है, जिनके साथ स्विट्जरलैंड ने इस तरह का समझौता किया है।

लाखों करोड़ रुपये का है कालाधन

कालाधन पर अध्ययन के लिए 2011 में तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा गठित एनसीएईआर के अनुमान के मुताबिक, 1980 से 2010 के दौरान करीब 384 अरब डॉलर (करीब 27 लाख करोड़ रुपये) से 490 अरब डॉलर (करीब 34.5 लाख करोड़ रुपये) की राशि भारत से बाहर गई थी। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी एंड फाइनेंस के मुताबिक, 1997 से 2009 के बीच जीडीपी के 0.2 फीसद से 7.4 फीसद के बराबर राशि अवैध तरीके से देश से बाहर गई।

chat bot
आपका साथी