राजनीति में जातिवाद को नकारा नहीं जा सकता : भागवत

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, 'राजनीति में जातिवाद को नकारा नहीं जा सकता प्राथमिकताओं के आधार पर पार्टियां काम करें।'

By Nancy BajpaiEdited By: Publish:Fri, 12 Jan 2018 09:15 AM (IST) Updated:Fri, 12 Jan 2018 10:26 AM (IST)
राजनीति में जातिवाद को नकारा नहीं जा सकता : भागवत
राजनीति में जातिवाद को नकारा नहीं जा सकता : भागवत

विदिशा (नईदुनिया)। जाति और समुदाय के नाम पर कैसे राजनीतिक दल के रंगों में बदलाव की तस्वीर बीते दिनों देखने को मिली, यह सामने हैं। लेकिन इन सब के बीच संघ प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान सामने आया है। भागवत ने कहा, 'राजनीति में जातिवाद को नकारा नहीं जा सकता। राजनीतिक पार्टियों को अपनी प्राथमिकता के आधार पर काम करना चाहिए। संगठनों और नेताओं में आपसी फूट नहीं होनी चाहिए। उन्हें आपस में समन्वय बनाकर काम करने की जरूरत है। सभी संगठन अपनी-अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर लक्ष्यपूर्ति के लिए काम करें। नेताओं और संगठनों के झगड़े निपटाना संघ का काम नहीं है।'

संस्कृति मजबूत, तो राष्ट्र भी मजबूत रहेगा: भागवत

यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने मध्य क्षेत्र की तीन दिवसीय समन्वय बैठक के शुभारंभ सत्र में कही। इस बैठक में संघ से जुड़े 35 संगठनों के 425 कार्यकर्ता मौजूद थे। मध्य प्रदेश के विदिशा स्थित टीलाखेड़ी सरस्वती शिशु मंदिर परिसर में आयोजित संघ की इस बैठक के शुभारंभ सत्र को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि सभी अनुषांगिक संगठनों को राष्ट्रहित में काम करना चाहिए। करीब दो घंटे के संबोधन में उन्होंने सामाजिक समरसता और राष्ट्र निर्माण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज के दौर में संस्कृति को मजबूत रखने की जरूरत है। यदि संस्कृति मजबूत रही तो राष्ट्र भी मजबूत बना रहेगा।

संघ की बैठक में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार चौहान, संगठन मंत्री सुहास भगत, प्रदेश महामंत्री वीडी शर्मा, सांसद प्रभात झा, किसान संघ के शिवकांत दीक्षित, विद्याभारती के हितानंद शर्मा सहित अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहे।

हम सब 'राष्ट्रवादी' पर सत्ता में बैठे लोगों की हैं कुछ मर्यादाएं

संघ प्रमुख ने कहा कि मैं और सभी स्वयंसेवक हिंदू राष्ट्रवादी हैं। प्रधानमंत्री सहित सत्ता में बैठे अन्य लोगों के मन में भी यही होगा, लेकिन उनकी कुछ मर्यादाएं हैं। जिसकी वजह से वे बोलते नहीं हैं। गौरतलब है कि 2013 में नरेंद्र मोदी ने एक साक्षात्कार में कहा था कि मैं हिंदू और राष्ट्रवादी हूं।


राममंदिर बने, सबकी यही भावना

समन्वय बैठक में संघ प्रमुख ने भाजपा का जमकर बचाव किया। राम मंदिर को लेकर कहा कि संघ और हम सबकी यही भावना है कि राम मंदिर बनना चाहिए। सत्ता में बैठे लोगों के मन में भी यही होगा, लेकिन उन्हें परिस्थिति के हिसाब से काम करना पड़ता है। हमें दूर से बैठकर लगता है कि सत्ता में आते ही वे विचारधारा से अलग हो गए।

पूरक बनें, बाधक नहीं

आरएसएस के सभी संगठनों को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि सभी संगठन एक दूसरे के पूरक बनें, बाधक न बनें। संगठन अपनी सीमाओं में रहकर एक-दूसरे की कमियां निकालते हैं। एबीवीपी और युवा मोर्चा के बीच झगड़ा चलता है, लेकिन सभी एक-दूसरे के पास आने-जाने लगें तो झगड़ा खत्म हो जाएगा।

संगठनों का आरोप, ट्रांसफर-पोस्टिंग में चलता है पैसा

संघ के अनुषांगिक संगठनों ने सरकार के कामकाज को लेकर जमकर आरोप लगाए। आयुर्वेद से जुड़े संगठन के एक पदाधिकारी ने बैठक के दौरान ही आरोप लगाए कि आयुर्वेदिक डॉक्टरों के ट्रांसफर में पैसों का जमकर लेन-देन हुआ है। इसके साथ ही कई संगठनों ने अफसरशाही के हावी होने का मुद्दा उठाया।

सिर्फ भाजपा से नहीं हो पाता समन्वय

बैठक में किसान संघ के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी ने संगठनों के बीच समन्वय को लेकर कहा कि सभी संगठनों में समन्वय हो जाता है, लेकिन भाजपा से कभी समन्वय नहीं हो पाता। इस पर एक अन्य संगठन के पदाधिकारी ने कहा कि सभी को भारतीय जनता पार्टी से ज्यादा उम्मीदें हैं, लेकिन पार्टी उतना काम कर नहीं पाती।

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