Co-operative Bank Scam: चाचा शरद पवार की बदनामी पर फूट पड़े अजीत पवार के आंसू

अजीत पवार सवाल उठाते हुए कहते हैं कि महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक की कुल जमापूंजी ही 11500 करोड़ की है। तो इसमें 25000 करोड़ का घोटाला कैसे हो सकता है?

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sat, 28 Sep 2019 08:39 PM (IST) Updated:Sat, 28 Sep 2019 08:39 PM (IST)
Co-operative Bank Scam: चाचा शरद पवार की बदनामी पर फूट पड़े अजीत पवार के आंसू
Co-operative Bank Scam: चाचा शरद पवार की बदनामी पर फूट पड़े अजीत पवार के आंसू

राज्य ब्यूरो, मुंबई। राजनीति में सख्त छवि के व्यक्ति माने जाने वाले अजीत पवार के आंसू शनिवार को उस समय फूट पड़े, जब वह विधानसभा सदस्यता से त्यागपत्र देने के करीब 24 घंटे बाद मीडिया के प्रश्नों का उत्तर देने के लिए उपस्थित हुए।

मेरी वजह से पवार साहब को सहनी पड़ रही थी बदनामी: अजीत पवार

नरीमन प्वाइंट स्थित यशवंतराव चह्वाण सभागार में प्रेस से मुखातिब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के दिग्गज नेता एवं शरद पवार के भतीजे अजीत पवार यह कहते हुए अचानक फूट पड़े कि मैंने किसी को बताए बिना इसलिए विधायक पद से त्यागपत्र दे दिया, क्योंकि मेरी वजह से इस उम्र में उन्हें (शरद पवार को) बदनामी सहनी पड़ रही है।

शरद पवार कोऑपरेटिव बैंक के संचालक भी नहीं रहे

अजीत के अनुसार यदि वह इस्तीफा देने से पहले वरिष्ठ लोगों से सलाह करते, तो कोई भी उन्हें ऐसा नहीं करने देता। अजीत पवार सवाल करते हैं कि शरद पवार का नाम आखिर कोऑपरेटिव बैंक घोटाले के मामले में कैसे घसीटा जा सकता है जबकि उनका इस बैंक से कोई मतलब ही नहीं रहा है। वह कभी इस बैंक के संचालक भी नहीं रहे।

अजीत पवार कहते हैं कि मैं आज जहां भी हूं, उनके कारण ही हूं। आज उनकी और राकांपा की बदनामी सिर्फ इसलिए हो रही है, क्योंकि मैं महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक के निदेशक मंडल में था, इसलिए मैंने उनसे पूछे बिना ही अपनी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।

बता दें कि महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक में हुए 25,000 करोड़ के घोटाले मामले में मुंबई हाई कोर्ट के निर्देश पर प्रवर्तन निदेशालय ने शरद पवार और अजीत पवार सहित महाराष्ट्र के 70 से अधिक राजनीतिज्ञों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

बता दें कि शरद पवार ने खुद पर इस घोटाले में शामिल होने का आरोप लगने के बाद शुक्रवार को ईडी कार्यालय में जाकर हाजिरी लगाने की घोषणा की थी। हालांकि उनके ईडी कार्यालय जाने से कानून-व्यवस्था बिगड़ने का खतरा उत्पन्न होने की बात पुलिस द्वारा बताए जाने पर उन्होंने वहां जाने का इरादा त्याग दिया था। इसके कुछ देर बाद ही अजीत पवार के अपने पद से इस्तीफा देने की खबर आई थी।

..आखिर 25000 करोड़ का घोटाला कैसे हो सकता है

अजीत पवार 25000 करोड़ की संख्या पर भी सवाल उठाते हुए कहते हैं कि बैंक की कुल जमापूंजी ही 11,500 करोड़ की है। तो इसमें 25000 करोड़ का घोटाला कैसे हो सकता है? अजीत कहते हैं कि सहकारी बैंक किसानों की मदद के लिए हैं। कई बार तो वे नियमों से परे जाकर भी किसानों की मदद करते हैं। यहां तक कि महाराष्ट्र सरकार ने भी चार सहकारी चीनी मिलों को नियमों से परे जाकर मदद की है। इसे घोटाला कैसे कहा जा सकता है?

मीडिया के सामने आने से पहले शरद पवार से मिले अजीत

मीडिया के सामने आने से पहले अजीत राकांपा प्रमुख शरद पवार से मिले। इसकी जानकारी सीनियर पवार ने स्वयं दी। उन्होंने परिवार में किसी तरह की फूट होने की बात से इन्कार करते हुए कहा कि अजीत ने इस्तीफा क्यों दिया, इसके बारे में वह स्वयं मीडिया को बताएंगे। दोनों नेताओं की बैठक के दौरान पवार की पुत्री और सांसद सुप्रिया सुले मौजूद थीं।

अनुच्छेद-370 का हवाला देते हुए भाजपा ने साधा निशाना

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने केंद्र सरकार द्वारा पिछले महीने खत्म किए गए अनुच्छेद-370 का हवाला देते हुए राकांपा में चल रहे विवाद पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि किसी भी पार्टी में दो प्रधान, दो निशान और दो संविधान नहीं चल सकते हैं। राकांपा में यह चल रहा था, लेकिन अजीत पवार के इस्तीफे के साथ ही यह खत्म हो गया। पात्रा ने कहा कि वह पूछना चाहते हैं कि आखिर राकांपा जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 को हटाने के मुद्दे पर मौन क्यों थी।

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