कर्नाटक में प्रदेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष की सियासी रेस तेज

लोकसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर कर्नाटक में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष का बदला जाना तय है।

By Vikas JangraEdited By: Publish:Fri, 15 Jun 2018 09:23 PM (IST) Updated:Fri, 15 Jun 2018 09:23 PM (IST)
कर्नाटक में प्रदेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष की सियासी रेस तेज
कर्नाटक में प्रदेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष की सियासी रेस तेज

नई दिल्ली [संजय मिश्र]। लोकसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर कर्नाटक में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष का बदला जाना तय है। पार्टी हाईकमान विधानसभा चुनाव की 'चूकों' को अगले चुनाव में दोहराने का जोखिम नहीं लेना चाहता। इसी रणनीति के पार्टी तहत सूबे के सियासी समीकरण में सबसे फिट बैठने वाले दमदार चेहरे की तलाश है। इन चेहरों में पूर्व केंद्रीय मंत्री लोकसभा सांसद के एच मुनियप्पा प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। राज्यसभा सांसद पूर्व पार्टी महासचिव बीके हरिप्रसाद को भी प्रदेश अध्यक्ष की इस दौड़ में शामिल हैं।

जद(एस) के साथ गठबंधन सरकार बनाने के बाद कांग्रेस को देवेगौड़ा की सियासत को दायरे में थामे रखने के लिहाज से प्रभावशाली प्रदेश अध्यक्ष की जरूरत है। बीते दिनों बेंगलुरू में कर्नाटक से लोकसभा और राज्यसभा के कांग्रेस के सभी सांसदों की बैठक में एक सुर से इस बात को जाहिर भी किया गया। समझा जाता है कि इसी दौरान बीके हरिप्रसाद और राजीव गौडा जैसे वरिष्ठ सांसदों ने नये प्रदेश अध्यक्ष के लिए मुनियप्पा को मौजूदा परिस्थितियों में बेहतर विकल्प बताते हुए उनका नाम आगे बढ़ाया। जबकि मुनियप्पा ने इस बैठक में हरिप्रसाद का नाम सुझाया। सूत्रों के अनुसार अधिकांश सांसद इस बात के हिमायती रहे कि दलित समुदाय को ही संगठन की कमान सौंपना बेहतर होगा। 


कर्नाटक के मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष जी परमेश्वर भी दलित समुदाय के हैं। गठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री बनने के बाद परमेश्वर को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी छोड़नी है। इसीलिए सामाजिक और राजनीतिक दोनों समीकरणों के हिसाब से मुनियप्पा को प्रबल दावेदार माना जा रहा। सूबे के दलित समुदाय पर ही नहीं उच्च वर्गो के बीच भी मुनियप्पा की अच्छी पैठ मानी जाती है। पिछली सात लोकसभा से वे लगातार जीतकर सांसद हैं। यूपीए सरकार के दौरान वे रेल राज्यमंत्री समेत कई महकमों में मंत्री भी रह चुके हैं। हालांकि वरिष्ठता के बाद भी वे कैबिनेट मंत्री नहीं बन पाए। मुनियप्पा को पार्टी हाईकमान के विश्वासपात्रों में माना जाता है।

कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ में उनके शामिल होने के बारे में पूछे जाने पर मुनियप्पा ने कहा कि इसका निर्णय तो हाईकमान को करना है। पार्टी नेतृत्व अगर उनको यह जिम्मेदारी सौंपता है तो वे इसके लिए तैयार हैं और उनका लक्ष्य कर्नाटक में कांग्रेस को पिछले चुनाव से ज्यादा सीटों पर जीत दिलाना रहेगा। मुनियप्पा सूबे के जिस दलित जाति से हैं उस समुदाय का कोई व्यक्ति अभी तक प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं रहा है। वहीं जुझारू ओबीसी चेहरे के तौर पर बीके हरिप्रसाद को भी प्रदेश अध्यक्ष पद के दावेदारों में गिना जा रहा। हरिप्रसाद बीते डेढ दशक से कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हैं और दस साल से ज्यादा पार्टी के महासचिव रहे। जाहिर तौर पर हाईकमान से उनके रिश्ते भी बेहतर हैं। कांग्रेस नेतृत्व कर्नाटक की सियासी अहमियत को देखते हुए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति जल्द करने पर गंभीर है।

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