संसद की स्थायी समिति को भेजा गया डीएनए प्रौद्योगिकी नियमन विधेयक, जानें क्‍या मिलेगी मदद

लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक डीएनए प्रौद्योगिकी नियमन विधेयक (DNA Technology Regulation Bill) को संसद की स्थाई समिति के पास भेजा गया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sat, 19 Oct 2019 03:34 PM (IST) Updated:Sat, 19 Oct 2019 03:47 PM (IST)
संसद की स्थायी समिति को भेजा गया डीएनए प्रौद्योगिकी नियमन विधेयक, जानें क्‍या मिलेगी मदद
संसद की स्थायी समिति को भेजा गया डीएनए प्रौद्योगिकी नियमन विधेयक, जानें क्‍या मिलेगी मदद

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। डीएनए प्रौद्योगिकी नियमन विधेयक (DNA Technology Regulation Bill) को संसद की स्थाई समिति के पास भेजा गया है। लोकसभा सचिवालय (Lok Sabha secretariat) की ओर से यह जानकारी दी गई है। बता दें कि यह विधेयक कुछ खास मामलों के आरोपियों, पीड़ितों और संदिग्धों के अलावा मुकदमे का सामना कर रहे लोगों की पहचान स्थापित करने में डीएनए तकनीक के इस्तेमाल पर नियमन के लिए बीते जुलाई में लोकसभा से पारित हुआ था।

इस विधेयक को राज्यसभा (Rajya Sabha) के सभापति एम. वेंकैया नायडू (M Venkaiah Naidu) ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण एवं वन मामलों से संबंधित संसद की स्थायी समिति (Parliamentary Standing Committee) के पास भेजा है। समिति के अध्यक्ष एवं कांग्रेस नेता जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने विधेयक पर लोगों से सुझाव मांगे हैं। मालूम हो कि ऐसा ही एक विधेयक पिछले साल जनवरी में लोकसभा से पारित हुआ था। हालांकि इसको राज्यसभा से मंजूरी नहीं मिल पाई थी।  

डीएनए तकनीक का इस्‍तेमाल अपराधों की गुत्‍थी को सुलझाने में किया जा सकता है। यह तकनीक जो लोग लापता हो गए हैं या जिनकी मृत्‍यु के बाद पहचान नहीं हो पा रही है, उन मामलों में मददगार साबित होगी। यही नहीं बड़ी आपदाओं में ज्‍यादा तादात में मरने वालों की पहचान में भी यह तकनीक उपयोगी होगी। यही नहीं बच्चे के जैविक माता-पिता की पहचान, इमिग्रेशन मामलों और मानव अंगों के ट्रांसप्लांट जैसे कार्यों में भी इस तकनीक की मदद ली जा सकेगी। 

इसलिए जरूरी है यह विधेयक 

डीएनए डेटा बैंक नहीं होने के कारण इस विधेयक की आवश्‍यकता खास तौर पर महसूस की जा रही है। डीएनए प्रौद्योगिकी नियमन विधेयक (DNA Technology Regulation Bill) विधेयक एक राष्ट्रीय और क्षेत्रीय डीएनए डाटा बैंक (DNA data bank) बनाने की पहल करता है। इस वक्त देश में करीब 3000 केस डीएनए प्रोफाइलिंग के हैं। लैबरेटरी में डीएनए डेटा बैंक के तौर पर इन्‍हें स्‍टोर करने की सुविधा नहीं है।

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