कृषि कानूनों पर कांग्रेस का बुकलेट जारी, शीर्षक 'खेती का खून तीन काले कानून'

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों पर एक बुकलेट जारी जिसका शीर्षक खेती का खून तीन काले कानून है। इन कानूनों के विरोध में दिल्ली -एनसीआर में किसानों का आंदोलन जारी है।

By Monika MinalEdited By: Publish:Tue, 19 Jan 2021 10:21 AM (IST) Updated:Tue, 19 Jan 2021 02:19 PM (IST)
कृषि कानूनों पर कांग्रेस का बुकलेट जारी, शीर्षक  'खेती का खून तीन काले कानून'
कृषि कानूनों को लेकर राहुल गांधी का प्रेस कॉन्फ्रेंस

नई दिल्ली, एएनआइ। दिल्ली स्थित कांग्रेस पार्टी मुख्यालय में मंगलवार को  कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Congress Leader Rahul Gandhi) ने कृषि कानूनों (Farm Laws) पर 'खेती का खून तीन काले कानून' बुकलेट जारी किया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP President JP Nadda) के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'किसान वास्तविकता जानती है। राहुल गांधी क्या करता है इससे  सभी किसान अवगत हैं। भट्टा परसौल में नड्डा जी नहीं थे। मेरा कैरेक्टर साफ है, मैं न नरेंद्र मोदी से डरता हूं और न ही इन  लोगों से डरता हूं, ये हमें छू नहीं सकते हां गोली से मार सकते हैं। मैं देश की रक्षा करता हूं और करता रहूंगा।' 

 कांग्रेस नेता राहुल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'हर इंडस्ट्री में चार-पांच लोगों का एकाधिकार बढ़ रहा है, मतलब इस देश के चार-पांच नए मालिक हैं। आज तक खेती में एकाधिकार नहीं हुआ। नरेंद्र मोदी चार-पांच लोगों के हाथों में खेती का पूरा ढांचा दे रहे हैं।' कांग्रेस नेता ने आगे कहा, 'सरकार किसानों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है, सरकार किसानों से बात करने के लिए कह रही है। 9 बार बात हो गई, सरकार मामले में कोर्ट को घसीटती जा रही है।' पार्टी सूत्रों ने 15 जनवरी को बताया था कि नए कृषि कानूनों पर तैयार किए गए बुकलेट में कृषि कानूनों से नुकसान और किसानों पर इसके प्रभावों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।  

बता दें कि दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की है। इससे पहले 24 दिसंबर को, पार्टी ने इस मुद्दे पर भारत के राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा था। कांग्रेस शासित राज्यों ने भी अपने संबंधित विधानसभाओं में कानूनों के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया और उन प्रस्तावों को अपने राज्यपालों को भेजा है।

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