मप्रः मंत्री न बनाए जाने पर कांग्रेस में बगावत, CM को भेजा इस्तीफा; दिल्ली में धरने की चेतावनी

मप्र कांग्रेस विधायक राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने कहा कि मेरे पिताजी या मेरे परिवार में पहले कोई मंत्री या उपमुख्यमंत्री नहीं रहा, इसलिए मेरी उपेक्षा की गई है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Fri, 28 Dec 2018 08:57 AM (IST) Updated:Fri, 28 Dec 2018 11:48 AM (IST)
मप्रः मंत्री न बनाए जाने पर कांग्रेस में बगावत, CM को भेजा इस्तीफा; दिल्ली में धरने की चेतावनी
मप्रः मंत्री न बनाए जाने पर कांग्रेस में बगावत, CM को भेजा इस्तीफा; दिल्ली में धरने की चेतावनी

इंदौर/बदनावर,(नईदुनिया प्रतिनिधि)।  क्या वंशवाद, पूंजीवाद, जातिवाद ही हमारे देश में हावी रहेगा। कांग्रेस में आज भी वंशवाद व गुटीय राजनीति हावी है। मेरे पिताजी या मेरे परिवार में पहले कोई मंत्री या उपमुख्यमंत्री नहीं रहा, इसलिए मेरी उपेक्षा की गई है। ऐसे ही लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है, जिनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि सत्ता में रहने की रही है।

क्या मेरा यह कसूर रहा कि मतगणना के बाद निर्वाचन का प्रमाण पत्र लेते ही में इस अल्पमत की सरकार के लिए दो निर्दलीय विधायकों को लेकर आया। ये बिंदू हो सकते हैं, जिनके कारण मुझे अयोग्य समझा गया। ये बातें बदनावर के कांग्रेस विधायक राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने गुरुवार को कार्यकर्ताओं की बैठक में कही।

अपने कार्यकर्ताओं को शहीद नहीं होने दूंगाः दत्तीगांव

उन्होंने कहा कि जनतंत्र में सत्ता या पद महत्वपूर्ण नहीं है, महत्वपूर्ण है जनादेश, जनाकांक्षा। मैं उनकी चोखट पर जनमत रखूंगा और पूछूंगा कि इस अल्पमत की सरकार में मेरा इतना तो योगदान था कि मेरे मतदाताओं का सम्मान होता। मंत्री बनने का आश्वासन अब मेरे और सिंधिया के बीच का मामला है। मैं इस बारे में उनसे बात करूंगा। किसी को इस्तीफा देने जरूरत नहीं है, यदि देना होगा तो सबसे पहले मैं दूंगा। अपने कार्यकर्ताओं को शहीद नहीं होने दूंगा और न ही उन पर कोई आंच आने दूंगा। मंत्रिमंडल में शामिल नहीं कि या जाना मतदाताओं का अपमान है। यहां विजय जुलूस तभी निकलेगा, जब सभी कार्यकर्ताओं की भावनाए या इच्छाएं पूरी होगी।

...तो दे दूंगा इस्तीफा

मालूम हो कि मंत्रिमंडल गठन के पहले दत्तीगांव का नाम मंत्रीपद की दौड़ में सबसे आगे था। लेकिन गुटीय, जातीय और क्षेत्रीय संतुलन के नाम पर एन वक्त पर उनका नाम हटा दिया गया। इससे क्षेत्र के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ दत्तीगांव भी खासे नाराज हैं। आक्रोशित कार्यकर्ताओं ने जब इस्तीफा देने की बात कही तो उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो आपके पहले मैं इस्तीफा दूंगा और लोकसभा चुनाव के साथ फिर उपचुनाव लड़ूंगा।

नाराज दत्तीगांव ने कहा कि हाईकमान को अपना वादा पूरा करना चाहिए या फिर वादा नहीं करना चाहिए। इससे मेरे लिए क्षेत्र में विचित्र स्थिति बन गई है। मेरी जवाबदेही अपने मतदाताओं के प्रति पहले है, उन्हें मैं क्या जवाब दूं।

सिंधिया ने अपना वादा नहीं निभाया

सम्मेलन में मौजूद कार्यकर्ता बार-बार इस बात का जिक्र कर रहे थे कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बिड़वाल की सभा में साफ कहा था कि दत्तीगांव की जरूरत प्रदेश को ज्यादा है। जीतने पर मंत्री बनाया जाना तय है फिर क्यों शामिल नहीं किया गया।

ब्लॉक अध्यक्ष का इस्तीफा
मुरैना से कांग्रेस के किसी भी विधायक को मंत्री न बनाने पर कार्यकर्ताओं की नाराजगी थम नहीं रही। दो दिन पहले एदल सिंह समर्थकों ने हाईवे पर टायर जलाकर जाम लगाया गया था। गुरुवार को कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष मदन शर्मा ने प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री कमलनाथ को इस्तीफा भेज दिया।

पार्षद सहित आधा दर्जन से अधिक नेताओं ने प्रेस कांफ्रेंस कर ज्योतिरादित्य सिंधिया पर निशाना साधा और तीन दिन बाद दिल्ली स्थित कांग्रेस कार्यालय पर धरना देने की चेतावनी दी है। मुरैना जिले में कांग्रेस ने सभी छह सीटें जीती थी। इसके बावजूद कमलनाथ मंत्रिमंडल में जिले से एक भी विधायक को शामिल नहीं किया गया है।

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