सरकारी जमीन को फर्जी तरीके से हड़पने के आरोप में केंद्रीय मंत्री शेखावत के खिलाफ परिवाद पेश

जयपुर के शंकर लाल गुर्जर ने एसीबी में परिवाद पेश कर जोधपुर की कंपनी धनलक्ष्मी रियल मार्ट के निदेशकों के पर आरोप लगाए हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sat, 26 May 2018 07:03 PM (IST) Updated:Sat, 26 May 2018 07:03 PM (IST)
सरकारी जमीन को फर्जी तरीके से हड़पने के आरोप में केंद्रीय मंत्री शेखावत के खिलाफ परिवाद पेश
सरकारी जमीन को फर्जी तरीके से हड़पने के आरोप में केंद्रीय मंत्री शेखावत के खिलाफ परिवाद पेश

जागरण संवाददाता, जयपुर। देश की आजादी के समय भारत छोड़कर पाकिस्तान गए लोगों की जमीन (कस्टोडियन भूमि) को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एक कंपनी द्वारा खरीदे जाने के मामले में केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के खिलाफ राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में एक परिवाद पेश हुआ है। परिवाद में जोधपुर की एक कंपनी के निदेशकों पर सरकारी जमीन को फर्जी दस्तावेज बनाकर अपने कब्जे में लेने का आरोप लगाया गया है। शेखावत भी इस कंपनी में निदेशक हैं।

-फर्जी दस्तावेज बनाकर कस्टोडियन भूमि खरीदने का मामला

-राजस्थान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद के दावेदार हैं शेखावत

जयपुर के शंकर लाल गुर्जर ने एसीबी में परिवाद पेश कर जोधपुर की कंपनी धनलक्ष्मी रियल मार्ट के निदेशकों के साथ ही सरकारी अधिकारियों पर भी आरोप लगाए हैं। जोधपुर शहर के सरदारपुरा में स्थित इस जमीन के मामले में शेखावत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इस जमीन का स्थानीय निकाय द्वारा पट्टा बनाने और फिर उसके कंपनी को बेचने के मामले में शेखावत के साथ ही कंपनी के अन्य निदेशकों केवलचंद डकलिया, मुकेश सिंघवी और श्रृषभ डागा के खिलाफ भी परिवाद पेश किया गया है। परिवादी शंकरलाल गुर्जर ने शेखावत सहित कंपनी के अन्य निदेशकों पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर सरकार को राजस्व की हानि पहुंचाने का आरोप लगाया है।

उल्लेखनीय है कि शेखावत को राजस्थान भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने का निर्णय पार्टी आलाकमान कर चुका था, लेकिन इसी बीच मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने उनके खिलाफ दिल्ली में जोरदार ढंग से लॉ¨बग की, इस कारण आलाकमान ने मामला टाल दिया ।

शेखावत बोले-मुझे जानकारी नहीं, यह शरारती तत्वों का काम

केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि मुझे इस मामले की कोई जानकारी नहीं है। सांसद बनने से पूर्व कई कंपनियों में निदेशक था, लेकिन मैंने कोई गलत काम नहीं किया। एसीबी में परिवाद दायर होने की जानकारी मुझे भी आज ही मिली है, जो भी सत्य होगा सामने आ जाएगा।

मामला काफी पुराना है। इस कारण पूरे प्रकरण की जांच कराएंगे। दस्तावेजों को जांचा जाएगा- घनश्याम ओझा, महापौर, जोधपुर नगर निगम।

सांसद बनने से पहले तक शेखावत धनलक्ष्मी रियल मार्ट में निदेशक थे। सांसद बनने के बाद वह अलग हो गए। जमीन का पट्टा जोधपुर हिज हाईनेस की ओर से जारी किया गया था- मुकेश ¨सघवी, कंपनी के निदेशक।

यह है पूरा मामला

जानकारी के अनुसार आजादी से पूर्व 15 अक्टूबर,1934 को जोधपुर रियासत द्वारा भूखंड संख्या 104 एवं 105 खान बहादुर मिर्जा, कासिम बेग और वसीम बेग के नाम से पट्टा जारी हुआ था। यह परिवार बंटवारे के बाद पाकिस्तान चला गया, इसलिए जमीन एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ इवेक्यूई प्रॉपर्टी एक्ट 1950 के तहत कस्टोडियन हो गई। इसी बीच जोधपुर के ही पुरुषोत्तम प्रसाद माथुर ने साल 1955 में जोधपुर स्थानीय निकाय से अपने नाम एक फर्जी पट्टा बनवा लिया। इसके लिए उन्होंने 1886 के दस्तावेज स्थानीय निकाय में पेश किए थे और उन्हीं के आधार पर उन्हें पट्टा मिल गया।

माथुर ने इस जमीन का बंटवारा अपने परिवार के 16 सदस्यों में कर दिया। कई सालों तक यह जमीन खाली पड़ी रही। इस जमीन पर कुछ लोगों ने कब्जा भी कर रखा था। इसके बाद माथुर के परिजनों ने साल 2012 में यह जमीन धनलक्ष्मी रियल मार्ट कंपनी को बेच दी। कंपनी ने 1236 वर्गगज जमीन एक करोड़ 23 लाख रुपये में खरीदी थी।

हालांकि, उस समय जमीन की असली कीमत 50 करोड़ रूपये बताई जा रही है। खरीद भी तय डीएलसी दर से कम पर दिखाई गई। कंपनी ने इस जमीन पर व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स बनाने का प्रयास किया, लेकिन उस समय विवाद हो गया और मामला कोर्ट में चला गया। परिवाद में आरोप है कि माथुर ने भी फर्जी दस्तावेज के आधार पर पट्टा बनवाया और फिर धनलक्ष्मी रियल मार्ट ने भी दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा किया।

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