CAA-NRC पर विपक्षी विरोध का दायरा बढ़ाने में जुटी कांग्रेस, पार्टियों को साथ लाने का प्रयास शुरू

सीएए-एनआरसी पर यूपीए के घटक दलों और वामपंथी पार्टियों के अलावा तृणमूल कांग्रेस के बीच साझी लड़ाई पर लगभग सहमति है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Thu, 02 Jan 2020 09:06 PM (IST) Updated:Thu, 02 Jan 2020 09:14 PM (IST)
CAA-NRC पर विपक्षी विरोध का दायरा बढ़ाने में जुटी कांग्रेस, पार्टियों को साथ लाने का प्रयास शुरू
CAA-NRC पर विपक्षी विरोध का दायरा बढ़ाने में जुटी कांग्रेस, पार्टियों को साथ लाने का प्रयास शुरू

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और एनआरसी पर एनडीए सरकार की घेरेबंदी कर रही कांग्रेस अब अपने विरोध आंदोलन को अगले पायदान पर ले जाने के प्रयासों में जुट गई है। इसके तहत पार्टी सीएए-एनआरसी पर विपक्षी पार्टियों की संयुक्त ताकत के साथ सरकार पर दबाव बढ़ाने के विकल्पों पर दूसरे विपक्षी दलों से संपर्क साध रही है।

पार्टी सूत्रों के अनुसार वैसे भी सीएए और एनआरसी के खिलाफ लड़ाई को तार्किक दिशा की ओर ले जाने के लिए कांग्रेस को विरोध के अगले पायदान पर जाना ही होगा। इसके मद्देनजर ही पार्टी के रणनीतिकारों ने क्षेत्रीय दलों के नेताओं से अनौपचारिक चर्चा का दौर शुरू कर दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुआई में विपक्षी दलों का प्रतिनिधिमंडल सीएए को निरस्त करने के लिए पहले ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिल चुका है। इसीलिए अब विरोध के दूसरे स्वरुप पर मंत्रणा हो रही है जिस पर सभी विपक्षी दल सहमत हो जाएं।

विपक्षी मंच पर सपा और बसपा को लाना बड़ी चुनौती

सीएए-एनआरसी पर यूपीए के घटक दलों और वामपंथी पार्टियों के अलावा तृणमूल कांग्रेस के बीच साझी लड़ाई पर लगभग सहमति है। मगर समाजवादी पार्टी और बसपा जैसे दलों को विपक्षी मंच पर लाना कांग्रेस की बड़ी चुनौती है। सपा और बसपा दोनों सीएए-एनआरसी का मुखर विरोध तो कर रहे हैं लेकिन संयुक्त विपक्षी मंच से अभी तक दोनों ने दूरी बना रखी है। सूत्रों का कहना है कि वामपंथी नेताओं के सहारे सपा को तो कुछ दूसरे चैनलों के जरिये बसपा को सीएए-एनआरसी की लड़ाई में साथ आने के लिए राजी कराने का प्रयास भी शुरू किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट में सीएए के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई से पहले विपक्षी विरोध को मुखर बनाने की कांग्रेस की कोशिश है।

पीएम के इस आंदोलन को संसद के खिलाफ बताने के बयान को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के जरिये खारिज करते हुए पार्टी ने अपना विरोध जारी रखने का ऐलान किया। कांग्रेस ने कहा 'मोदी जी ये आंदोलन संसद नहीं आपके विभाजनकारी एजेंडे के खिलाफ है। हम आपको देश तोड़ने नहीं देंगे। रही बात पाकिस्तान की तो इसी हिन्दुस्तान ने 1948, 65, 71 और कारगिल में जो घाव उसे दिए हैं वो अब उबर नहीं पाया। पाकिस्तान को जवाब देना ही है तो बिरयानी और आम का खेल बंद कीजिए।'

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