NEP 2020: नई शिक्षा नीति पर छत्तीसगढ के सीएम भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार पर उठाए कई सवाल

भूपेश बघेल ने कहा कि कोरोना काल में केंद्र सरकार द्वारा लाई गई यह नई शिक्षा नीति समझ से परे है। नीति तो लाई गई है लेकिन इसे कब और कैसे लागू किया जाएगा यह नहीं बताया गया है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Fri, 31 Jul 2020 07:46 PM (IST) Updated:Fri, 31 Jul 2020 07:47 PM (IST)
NEP 2020: नई शिक्षा नीति पर छत्तीसगढ के सीएम भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार पर उठाए कई सवाल
NEP 2020: नई शिक्षा नीति पर छत्तीसगढ के सीएम भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार पर उठाए कई सवाल

रायपुर, जेएनएन। केंद्र सरकार द्वारा घोषित की गई नई शिक्षा नीति को लेकर अब सवाल भी उठने लगे हैं। शिक्षाविदों द्वारा शिक्षा नीति में खामियां गिनाने के बाद छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इसपर सवाल उठाए हैं। इसे लेकर मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि शिक्षा को केंद्रीकृत किया जाना उचित नहीं है। संविधान के अनुसार शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है जो राज्य और केंद्र की अपनी- अपनी नीतियों से संचालित होता है। मूलभूत शिक्षा में राज्य का प्रमुख योगदान होता है। इस वजह से हर राज्य में अपनी अलग शिक्षा प्रणाली विकसित हुई है।

कोरोना काल में केंद्र सरकार द्वारा लाई गई यह नई शिक्षा नीति समझ से परे है। नीति तो लाई गई है, लेकिन इसे कब और कैसे लागू किया जाएगा यह नहीं बताया गया है। शिक्षा के लिए नीति नियम बनाने की राज्यों को अभी स्वतंत्रता है, लेकिन नई नीति के द्वारा पूरी व्यवस्था को केंद्रीकृत करने का प्रयास किया जा रहा है।

केंद्र सरकार ने राज्यों से नहीं ली राय

उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा प्रणाली को विकसित करने में राज्य की भूमिका प्राथमिक होती है। राष्ट्रीय संस्कृति और सभ्यता के साथ ही राज्य की अपनी संस्कृति का समावेश कर हर राज्य में शिक्षा की नीति तय की जाती है। यहां सबसे बडी बात यह है कि केंद्र सरकार ने राज्यों से बिना राय शुमारी के यह शिक्षा नीति लागू कर दी। नई नीति में ऐसी व्यवस्थाएं दी गई हैं जिससे शिक्षा के नीजिकरण को भी बढावा मिलेगा, जबकि इसके दुष्प्रभाव भी दिख रहे हैं।  

वहीं, दूसरी ओर भारत सरकार में पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने नई शिक्षा नीति का स्वागत किया, लेकिन यह आशंका जताई कि यह गरीबों के लिए शिक्षा को अप्रभावी बना सकती है। थरूर के अनुसार, इसका रुझान केंद्रीयकरण, उच्च आकांक्षा और कम व्यावहारिकता की ओर है। थरूर ने इस बात पर सवाल उठाया कि इसे पहले संसद के सामने क्यों नहीं लाया गया?

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